तकनीक के साथ बदलते कृषि के स्वरुप को देखते हुए किसानों के लिए फसल उत्पादन का बढ़ाने की जो चुनौती थोड़ी आसान हो गयी है. फसलों की बुवाई करने के तरीके, सिंचाई करने के तरीके आदि में परिवर्तन और नयी तकनीकों के इस्तेमाल से किसानों के लिए यह काफी आसान हो गया है. मध्य प्रदेश में दलहन का उत्पादन बड़े स्तर किया जाता है मुरैना क्षेत्र में दलहन का अधिक उत्पादन होता हैं.
इसी को ध्यान में रखते हुए आँचलिक कृषि अनुसंधान केन्द्र, मुरैना ने किसानों को खरीफ की दलहन की बुवाई करने के लिए बैड प्लांटिंग की सलाह दी है. इसके लिए आँचलिक कृषि अनुसंधान केन्द्र, मुरैना में संचालित फार्मर फर्स्ट परियोजना के अंतर्गत अनुसंधान केन्द्र के सह संचालक डॉ. एस.एस.तोमर ने बताया कि बैड़ प्लाटिंग तकनीक खरीफ दलहनों के लिए बहुत उपयोगी विधि है किसान भाई ज्यादा से ज्यादा उपयोग कर उत्पादन बढ़ा सकते हैं. प्रमुख वैज्ञानिक, वैज्ञानिकों एवं अन्य कर्मचारियों द्वारा चिन्हित ग्रामों में किसानों के खेतों पर अरहर की बुवाई बैड विधि से कराई गई, साथ-2 अरहर में अन्तवर्ती फसल के रूप में (2 पंक्तियों के बीच में एक पंक्ति ) उड़द फसल बुवाई कराई गई. बेड विधि से फसलों की बुवाई कराने का मुख्य उद्देश्य अनुपयोगी जल या अधिक वर्षा की स्थिति में नाली के द्वारा खेत से जल बाहर निकल जाता है जिसके कारण फसल की जड़ों में वायु का आवागमन सुचारू रूप से होता रहता है और वानस्पतिक वृद्वि भी अधिक होती है साथ ही साथ रोग, कीटों एवं खरपतवार का भी प्रकोप कम होता है तथा वर्षा न होने की दशा में बेड के साथ बनी नालियों से सिंचाई कर कम पानी में अधिक क्षे़त्रफल की सिंचाई हो जाती है. जिसके कारण उपज में 10-20 प्रतिशत वृद्वि होती है.
क्या है बैड प्लांटिंग विधि (What is Bed Planting Method)
बैड प्लांटिंग फसल बुवाई की वो पड़ती है जिसमें फसल को मिटटी के मशीन से बैड की तरह(चौड़ी मेड के समान नालीदार कूड़ ) बनाया जाता है, जिसके बाद कुंड बन जाते हैं इन्ही कुंड से सिंचाई की जाती है. सिमिट ने एक स्थायी फरो सिंचित रेज्ड बैड प्लांटिंग तकनीक विकसित की है. फरो सिंचित रेज्ड बैड प्लांटिंग 25-40 प्रतिशत जल, 25 प्रतिशत पोषक तत्व व 20-30 प्रतिशत बीज बचाती है.
बैड प्लांटिंग विधि के फायदे (Advantages of Bed Planting Method)
1. सिंचाई जल के प्रबंधन में सुधार होता है.
2. इस तरह रोपण से पहले खरपतवार नियंत्रण का अवसर प्रदान करता है.
3. पौधे की बढ़त बेहतर होती है .
4. खरपतवारों को फसल चक्र में जल्दी से नियंत्रित किया जा सकता है.
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5. कटाई में काम समय लगता है.
6. गेहूं की कटाई और पुआल को जलाने के बाद, सोयाबीन की फसल बोने के लिए बेड को फिर से खोल दिया जाता है.
7. इससे निराई और गुड़ाई आसान हो जाती है.