तिलहनी फसलों में अलसी एक महत्वपूर्ण फसल है, इसके बीजों के साथ- साथ तना भी काफी ज्यादा लाभदायक होता है क्योंकि इसके तने से लिनेन नामक बहुमूल्य रेशा प्राप्त होता है. किसान भाई अगर अलसी की खेती में अच्छी पैदावार प्राप्त करना चाहते हैं, तो उनके पास अच्छे किस्म के बीज होना बेहद जरुरी है, इसलिए आज के इस लेख में हम किसानों से अलसी की 10 उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी साझा करने जा रहे हैं.
अलसी की 10 उन्नत किस्में कुछ इस प्रकार हैं:
टी 397- अलसी की यह किस्म एक बेहतरीन किस्म है इसकी ऊंचाई करीब 60 से 75 सेंटीमीटर होती है और इसकी पत्तियों का रंग हरा एवं फूल नीले होते हैं. इसके एक हजार दानों का वजन करीब 7.5 ग्राम से 9 ग्राम होता है और इसके दानों में तेल की मात्रा लगभग 44 प्रतिशत तक होती है. यह कम पानी वाले क्षेत्र के लिए एकदम उपयुक्त किस्म है और प्रति हेक्टेयर करीब इसकी 10 से 14 क्विंटल तक उपज होती है.
जवाहर 23- इस किस्म के पौधों की लंबाई करीब 45 से 60 सेंटीमीटर बीच होती है. इसकी शाखाएं मध्य भाग से ऊपर हल्के पीलापन का रंग लिए होती हैं और फूलों का रंग सफेद होता है. 1000 दानों के वजन को देखा जाए तो वो 7 से 8 ग्राम होता है. इसके अलावा तेल की मात्रा करीब 43 प्रतिशत होती है. यह रोली, उखटा एवं गिरने के प्रति अवरोधी होती है. अलसी की यह किस्म करीब प्रति हेक्टेयर 10 से 14 क्विंटल तक उपज देने की क्षमता रखती है.
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एल सी के 8528 (शिखा)- अलसी की यह किस्म दोहरे उपयोग वाली होती है और करीब 14 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर इसकी पैदावार होता है. इसके अलावा 10 से 11 क्विंटल तक रेशा भी मिलता है.
एल एम एच- 62 (पदमिनी)- अलसी की इस किस्म में 42 से 45 प्रतिशत तेल की मात्रा मौजूद होती है. ये उखटा रोग की प्रतिरोधी होती है. यह 120 से 125 दिन में तैयार होकर प्रति हेक्टेयर 10 क्विंटल तक उपज दे सकती है.
आर एल 933(मीरा)- अलसी की इस किस्म के फूलों का रंग नीला होता है, साथ ही यह उखटा रोग एवं रोली रोग की प्रतिरोधी है. इसके दाने चमकीले भूरे रंग के होते हैं और इसकी फसल 130 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. यह करीब 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज देती है. इसके अलावा बीजों में 42 प्रतिशत से अधिक तेल की मात्रा होती है.
प्रताप अलसी 1- यह किस्म राजस्थान के सिंचित क्षेत्र के लिए बनाई गई है और इसके फूलों का रंग सफेद होता है. रोली, कलिका मक्खी, झुलसा एवं छाछया रोग के लिए यह मध्यम प्रतिरोधी क्षमता वाली होती है. इसके अलावा यह किस्म करीब 130 से 135 दिन में पककर प्रति हेक्टर करीब 20 क्विंटल तक उपज दे सकती है.
गौरव- यह दोहरे उपयोग वाली किस्म है यानी यह दाने के साथ- साथ रेशा भी देती है और करीब 135 दिन में पककर तैयार होती है. इससे प्रति हेक्टेयर औसतन 11 क्विंटल बीज और 9 क्विंटल से अधिक रेशा प्राप्त होता है.
जवाहर 552- इस किस्म के बीज में करीब 44 प्रतिशत तेल पाया जाता है. यह असिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त मानी जाती है. अलसी की यह किस्म करीब 115 से 120 दिन में पककर प्रति हेक्टर 9 से 10 क्विंटल उपज देने की क्षमता रखती है.
जीवन- अलसी की यह किस्म करीब 175 दिनों में पककर तैयार होती है और इससे करीब 11 क्विंटल बीज, 11 क्विंटल ही रेशा प्राप्त हो सकता है.
प्रताप अलसी 2- अलसी की ये किस्म सिंचित क्षेत्रों के लिए बेहद उपयुक्त मानी गई है. इस किस्म के फूल नीले और दाने मोटे और चमकीले होते हैं. इसके बीजों में 42 प्रतिशत तक तेल की मात्रा पाई जाती है. करीब 128 से 135 दिन में पककर प्रति हेक्टर 20 से 22 क्विंटल उपज दे सकती है.