खेती में बीज की महत्ता को कम नहीं आँका जा सकता. बीज कृषि उत्पादन की प्रमुख कड़ी है. उन्नत किस्म के बीज का चुनाव करने के साथ-साथ यदि बीज को उपचारित किया जाए तो कीट व रोगों से नियंत्रण के साथ पोषक तत्वों की उपलब्धता में बढ़ोतरी होती है. बीज उपचार से फसलों में 10 से 15% तक होने वाली हानि को कम किया जा सकता है. रबी की प्रमुख फसलों में बीज उपचार इस प्रकार किया जा सकता है-
गेहूं (Wheat)
ईयर कोकल व टुंडु रोग से बचाव के लिए बीज को 20% नमक के घोल में डुबोकर ऊपर तैरते हुए हल्के बीजों को निकालकर नष्ट कर देना चाहिए क्योंकि ये बीज रोग ग्रस्त या खराब होते है. अब नीचे बचे स्वस्थ बीज को अलग निकाल कर साफ पानी से धोएं और सुखाकर बोने के काम में ले सकते है.
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बीज जनित रोगों के बचाव हेतु 2 ग्राम थाइरम या या 2.5 ग्राम मैनकोज़ेब प्रति किलो बीज की दर से उपचारित कर बुवाई करें.
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जिन क्षेत्रों में अनावृत कंडवा (Loose smut) एवं पत्ती कंडवा रोग का प्रकोप को वहां नियंत्रण हेतु 2 ग्राम कार्बेण्डजिम या 2.5 ग्राम मेंकोजेब प्रति किलो बीज की दर से उपचार करें.
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दीमक नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 600 FS की 1.5 मिलीलीटर मात्रा को अवश्यकतानुसार पानी में मिलाकर उसका घोल बीजों पर समान रूप से छिड़काव कर उपचारित करें.
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लवणीय मिट्टी या खारे पानी वाले क्षेत्रों में गेहूं के बीज को 50 लीटर पानी में 1.5 किलो सोडियम सल्फेट मिलाकर 8 घंटे भिगोना चाहिए. बीज उपचार से मिट्टी एवं खारे पानी का परीक्षण अवश्य कराना चाहिए और सिफारिश के गई उर्वरक की मात्रा का ही उपयोग करें.
सरसों (Mustard)
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सरसों के बीज को बुवाई से पूर्व 2.5 ग्राम मेंकोजेब 75 WP या 3 ग्राम थाइरम 80 WP प्रति किलो बीज की दर से उपचारित कर बुआई करें.
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जिन क्षेत्रों में सफेद रोली (White rust) का प्रकोप ज्यादा होता है वहां एप्रोन 35 SD दवा की 6 ग्राम मात्रा या मेटालेक्सल 35 SD की 5-6 ग्राम मात्रा प्रति किलो बीज को उपचारित करना चाहिए.
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जैविक माध्यम से बीज को 10 ग्राम ट्राइकोडरमा फफूंदनाशी प्रति किलो बीज की दर से उपचारित किया जा सकता है. इसके पश्चात एक हेक्टेयर के बीज को तीन पैकेट पीएसपी व तीन पैकेट एजोटोबेक्टर कल्चर से उपचारित करने के पश्चात बुवाई करनी चाहिए.
चना (Gram)
चने की फसल में जड़ गलन एवं सूखा जड़ गलन रोगों की रोकथाम के लिए 2 ग्राम कार्बेंडाजिम 50 WP या 2.5 ग्राम ग्राम थाइरम 80 WP प्रति किलो बीज की दर से उपचारित कर बुआई करें.जिन क्षेत्रों में दीमक का प्रकोप हो वहां फिपरोनिल 5 SC 10 मिलीलीटर प्रति किलो बीज की दर से बीज उपचार करें. कट वर्म से ग्रसित क्षेत्र में बीज को 10 मिलीलीटर क्यूनोल्फास 25 EC प्रति किलो बीज की दर से मिलाकर उपचारित करने के बाद ही बुवाई करें. अंत में बीज को राइजोबियम कल्चर तीन पैकेट (600 ग्राम) प्रति हेक्टेयर से उपचारित करें. इसके लिए 1 लीटर पानी में 250 ग्राम गुड को मिलाये तथा इसे गर्म करें, इसके बाद घोल को ठंडा होने पर ही राइजोबियम कल्चर तीन पैकेट (600 ग्राम) अच्छी तरह से मिलाकर बीजों पर पतली परत चढ़ाएं. यह मात्रा 1 हेक्टेयर बीजों के लिए प्रयाप्त है.
जौं (Barley)
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बीज द्वारा फैलने वाली बीमारियों जैसे आवृत कंडवा (Covered smut) एवं पत्ती धारी (Leaf strip) रोग से फसल को बचाने हेतु बीज को बोने से पूर्व ढाई ग्राम मैनकोज़ेब या 3 ग्राम थाइरम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें.
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जहां अनावृत कंडवा (Loose smut) रोग का प्रकोप को वहां 3 ग्राम कार्बोक्सिन 37.5%+ थाइरम 37.5% DS नाम के दवा से बीज उपचारित करें.
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यदि सिर्फ दीमक का ही प्रकोप हो तो बीज को फिप्रोनिल 5 SC 6 मिलीलीटर प्रति किलो बीज से उपचारित करे. अंत में बीज को राइजोबियम कल्चर तीन पैकेट प्रति हेक्टेयर से उपचारित करें. उपचारित बीजों को छाया में सुखकर तुरंत बाद बुवाई कर दे. ध्यान रखे रसायनिक फफूंदनाशी और जैविक फफूंदनाशी दोनों को एक साथ बीज उपचार में उपयोग न करें.