NSC की बड़ी पहल, किसान अब घर बैठे ऑनलाइन आर्डर कर किफायती कीमत पर खरीद सकते हैं बासमती धान के बीज बिना रसायनों के आम को पकाने का घरेलू उपाय, यहां जानें पूरा तरीका भीषण गर्मी और लू से पशुओं में हीट स्ट्रोक की समस्या, पशुपालन विभाग ने जारी की एडवाइजरी भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! आम की फसल पर फल मक्खी कीट के प्रकोप का बढ़ा खतरा, जानें बचाव करने का सबसे सही तरीका
Updated on: 9 November, 2020 3:11 PM IST

अदरक की खेती भारत के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर की जाती है. जिन राज्यों में अदरक की खेती होती है, उनमें बंगाल, बिहार, चेन्नई, मध्यप्रदेश, पंजाब और उत्तर प्रदेश शामिल हैं. अदरक की खेती से हमारे किसान भाई लाखों की कमाई कर रहे हैं. हालांकि इन्हीं राज्यों के कई किसान ऐसे हैं जिनके लिए अदरक की खेती घाटे का सौदा बन गया है. तो अब उन किसानों को बिल्कुल भी घबराने की जरूरत नहीं है. कृषि जागरण उन किसानों को बताने जा रहा है अदरक की सही और सटीक खेती. तो आइए जानते हैं तरीका-

जलवायु

अदरक की खेती गर्म स्थानों पर करते हैं. इसकी खेती औसत तापमान 25 डिग्री सेंटीग्रेड और गर्मियों में 35 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान वाले स्थानों पर की जा सकती है. यह भी ध्यान देने की जरूरत है कि अदरक की खेत जल निकास रहित स्थानों पर नहीं की जानी चाहिए नहीं, तो भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

मिट्टी का चुनाव

अदरक की अच्छी पैदावार के लिए बलुई दोमट और चिकनी मिट्टी उत्तम मानी जाती है. साथ ही जल निकास वाली भूमि और अधिक मात्रा में जीवांश या कार्बनिक पदार्थ की मात्रा हो वो भूमि सबसे ज्यादा उपयुक्त रहती है. ध्यान रहे कि एक ही भूमि पर बार-बार अदरक की खेती ना हो. इससे रोग और कीटों में वृद्धि होती है.

उन्नत किस्में

अदरक की उन्नत किस्मों में आईआईएसआर, सुप्रभा, सुरुची, हिमगिरी, आईआईएसआर रजाता शामिल हैं. आईआईएसआर 200 दिन, सुप्रभा 229 दिन, सुरुची 218 दिन, सुरभि 225 दिन और हिमगिरी की फसल 230 दिनों में काटने लायक हो जाती है.

बुवाई

अदरक को 40 सेमी के अंतराल पर बोना चाहिए. मेड़ या कूड़ विधि से बुवाई करनी चाहिए. बाद में अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद या मिट्टी से ढक देना चाहिए. वहीं, अगर रोपना है, तो कतार से कतार 30 सेमी और पौध से पौध 20 सेमी पर करें.

खाद एवं उर्वरक

बुवाई के समय 25-30 टन/हेक्टेयर की दर से अच्छी तरह गोबर खाद या कम्पोस्ट को बेड़ों के ऊपर फैला दें. वहीं रोपाई के समय खाद को छोटे गड्ढे करके उसमें डाल देनी चाहिए.

सिंचाई

किसान भाइयों को सिंचाई के लिए अधिक परेशान होने की जरूरत नहीं है. बस अदरक की फसल के लिए भूमि में बराबर नमी बनाकर रखें. उन्हें इसके लिए समय पर सिंचाई करते रहनी चाहिए.

कटाई

बुआई के आठ महीने बाद जब पत्ते पीले रंग के हो जाए और धीरे-धीरे सूखने लगे तब फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है. पौधों को सावधानीपूर्वक फावड़े या कुदाल की सहायता से उखड़ कर प्रकंदों को जड़ और मिट्टी से अलग कर लेते हैं.

उपज

अगर बताए गए तरीकों से हमारे किसान भाई खेती करते हैं, तो लगभग 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक अदरक की पैदावार हो सकती है. इसके बाद किसान भाई या तो इसे भंडारण कर सकते हैं या मंडी में ले जाकर बेच सकते हैं.

English Summary: know Process of ginger farming
Published on: 09 November 2020, 03:14 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now