System of Rice Intensification (SRI) यानी श्री पद्धति से धान की बुवाई (paddy cultivation with SRI method) किसानों को मोटा मुनाफा दिला सकती है. खरीफ मौसम में धान की खेती में श्री विधि का उपयोग अगर किसान करते हैं तो यह खाद, पानी, बीज और मजदूरी में लगने वाली लागत को भी कम करता है. खरीफ सीजन की प्रमुख फसल होने की वजह से देश के हर राज्य में इसकी खेती की जाती है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस धान बुवाई की आधुनिक तकनीक से किसान बंपर मुनाफा कमा सकते हैं. इसलिए आज हम आपको धान की खेती में एसआरआई तकनीक की पूरी जानकारी देने जा रहे हैं कि किस तरह आप इसके जरिये धान की नर्सरी तैयार कर उत्पादन ले सकते हैं.
धान की खेती में बीज की मात्रा और बीजोपचार (Seed volume and seed treatment in paddy cultivation)
किसान एक एकड़ भूमि के लिए लगभग 2 किलोग्राम बीज ले सकते हैं. आपको बता दें कि इस विधि में किसी भी किस्म का बीज लिया जा सकता है. आधा एकड़ के लिए एक किलोग्राम बीज लिए जा सकते हैं. श्री विधि तकनीक से खेती के लिए बीज की मात्रा पर ध्यान देना बहुत जरूरी है. पहले आधी बाल्टी में पानी लेकर उसमें एक मुर्गी का अंडा और नमक डालें. अब तक तक घोलें जबतक अंडा पानी की सतह के उपर न आ जाए. इसमें बीज मिला दें. आप देखेंगे कि ख़राब बीज ऊपर तैर रहे हैं. इन तैरते ख़राब बीज को हटा दें. डूबे अच्छे बीज को निकालकर उसे साफ पानी से धोएं. अब साफ बीज को सूखे जूट के बोरे में रखकर एक चम्मच बाविस्टीन पाउडर (फफूंदनाशक दवा) मिलाएं. अब बीज को गीले बोरे से ढककर एक दिन के लिए अंकुरण के लिए छोड़ दें. एक दिन बीतने के बाद अच्छे बीजों को नर्सरी डालने के लिए निकाल लें.
धान की नर्सरी ऐसे तैयार करें (How to prepare paddy nursery)
पैडी कल्टीवेशन में भूमि से 4 इंच ऊंची नर्सरी तैयार की जाती है. चारों ओर नाली बनाकर नर्सरी में गोबर की खाद या केंचुआ खाद डाली जाती है जिससे खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है. इसके बाद नर्सरी की सिंचाई कर दें और धान के बीज का छिड़काव कर दें.
धान की खेती के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for paddy cultivation)
खेत की तैयारी परंपरागत तरीके से की जाती है. सबसे पहले भूमि को समतल बना लें. धान में पौधरोपण के 12 से 24 घंटे पहले खेत में 1 से 3 सेमी से ज्यादा पानी न रखें. साथ ही पौधा रोपण से पहले खेत में 10*10 इंच की दूरी पर निशान लगा लें.
धान की खेती में खाद (Manure in paddy cultivation)
किसान अगर यूरिया खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं तो 2 से 3 बार वीडर चलाने के बाद ही खाद डालें.
धान में सिंचाई एवं जल प्रबंधन (Paddy irrigation and water management)
खेत में पौधों की रोपाई के बाद किसान पौधों में नमी बनाये रखने के लिए आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें.
धान में पौधों की रोपाई (Transplanting of plants in paddy)
पौधे की रोपाई के दौरान हाथ के अंगूठे और वर्तनी अंगुली का उपयोग करें. खेत में बनाए निशान की हर चौकड़ी पर एक पौधे की रोपाई करें. साथ ही नर्सरी से निकाले पौधों को मिट्टी समेत ही लगाएं. धान के बीज समेत पौधे को ज्यादा गहराई पर न रोपें.
धान की खेती में निराई और खरपतवार नियंत्रण (Weeding and weed control in paddy cultivation)
पहली निराई 10-15 दिन के बीच में कर दें. धान की श्री तकनीक से खेती करने में खरपतवार नियंत्रण करना बहुत जरूरी है. किसान कम से कम दो बार घास या खरपतवार निकालें. ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादा दूरी में पौधा लगाने से घास ज्यादा हो जाती है. घास निकालने के लिए किसान धन की खेती में कोनो या अम्बिका वीडर मशीन का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. यह वीडर घास निकालने के साथ मिट्टी भी पलटती है, जिससे मिट्टी पोला होती है और धान के पौधों की जड़ों को हवा भी बराबर मिलती है.
धान की खेती में रोग व कीट प्रबंधन (Disease and Pest Management in Paddy Cultivation)
अगर किसान इस खास विधि- श्रीविधि से बुवाई करते हैं तो उनकी फसल में रोग या कीट लगने का खतरा कम हो जाता है. पौधों की दूरी ज्यादा होने की वजह से ऐसा होता है. इसके बावजूद किसान जैविक तरीके से प्रबंधन कर सकते हैं.
श्री विधि से धान की खेती में पैदावार (Yield in paddy cultivation by Shree Vidhi)
इस विधि से किसान एक एकड़ में 20 से 25 क्विंटल तक की उपज ले सकता है.
धान की किस्मों का कैसे करें चयन (How to choose paddy varieties)
असिंचित दशा (Unirrigated condition)
असिंचित क्षेत्रों में जल्दी पकने वाली किस्में जैसे- नरेन्द्र-97, बरानी दीप, साकेत-4, शुष्क सम्राट, नरेन्द्र लालमनी
सिंचित दशा (Irrigated condition)
सिंचित क्षेत्रों के लिए जल्दी पकने वाली किस्में जैसे -पूसा-169, नरेन्द्र-80, पंत धान-12, मालवीय धान-3022, नरेन्द्र धान-2065
मध्यम पकने वाली किस्मों जैसे - पंत धान-10, पंत धान-4, सरजू-52, नरेन्द्र-359, नरेन्द्र-2064, नरेन्द्र धान-2064, पूसा-44, पीएनआर-381
प्रमुख किस्में (Main varieties)
ऊसरीली भूमि के लिए धान की किस्में जैसे- नरेन्द्र ऊसर धान-3, नरेन्द्र धान-5050, नरेन्द्र ऊसर धान-2009, नरेन्द्र ऊसर धान-2008