भारत में भैंस पालन बड़े पैमाने पर किया जाता है. इससे देश की लगभग 55 फीसदी दूध आपूर्ति होती है. कुल दूध उत्पादन में 20 मिलियन टन दूध भैंस से मिलता है. ऐसे में भैंस का पालन किसानों के लिए आय का अच्छा माध्यम बन सकता है. यदि आप भी भैंस पालन शुरू कर ज्यादा से ज्यादा दूध उत्पादन करना चाहते हैं, तो इन 5 बातों का विशेष ध्यान रखें-
अच्छी नस्ल का चयन (Good Breed Selection)
भैंस पालन के लिए अच्छी नस्ल की भैंस का चुनाव करना बेहद आवश्यक है. भारत में मुर्रा भैंस सबसे ज्यादा दूध देने वाली नस्ल है जो प्रतिदिन 10 से 20 लीटर दूध देती है. गाय की तुलना में भैंस के दूध में फैट की मात्रा अधिक होती है. इसलिए इसके दूध का भाव भी अच्छा मिलता है. भैंस के दूध में 7 प्रतिशत फैट होता है. वहीं भैंस की यह नस्ल हर जलवायु में पाली जा सकती है. वैसे तो भैंस की यह नस्ल हरियाणा और पंजाब प्रांतों में पाई जाती है लेकिन इसे पूरे भारत में पाला जाता है.
स्ंतुलित आहार देना चाहिए (Should be given a balanced diet)
ज्यादा दूध उत्पादन के लिए भैंस को संतुलित आहार देना बेहद जरुरी होता है. यदि भैंस को संतुलित आहार नहीं मिलेगा तो अपेक्षित दूध का उत्पादन नहीं हो पाएगा. तो आइए जानते हैं कैसा हो भैंस को दिए जाने वाला आहार-
-प्रतिदिन 10 लीटर तक की दूध देने वाली भैंस को दिनभर में 4 किलो दाना देना चाहिए.
-भैंस को दिनभर में गेहूं का 3 से 4 किलो भूसा खिलाना चाहिए.
-वहीं भैंस को पूरे दिन में 20 से 25 किलो तक हरा चारा देना चाहिए.
दाना बनाने के लिए रखें विशेष ध्यान (Take special care to make grains)
भैंस के लिए दाना बनाने से पूर्व कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए. यदि आप भैंस के लिए संतुलित दाना बनाएंगे तभी वह ज्यादा दूध उत्पादन करेगी. संतुलित दाना बनाने के लिए गेहूं, जौ, बाजरा और मक्का की बराबर मात्रा में मिलाएं. अब इसमें 32 किलो खली मिलाएं. यह खली मूंगफली, सरसों, अलसी या बिनौला किसी की भी हो सकती. अब इसमें 35 किलो गेहूं, चना, दाल का चोकर मिलाएं. दो किलो खनिज लवण और एक किलो नमक मिलाकर रोजाना संतुलित मात्रा में भैंस को खिलाएं.
हर साल बच्चा पैदा करें (Give birth every year)
भैंस पालन के दौरान इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि भैंस हर साल बच्चा दें. तभी आप भैंस पर किए जाने वाला खर्च निकाल पाएंगे. यदि भैंस हर साल बच्चा नहीं दे रही है तो पशु डॉक्टर को दिखाएं. वहीं भैंस का वजन 350 किलोग्राम होना चाहिए.
आरामदायक बाड़ा (Comfortable enclosure)
भैंस के लिए हवादार और आरामदायक बाड़ा होना चाहिए. ऐसे बाड़े का निर्माण करना चाहिए जिसमें तीनों मौसम बारिश, सर्दी और गर्मी में भैंस आराम से रह सके. बाड़े में नमी नहीं रहना चाहिए वहीं बाड़े में मक्खी और मच्छर न आए इसके लिए उचित प्रबंधन करना चाहिए. मच्छर से बचाव के लिए मच्छरदानी लगाएं.
रोग नियंत्रण (disease Control)
भैंस को होने वाले प्रमुख रोग जैसे खुरपका, मुंहपका, पेट के कीड़े और गलाघोटू का टीका जरूर लगवा लेना चाहिए. यदि भैंस को ये बीमारियां है तो वह ठीक से दूध नहीं देगी. साथ ही भैंस को थनैला नामक रोग भी लगता है इसकी सही समय पर पहचान करके उपचार करवाना चाहिए.