Prepare jeevamrut at home: जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए किसान पारंपरिक तरीकों और जैविक खादों का उपयोग कर सकते हैं. इनमें से एक है “जीवामृत”, जो मिट्टी की उर्वरकता को बढ़ाने और फसल की गुणवत्ता सुधारने में अहम भूमिका निभाता है. जीवामृत जैविक खेती के लिए एक क्रांतिकारी समाधान है. यह न केवल लागत को कम करता है, बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रखता है. किसान इसे अपनाकर अपनी फसल की उपज और गुणवत्ता को बेहतर बना सकते हैं. यह सस्ता और असरदार है, जिसे घर पर भी आसानी से तैयार किया जा सकता है.
आइये कृषि जागरण के इस आर्टिकल में जानें, घर पर जीवामृत तैयार करने की प्रक्रिया.
जीवामृत बनाने के लिए आवश्यक सामग्री
जीवामृत एक प्राकृतिक जैविक खाद है, जिसे किसान अपनी फसलों की वृद्धि और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए उपयोग करते हैं. इसे बनाने के लिए 10 किलो देशी गाय का गोबर, 10 लीटर गोमूत्र, 1 किलो गुड़, 1 किलो बेसन, खेत की ऊपरी सतह से ली गई एक मुट्ठी मिट्टी और 200 लीटर पानी की आवश्यकता होती है. इन सभी का मिश्रण पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करने के साथ-साथ मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की सक्रियता को भी बढ़ाता है.
जीवामृत बनाने की विधि
- बर्तन का चयन करें: सबसे पहले, एक बड़े ड्रम या टंकी का चयन करें. यह ड्रम प्लास्टिक या लोहे का हो सकता है, लेकिन सुनिश्चित करें कि यह साफ और रिसाव मुक्त हो.
- सभी सामग्री मिलाएं: ड्रम में 200 लीटर पानी भरें. फिर इसमें गोबर, गोमूत्र, गुड़, बेसन और मिट्टी डालें.
- अच्छी तरह मिलाएं: इन सभी सामग्री को लकड़ी की मदद से अच्छे से मिलाएं ताकि यह समान रूप से घुल जाए.
- फर्मेंटेशन प्रक्रिया: ड्रम को किसी छायादार जगह पर रखें और इसे ढक्कन से ढक दें. लेकिन ध्यान दें कि हवा का हल्का आवागमन बना रहे.
- रोजाना चलाएं: इस मिश्रण को 4 से 7 दिनों तक रोजाना 2-3 मिनट तक लकड़ी से चलाएं. यह प्रक्रिया फर्मेंटेशन के लिए जरूरी है.
जीवामृत का उपयोग कैसे करें?
- फसल पर छिड़काव: जीवामृत को पानी में मिलाकर फसल पर स्प्रे करें. यह फसल को पोषण देता है और कीटों से बचाव करता है.
- मिट्टी में मिलाएं: जीवामृत को खेत की मिट्टी में मिलाने से मिट्टी के सूक्ष्मजीव सक्रिय हो जाते हैं, जिससे मिट्टी उपजाऊ बनती है.
जीवामृत के फायदे
- मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि: जीवामृत में मौजूद सूक्ष्मजीव मिट्टी के पोषण तत्वों को सक्रिय करते हैं.
- फसल की गुणवत्ता में सुधार: इसका उपयोग करने से फसल अधिक स्वास्थ्यवर्धक और स्वादिष्ट होती है.
- सस्ता और प्राकृतिक विकल्प: यह रासायनिक खादों की तुलना में बेहद सस्ता और पर्यावरण के अनुकूल है.
- जल संरक्षण में सहायक: जीवामृत के उपयोग से मिट्टी की जल धारण क्षमता बढ़ती है.
सावधानियां
- जीवामृत को छायादार स्थान पर ही रखें.
- इसे 7 दिनों के अंदर उपयोग कर लें, क्योंकि इसके बाद इसका प्रभाव कम होने लगता है.
- मिश्रण को ठीक से चलाना न भूलें, वरना फर्मेंटेशन प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है.