इस वक्त जब पूरे देश की रफ्तार ठप है, ऐसे में कई लोग जो प्रतिदिन हरी सब्जी खाना पसंद करते हैं वो परेशान हैं. लेकिन आपको बता दें कि इन दिनों में कीचन व न्यूट्रीगार्डन अच्छा सहारा साबित हो रहे हैं. जिन्होंने अपने घरों में कीचन गार्डन बनाकर थोड़ी सब्जियां लगा रखी हैं ऐसे वक्त में बाजार में जब ताजी सब्जियां मिलना तो दूर, कई लोगों को इनके दर्शन भी नसीब नहीं हो रहे हैं. वो आज के दौर में ताजा व स्वास्थ्यवर्धक सब्जियों का आनंद उठा रहें है. कीचन गार्डनिंग करने वाली महिलाओं को सब्जी खरीदने हेतु ना तो बाजार जाना पड़ता है और ना ही सोशल डिस्टेंसिंग का झंझट. वैज्ञानिकों व डॉक्टरों की भी हेमशा से यही सलाह रही है कि शरीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने हेतु भोजन में संतुलित पोषक तत्वों का होना बेहद जरूरी है. हालांकि बंद के दौरान यह संतुलन बिगड़ता जा रहा है. लेकिन उन्हें कोई फिक्र नहीं जिनके घर पर कीचन गार्डन बना रखा है.
बारट के गांव, पादरू, जिला बाड़मेर के किसान नरपत सिंह ने बताया कि उनके घर पर छोटी बगिया है, जिसमें नींबू, अमरूद, जैसे फलों के अलावा मिर्च, बैंगन, टमाटर, भिण्डी, तुरई आदि सब्जियां ऑर्गेनिक विधि से लगाई गई हैं. प्रतिदिन एक किलो टमाटर उन्हें मिल जाते हैं, घर के अलावा पड़ोसियों को भी सब्जियां खूब भा रही हैं. ऐसे ही पमाना जिला जालौर की महिला लालूदेवी पत्नी नागजीराम, मरगां पत्नी गजाराम ने बताया कि उनके कीचन गार्डन से साल भर हरी सब्जियां मिलती रहती हैं. सर्दियों में पत्ता गोभी फूल गोभी सेमफली, मिर्च के अलावा इस वक्त टमाटर, लौकी, बैंगन की सब्जियां मिल रही हैं. लॉकडाउन के दौरान जब गांव में हरी सब्जियां नहीं मिल रही हैं तो हमारे घर पर हमेशा हरी सब्जी बनती है. गांव की अन्य महिलाओं ने भी कीचन व न्यूट्री गार्डन बना रखा है. शिव जिला बाड़मेर की स्वरूपदेवी ने बताया कि उन्होंने श्योर केवीके की गृहविज्ञान विशेषज्ञ रेखा दातवानी के मार्गदर्शन में महिलाओं का एक समूह बना रखा है. हम सभी महिलाएं अपने-अपने किचन गार्डन में साल भर प्राप्त होने वाली अलग अलग सीजन की सब्जियां लगाती हैं. इस वक्त ये ही हमारा सहारा बन रही हैं. अगले वर्ष से हम और अधिक सब्जियां लगाएंगे जोकि कभी भी काम आ सकती हैं.
किचन गार्डन का नया रूप न्यूट्री गार्डन है. संतुलित भोजन में आवश्यक पोषक तत्वों को ध्यान में रखकर सभी प्रकार की सालाना सतत मिलने वाली सब्जियां लगाई जाती हैं. जिसमें कार्बोहाईड्रेट, प्रोटीन, विटामिन्स की पूर्ति करने वाली सब्जियों का विशेष समायोजन होता है. न्यूट्री गार्डन में छोटी नर्सरी भी होती है. जिसमें आगामी सीजन हेतु पौध तैयार कर ली जाती है. कृषि विज्ञान केन्द्र केशवना जालौर में कार्यरत गृह विज्ञान विशेषज्ञ डॉ नेहा गहलोत ने बताया कि न्यूट्री गार्डन केवल बंद के दौरान ही नहीं, ये हमेशा सतत रूप से महिलाओं का सहयोग करते हैं. इनका आर्थिक लाभ भी है. सब्जियों हेतु किसी भी प्रकार के खर्च से बच सकते हैं. सभी महिलाएं न्यूट्री गार्डन बनाकर अपने परिवार को आर्थिक सहयोग दे सकती हैं. यह ग्रामीण महिलाओं के अलावा शहरी महिलाओं के लिए भी इतना ही महत्वपूर्ण है. शहरों में अपने घर के आस पास, छत पर जहां भी जगह मिले न्यूट्रीगार्डन बना सकते हैं. ऐसे ही हरियाणा के शाहाबाद मारकंडा नामक जगह की रहने वाली प्रीती शर्मा भी अपनी छत पर कई तरह की सब्जियां उगाई है. इसके साथ ही वे न्यूट्री गार्डन बनाने के लिए गमलों का भी प्रयोग कर रही हैं. उनका मानना है कि अगर हम दैनिक कार्यों के अलावा न्यूट्री गार्डन में समय देते है तो मानसिक रूप से ताजेपन का एहसास होने के साथ ही शरीर को एक प्रकार से प्राकृतिक शक्ति भी मिलती है.
प्रस्तुति-अरविन्द सुथार, कृषि विशेषज्ञ, जालौर राजस्थान 8769941299