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Updated on: 23 August, 2022 5:53 PM IST
Sugar Apple Farming

शरीफा(सीताफल) सर्दी के मौसम में मिलने वाला फल है, इसे कई नामों से जाना जाता है जैसे हिंदी में इसे शरीफा, सीताफल और अंग्रेजी में इसे शुगर एप्पल या कस्टर्ड एप्पल के नाम से भी जाना जाता है. इसके इतिहास के बारे में बात करें तो पहले यह माना जाता था कि यह भारत का मूल फल है, लेकिन यह मूल रूप से अमेरिका और वेस्टइंडीज में पाया जाने वाला फल है. बताया जाता है कि स्पेन के व्यापारियों द्वारा इसे एशिया में लाया गया था.

शरीफा में कई प्रकार के औषधीय गुण होते हैं और भारत में इसकी खेती मुख्य रूप से सूखा प्रवण क्षेत्रों और हल्की मिट्टी में की जाती है. भारत सरकार द्वारा शरीफा की खेती को बढ़ावा देने के लिए और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए इसे बागवानी विकास योजना में शामिल किया गया है. इसलिए शरीफा की खेती किसी बड़े अवसर से कम नहीं है.

भारत के इन क्षेत्रों में होती है इसकी खेती

भारत में शरीफा की खेती महारष्ट्र, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, असम और आंध्रप्रदेश में बड़े पैमाने पर की जाती है. इन सभी राज्यों में महाराष्ट्र उत्पादन के मामले में शीर्ष स्थान पर है. महाराष्ट्र में बीड, औरंगाबाद, परभणी, अहमदनगर, जलगाँव, सतारा, नासिक, सोलापुर और भंडारा जिलों में बड़ी संख्या में सीताफल के पेड़ देखने को मिल जाते है.

शरीफा को सीताफल क्यों कहा जाता है

शरीफा को कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जिनमें से सीताफल भी एक नाम है. जानकारी के लिए आपको बता दें कि सीताफल के नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि वनवास के दौरान भगवान राम को सीता मां ने यह फल उपहार स्वरूप प्रदान किया था इसका नाम तभी से सीताफल रख दिया गया है.

शरीफा के फ़ायदे

शरीफा का फल स्वाद में काफी मीठा होता है और इसकी तासीर ठंडी होती है. इसमें कैल्शिम और फाइबर जैसे न्यूट्रिएंट्स की मात्रा अधिक होती है जो आर्थराइटिस और कब्ज जैसी हेल्थ प्रॉब्लम से बचाने में मदद करता है. साथ ही इसके पेड़ की छाल में टैनिन होता है जिसका इस्तेमाल दवाइयां बनाने में होता है. शरीफा का ज्यादा उपयोग करने से मोटापा बढ़ जाता है और शरीर में शुगर की मात्रा भी बढ़ जाती है इसलिए इसका ज़्यादा प्रयोग नहीं करना चाहिए.

शरीफा की खेती करने की जानकरी निम्न प्रकार है:

शरीफा की उन्नत किस्में

किसी भी अन्य फल की तरह इसकी भी कई प्रकार की किस्में हैं, लेकिन अलग-अलग जगह पर उगाए जाने के कारण शरीफा की कोई एक ऐसी किस्म नहीं है जो हर जगह के लिए प्रमाणित हो.

बाला नगरल- शरीफा की यह किस्म झारखंड क्षेत्र के लिए  उपयुक्त है. इसके फल हल्के हरे रंग के होते हैं और बीज की मात्रा ज़्यादा होती है.  सीजन के दौरान इसके एक पेड़ से 5 किलो तक फल प्राप्त किया जा सकता है.

लाल शरीफा- यह एक ऐसी किस्म है जिसके फल लाल रंग के होते हैं तथा औसतन प्रति पेड़ प्रति वर्ष लगभग 40 से 50 फल आते हैं. बीज द्वारा उगाये जाने पर भी काफी हद तक इस किस्म की शुद्धता बनी रहती है.

अर्का सहन- अर्का सहन एक हाइब्रिड किस्म है, जिसके फल और दूसरी किस्मों के मुकाबले काफी मीठे होते हैं. इस किस्म के फल बहुत रसदार होते हैं जो बहुत धीमी गति से पकते हैं.

शरीफा की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और तापमान

शरीफा के पौधे को वैसे तो कोई विशेष प्रकार की जलवायु की जरुरत नहीं होती है, लेकिन शरीफा एक गर्म जलवायु में पैदा होने वाला का पेड़ है. जिस कारण शुष्क जलवायु वाले क्षेत्र इसकी खेती के लिए उपयुक्त हैं. इसके अच्छी पैदावार के लिए शुष्क और गर्म जलवायु के क्षेत्र का ही चुनाव करें, क्योंकि इसके पौधे अधिक गर्मी में आसानी से विकास करते हैं, लेकिन अधिक गर्मी में इसका पेड़ ख़राब हो जाता है.

उपयुक्त मिट्टी

शरीफा की खेती सभी तरह की प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, बशर्ते उसका पीएच स्तर 7 से 8 बीच होना चाहिए. लेकिन इसकी अच्छी पैदावार के लिए दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है.

शरीफा के पेड़ लगाने का तरीका

शरीफा की खेती दो तरीके से की जा सकती है. पहला इसे पारंपरिक रूप से बीज की रोपाई करके कर सकते हैं और दूसरा इसकी पोलीहाऊस में पौध तैयार करके खेत में रोपाई करके कर सकते हैं. अगर आप सीधे बीज की बुवाई कर रहे हैं तो बीज को गड्ढे में 2 से 3 इंच गहराई में बुवाई कर सकते हैं. लेकिन अगर आप पाली हाउस वाला तरीका आजमा रहे हैं तो आप पौध तैयार होने के बाद ही इसे कहीं और लगा सकते हैं.

शरीफा की पौध तैयार करने के लिए ग्राफ्टिंग तकनीक का भी उपयोग किया जाता है. ग्राफ्टिंग तकनीक  पौध तैयार करने के लिए आज की एक नई विधि है इसके ज़रिए किसी भी किस्म की शुद्धता को सुरक्षित रखा जा सकता है. इस तकनीक में कलम के द्वारा पौध तैयार की जाती है.

सिंचाई करने का सही समय

शरीफा का पौधा गर्म जलवायु में होता है, इसलिए इसे ज्यदा पानी की ज़रूरत नहीं होती है लेकिन गर्मियों के दिनों में पौधों को पानी देना जरुरी होता है. शरीफा की पहली सिंचाई रोपाई के तुरंत बाद करें और जब तक बीज अंकुरित नहीं होता है तब तक दो तीन दिन के भीतर पानी डालते रहें. लेकिन जब पौधा सालभर का हो जाता है तो फिर पौधे की 15 से 20 दिन के अंतराल में सिंचाई कर लेनी चाहिए.

English Summary: know here the whole process of sugar apple farming
Published on: 23 August 2022, 06:00 PM IST

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