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Updated on: 28 October, 2020 2:36 PM IST

पर्ण-कुंचन (लीफ कर्ल) रोग के लक्षण पपीते के पौधे में केवल पत्तियों पर दिखायी पड़ते हैं. रोगी पत्तियाँ छोटी एवं क्षुर्रीदार हो जाती हैं. पत्तियों का विकृत होना एवं इनकी शिराओं का रंग पीला पड़ जाना रोग के सामान्य लक्षण हैं. रोगी पत्तियाँ नीचे की तरफ मुड़ जाती हैं और फलस्वरूप ये उल्टे प्याले के अनुरूप दिखायी पड़ती है जो पर्ण कुंचन रोग का विशेष लक्षण है. पतियाँ मोटी, भंगुर और ऊपरी सतह पर अतिवृद्धि के कारण खुरदरी हो जाती हैं. रोगी पौधों में फूल कम आते हैं. रोग की तीव्रता में पतियाँ गिर जाती हैं और पौधे की बढ़वार रूक जाती है. 

नियंत्रण:

  • यह पर्ण कुंचन रोग विषाणु के कारण होता है तथा इस रोग का फैलाव रोगवाहक सफेद मक्खी के द्वारा होता है.

  • यह मक्खी रोगी पत्तियों से रस चूसते समय विषाणुओं को भी प्राप्त कर लेती है और स्वस्थ्य पत्तियों से रस-शोषण करते समय उनमें विषाणुओं को संचारित कर देती है.

  • रोगवाहक कीट के नियंत्रण हेतु डाइफेनथूरोंन 50% WP @ 15 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी की में घोलकर पत्तियों पर छिडकाव करें. या

  • पायरिप्रोक्सिफ़ेन 10% + बाइफेन्थ्रिन 10% EC @ 15 मिली या एसिटामिप्रिड 20% SP @ 8 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी में घोल बनाकर पत्तियों पर छिडकाव करें. 

  • 15-20 दिनों बाद छिड़काव दुबारा करे तथा कीटनाशक को बदलते रहे|

  • बागों की नियमित रूप से सफाई करनी चाहिए तथा रोगी पौधे के अवशेषों को इकट्ठा करके नष्ट कर देना चाहिए.

  • नये बाग लगाने के लिए स्वस्थ्य तथा रोगरहित पौधे या बीजों का चुनाव करना चाहिए.

  • रोगग्रस्त पौधे एक बार संक्रमित होने के बाद ठीक नही हो पाते है अतः इनको उखाड़कर जला देना चाहिए, अन्यथा ये पौधे दूसरे पौधों को सफेद मक्खी की सहायता से रोग का प्रसार कर देते है.

English Summary: Know the cause and identity of leaf curl disease in Papaya crop
Published on: 28 October 2020, 02:40 PM IST

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