इस समय पूरे भारत में सरसों की खेती की जा रही है. लेकिन किसानों का ये जानना जरूरी है कि वो कौन-कौन से रोग हैं जो आपके फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं. चलिए आपको कुछ ऐसे प्रमुख रोगों के बारे में बताते हैं जो सरसो की खेती को प्रभावित करते हैं.
अल्टरनेरिया झुलसा:
सरसों में लगने वाला ये सबसे आम लेकिन हानिकारक रोग है. इसकी गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये आपके उत्पादन को 15 से 71 प्रतिशत तक कम कर सकता है. ये पत्तियों से शुरू होता हुआ पौधे के पूरे भाग को प्रभावित करता है.
ऐसे करें पहचानः
इस रोग के संपर्क में आते ही सरसों की पत्तियां पर दोनों तरफ गहरे या भूरे रंग के धब्बे पड़ने शुरू हो जाते हैं. आगे चलकर गोल-गोल झल्ला तने एवं फलियों पर भी फैलने शुरू हो जाते हैं. सरसों के अलावा ये रोग राई एवं बांकला को भी प्रभावित करता है.
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इस तरह करें रोकथामः
इस रोग से बचने के लिए गर्मी के समय में 1-2 जुताई करते हुए सरसों की बुवाई करना चाहिए. अगर आप चाहें तो सरसों में फूल आने के बाद इंडोफिल एम-45 (2 किलोग्रम) का प्रयोग हर 10-12 दिनों के अंतराल पर कर सकते हैं.
मृदुरोमिल आसिता:
सरसों का यह रोग आपके उत्पादन को भारी नुकसान पहुंचाते हुए 50 प्रतिशत तक कम कर सकता है. इसके लगने के बाद से फफूंदी की समस्या बढ़ने लग जाती है. ये सबसे पहले नयी पत्तियों को अपनी चपेट में लेते हुए बैंगनी भूरे रंग के छोटे गोल धब्बे बनाने का काम करता है.
धीरे-धीरे पत्तियों की ऊपरी सतह पर भी पीले धब्बे पड़ने शुरू हो जाते हैं.
ऐसे करें रोकथामः
सरसों की फसल के लिए अच्छे गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें. पौधों में रोग दिखाई देने पर रिडोमिल का छिड़काव करें.