सरसों की फसल रबी के सीजन में उगाई जाने वाली प्रमुख फसलों में से एक है. यह एक तिलहन की फसल है और इसमें सीमित सिंचाई की जरुरत होती है इसलिए इसकी खेती करना दूसरी फसलों के मुकाबले आसान होता है. लेकिन सरसों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए इसमें अच्छे बीजों, अच्छी खाद और अन्य दूसरी चीजों का उपयोग करना बेहद जरूरी होता है.
सरसों की खेती से जुड़ी पूरी जानकारी कुछ इस प्रकार है:
खेत तैयार कैस करें
किसी दूसरी फसल की खेती करने की तरह ही सरसों की खेती में सबसे पहले खेत को तैयार करना होता है. इसके खेत को तैयार करने की प्रक्रिया मई, जून के समय से ही शुरु हो जाती है. गर्मियों में खेत खाली होने के बाद उन्हें हल या प्लाऊ से जोदकर खुला छोड़ देना चाहिए ताकि बारिश के सीजन में वे अच्छे से मिट्टी के अंदर पानी समा जाए. बारिश खत्म होने के बाद कम से कम तीन बार जुताई करनी चाहिए, जुताई के लिए हल या कल्टीवेटर का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके बाद पाटा लगाकर मिट्टी को समतल और बारीक कर देना चाहिए.
बीज की मत्रा
सिंचित क्षेत्र में बुवाई करने के लिए एक एकड़ में 2.5 से 3 किलो बीज का इस्तेमाल करना चाहिए. अगर खेत में नमी कम है तो सल्फर का इस्तेमाल करें ताकि खेत में नमी रह सके.
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बुवाई का समय
हर साल की तुलना में बारिश की वजह से अभी तक सरसों की बुवाई पूरी तरीके से शुरु नहीं हुई है. लेकिन सरसों की बुवाई के लिए सही समय सितम्बर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के पहले सप्ताह को माना जाता है. सरसों की बुवाई करने के लिए खेत में नमी के हिसाब से 9 या 7 पैरों वाले हल की मशीन का उपयोग करना चाहिए. इसके अलावा सरसों के बीज की गहराई 5 से 6 सेंटीमीटर होनी चाहिए.
खाद का उपयोग इस प्रकार करना चाहिए
सरसों की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए मिट्टी का परीक्षण कराना जरुरी होता है. अगर मिट्टी परीक्षण के दौरान गंधक तत्व की कमी पाई जाए तो वहां पर प्रति एकड़ 8 से 10 कि.ग्रा जिंक सल्फेट का उपयोग करना चाहिए. इसके साथ ही खेत की अंतिम जुताई के समय प्रति एकड़ 25 से 30 क्विंटल देशी गोबर की खाद डालें. इसके अलावा बुवाई के 25-30 दिन बाद 20 से 25 किलोग्राम नाइट्रोजन की मात्रा छिड़काव रूप में प्रयोग करना चाहिए.