भारत के अधिकतर हिस्सों में गन्ने की खेती होती है. उत्तर और मध्य भारत गन्ना उत्पादन के मामले में सबसे आगे है. गन्ने से न सिर्फ चीनी, गुड़ और शक्कर बल्कि शराब का भी निर्माण होता है. इसका उत्पादन दुनियाभर में होता है और भारत उत्पादन के मामले में दूसरे स्थान पर काबिज है.
बिहार स्थित पूर्वी चंपारण जिले के किसान रणजीत सिंह कहते हैं, राज्य में पहले गन्ने का उत्पादन बहुत होता है, लेकिन बंद पड़ी चीनी मिलों ने किसान को मायूस किया है.
मोतिहारी, मोतीपुर, चकिया में चीनी मिल बंद है. गन्ने की खेती कम होने के पीछे बंद पड़ी चीनी मिल भी एक कारण है. आज अगर सभी चीनी मिलें चालू रहती, तो बात ही अलग होती.
रणजीत सिंह की बातों से सरकार की उदासीनता साफ झलक रही है. एक तो चीनी मिल बंद हो जाने से गन्ने की उत्पादन में कमी आई है, तो दूसरी मौसम की मार से फसल हमेशा बर्बाद हो जाती है. इनसे अगर फसल बच भी जाए तो कीट लगने और समय पर गन्ने की सिंचाई नहीं करने से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. इन्हीं परेशानियों को ध्यान में रखते हुए कृषि जागरण आधुनिक तरीके से गन्ने की खेती (Sugarcane Farming) के गुड़ सीखा रहा है, तो आइए जानते हैं तरीका-
गन्ने की खेती के लिए जलवायु (Climate for sugarcane cultivation)
गन्ने की अच्छी पैदावार में तापमान का योगदान अहम माना जाता है. साथ ही आद्र शुष्क जलवायु में पैदावार अच्छी रहती है. गन्ने के बीजों को अंकुरित होने के लिए लगभग 20 डिग्री का तापमान चाहिए होता है. वहीं, 21 से 27 डिग्री पर गन्ने के पौधे का विकास सही से होता है.
गन्ने की खेती के लिए मिट्टी का चुनाव (Soil Selection for sugarcane cultivation)
गन्ने की खेती के लिए अच्छी जल निकास वाली दोमट भूमि ठीक मानी जाती है. खेत तैयार करते समय मिट्टी पलटने वाले हल सें दो बार आड़ी और खड़ी जुताई करें.
साथ ही बखर से जुताई कर मिट्टी भुरभुरी कर लें. इसके बाद पाटा चलाकर समतल कर लें. ध्यान रखें कि गन्ने की खेती के लिए पी.एच. वाली मिट्टी ठीक होती है.
गन्ने की खेती की उन्नत किस्में (Advanced Varieties of sugarcane cultivation)
यूं तो गन्ने की कई उन्नत किस्में मौजूद हैं. लेकिन फिर भी इसमें को. 7314, को. 6304, को. 8209, को. जवाहर 86-141, और को. जवाहर 94-141 को अच्छी मानी जाती है. इन किस्मों से पैदावार अच्छी होती होती है, जिससे अधिक मुनाफा मिलता है.
गन्ने की खेती के लिए बुवाई का समय और तरीका (Sowing Time and Method for Sugarcane Cultivation)
गन्ने की अधिक पैदावार के लिए अक्टूबर और नवंबर का समय सही होता है. वहीं, बसंत कालीन गन्ना फरवरी-मार्च में लगाना चाहिए. गन्ने की बुवाई के लिए भारी मिट्टी में सूखी बुवाई करें. नालियों में गोबर खाद या कम्पोस्ट खाद डालें. नालियों में गन्ने के टुकड़े को कतार में जमा दें. गन्ने की आंखें आजू-बाजू में हो ऐसा रखें. इसके बाद 2-3 इंच मिट्टी से टुकड़ों को दबा दें.
गन्ने के पौधों की सिंचाई (Irrigation of Sugarcane Plants)
गन्ने की सिंचाई ठंड के दिनों में 15 दिन के अंतर पर और गर्मी में 8-10 दिन के अंतर पर करें. इतने दिनों पर सिंचाई करने से गन्ने में पानी की कमी नहीं होगी. साथ ही पौधों को सूखने से बचाया जा सकेगा.
गन्ने की खेती के लिए निराई-गुड़ाई (Weeding hoeing for sugarcane cultivation)
गन्ने की खेती के बाद निराई-गुड़ाई का भी कार्य जरूरी है. अगर खरपतवार को साफ नहीं करेंगे, तो इसका असर पौधों पर पड़ना निश्चित है.
गन्ने की फसल की कटाई (Harvesting for sugarcane cultivation)
गन्ने में जब रस की मात्रा अधिक हो तभी उसकी कटाई करें. कटाई जमीन की सतह से करें. अगेती फसल की कटाई 10 से 12 महीने, जबकि पछेती फसल की कटाई 14 महीने के बाद कर लें.
गन्ने की पैदावार (Sugarcane yield)
अगर हमारे किसान भाई गन्ने की खेती के लिए ऊपर दिए गए तरीकों को सही-सही अपनाएं, तो एक एकड़ में लगभग 300 क्विंटल की पैदावार हो सकती है. इसके बाद गन्ने को किसी व्यापारी से या चीनी मिल में ले जाकर बेच दें.