सोमानी क्रॉस X-35 मूली की खेती से विक्की कुमार को मिली नई पहचान, कम समय और लागत में कर रहें है मोटी कमाई! MFOI 2024: ग्लोबल स्टार फार्मर स्पीकर के रूप में शामिल होगें सऊदी अरब के किसान यूसुफ अल मुतलक, ट्रफल्स की खेती से जुड़ा अनुभव करेंगे साझा! Kinnow Farming: किन्नू की खेती ने स्टिनू जैन को बनाया मालामाल, जानें कैसे कमा रहे हैं भारी मुनाफा! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 11 August, 2020 3:05 PM IST

हिमालय के दुर्गम इलाकों में एक नायाब जड़ी पाई जाती है, जिसको दुनिया की सबसे महंगी जड़ी बूटी कहा जाता है. इस जड़ी बूटी से अनुभवी लोग लाखों रुपए कमा रहे हैं. यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है. इसको हिमालय वायाग्रा या यार्सागुम्बा के नाम से भी जाना जाता है. आमतौर पर लोग इससे कीड़ा जड़ी (Keeda jadi) के नाम से जानते है. यह अपने कामोद्दीपक गुणों की वजह से काफी मशहूर है. बता दें कि हिमालय में बर्फ पिघलने पर नेपाल के सैकड़ों ग्रामीण इस जड़ी बूटी को इकट्ठा करने के लिए चोटी की ओर भागते है. वे लोग बहुत सावधानी से इसे साफ़ करके अपने पास रख लेते है. कीड़ा जड़ी के लाजवाब औषधीय गुणों की वजह से इसकी कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में करीब 20 से 25 लाख रुपए प्रति किलो तक है. आइए आपको बताते हैं कि कीड़ा जड़ी की खेती (Worm herb farming) कैसी की जाती है और इसके क्या-क्या फायदे हैं.

कीड़ा जड़ी की खेती (Keeda jadi farming)

सबसे पहले बता दें कि कीड़ा जड़ी एक तरह की फफूंद है, जो पहाड़ों के लगभग 3500 मीटर की ऊंचाई वाले इलाकों में पाई जाती है, जहां ट्रीलाइन ख़त्म हो जाती है, यानी जहां पेड़ उगने बंद हो जाते हैं. एक कीट का कीट का प्यूपा लगभग 5 साल पहले हिमालय और तिब्बत के पठारों में भूमिगत रहता है. अपने सूँडी बनने के दौरान,इस पर ओफियोकार्डिसिपिटैसियस वंश की फफूँदी द्वारा हमला किया जाता है, जो अपने जाल में लपेटकर इस कीड़े को मारता है. इसके बाद यह फफूँदी सूँडी के शरीर में प्रवेश करती है. यह सूँडी से ऊर्जा को चूसने और कीड़े के सिर के माध्यम से अपना रास्ता निकालता है. इसके बाद यह फफूँदी (मशरूम) सूँडी के माथे से निकलती है. इस तरह कीड़ा जड़ी प्राप्त होती है. यह एक विशेष प्रकार की जड़ी बूटी है, जिसकी खेती हर जगह पर नहीं उगती है. कहा जाता है कि इस जड़ी बूटी के लिए सबसे अच्छा मौसम जून से अगस्त होता है. वर्तमान में इसको नियंत्रित वातावरण में ग्रीन हाउस के अंदर विकसित किया जा रहा है.

कीड़ा जड़ी की पहचान (Identification of worm herb)

अगर आप कीड़ा जड़ी की ठीक से पहचान नहीं कर पाते हैं, तो हम आपको बता दें कि कीड़ा जड़ी मुख्य रूप से एक कीड़े की तरह होती है, जोकि उगते समय हरे रंग की दिखाई देती है. कीड़ा जड़ी खुरदरा होता है और यह कई जगहों से नुकीला रहता है. इसको खाने के लिए छीला जाता है या फिर कीड़ा जड़ी को चूर्ण या पाउडर में पीसा जाता है.

ये खबर भी पढ़े: CPRI ने विकसित की पहाड़ी आलू की नई किस्म, कम समय में मिलेगा ज्यादा भंडारण

कीड़ा जड़ी खाने का तरीका (How to eat worm herbs)

कीड़ा जड़ी को खाने का तरीका बहुत आसान होता है. एक स्वस्थ व्यक्ति एक बार में करीब 0.3 से 0.7 ग्राम के बीच इसका सेवन रोजाना कर सकता है. आप कीड़ा जड़ी को इस तरीके से खा सकते हैं.

  • गर्म पानी में घोलकर.

  • कीड़ा जड़ी क चूर्ण को दूध में मिलाकर पी सकते है.

  • सम्पूर्ण जड़ी बूटी के रूप में.

  • अन्य किसी प्रकार के पेय में मिलाकर.

  • कई मामलों में इसके ज्यादा सेवन की सलाह दी जाती है.

कीड़ा जड़ी के गुण (Properties of wormwood)

  • इस फंगस में प्रोटीन, पेपटाइड्स, अमीनो एसिड, विटामिन बी-1, बी-2 और बी-12 जैसे पोषक तत्व होते हैं, जोकि शरीर को ताक़त देते हैं.

  • खिलाड़ियों का जो डोपिंग टेस्ट किया जाता है, उसमें ये पकड़ा नहीं जाता.

  • किडनी के इलाज में इसे जीवन रक्षक दवा माना गया है.

  • कीड़ा जड़ी को फेफड़ों और गुर्दे को मजबूत करने, ऊर्जा और जीवन शक्ति को बढ़ाने, रक्तचाप को रोकने, कर्कश को कम करने के लिए भी शक्तिशाली माना जाता है.

  • पीठ दर्द, शुक्राणु उत्पादन में वृद्धि और रक्त उत्पादन में वृद्धि के लिए उपयोग किया जाता है.

  • इसके अलावा सांस, अस्थमा, नपुंसकता, उत्सर्जन, कमर और घुटनों, चक्कर आना और टिनिटस की सूजन की कमी के लिए लाभकारी है.

  • कीड़ा जड़ी का उपयोग ट्यूमर रोगियों की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए भी किया जाता है.

  • यह जीवन शक्ति और सहनशक्ति को बढ़ाने में मदद करता है.

ये खबर भी पढ़े: एक पौधे में फलेगा 19 किलो टमाटर, 150 दिनों में तैयार होगी फसल

English Summary: Keeda jadi farming information for farmers
Published on: 11 August 2020, 03:15 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now