नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद करेंगे कृषि जागरण के 'मिलियनेयर फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड्स' के दूसरे संस्करण की जूरी की अध्यक्षता Millets Varieties: बाजरे की इन टॉप 3 किस्मों से मिलती है अच्छी पैदावार, जानें नाम और अन्य विशेषताएं Guar Varieties: किसानों की पहली पसंद बनीं ग्वार की ये 3 किस्में, उपज जानकर आप हो जाएंगे हैरान! आम को लग गई है लू, तो अपनाएं ये उपाय, मिलेंगे बढ़िया ताजा आम एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! Organic Fertilizer: खुद से ही तैयार करें गोबर से बनी जैविक खाद, कम समय में मिलेगा ज्यादा उत्पादन
Updated on: 25 April, 2019 12:19 PM IST

मध्यप्रदेश समेत देशभर में सात लाख 92 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में मिर्च की खेती को व्यापक स्तर पर किया जा रहा है. मध्यप्रदेश में एशिया की सबसे बड़ी मिर्च की मंडी है. एशिया की सबसे बड़ी मंडी से व्यापारी सीधे मिर्च की उपज खरीद कर अपने लोगो को लगाकर इसे देश सहित विदेशों में भी निर्यात करने का कार्य कर रहे है. यदि हम मिर्च की  सही तरह से उसकी देखभाल अनुसार लगाए तो इसकी गुणवत्ता और रंग दोनों ही बरकरार रहेगा. इसीलिए कृषि वैज्ञानिकों ने एक नई टनल तकनीक को विकसित किया है. इस तकनीक में मसाला फसल तैयार करने के लिए किसानों को पूरा तरह से प्रशिक्षित किया जा रहा है. अब मध्य प्रदेश में भी उत्पादित मिर्च की गुणवत्ता अन्य क्षेत्र की अपेक्षा काफी बेहतर होगी. किसानों में मसाला फसलों की कटाई के बाद रखरखाव में जागरूकता की कमी, मसालों के लिए भंडारण और पैंकिग के लिए पर्याप्त सुविधा का अभाव में मसालों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मानकों से अधिक रासायनिक कंटेट मसालों के अंदर आ जाते है.

मिर्च की गुणवत्ता बेहतर

तुड़ाई के बाद मिर्च की गुणवत्ता को बरकरार रखना चुनौती है. किसान मिर्च की तुड़ाई करके खेत और खलिहान में मिर्च को सुखाते है. अगर यह जमीन के संपर्क में आ जाता है तो इसमें फंगस लग जाता है. बाद में लाल मिर्च का रंग उड़ जाता है. मिर्च के सूखने में कुल 15 से 20 दिन का समय लग जाता है. इसमें तैयार टनल के तकनीक से एंदर का तापमान 12 से 15 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है. यह टनल तकनीक में सीधे धूप के संपर्क में नहीं आती है इसीलिए इससे रंग नहीं उड़ता है. मसाले में नमी और फंगस के साथ ही साल्मोनेला नामक जीवाणु की जांच होती है. इससे फसल छिड़कने वाले कीटनाशकों के मापदंड की जांच होती है.

क्या है टनल तकनीक

इस तकनीक में एक तरह से टनल के अंदर सब्जियां पैदा की जाती है. लोहे के सरिए और पॉलीथीन शीट से छोटी और लंबी टनल को बनाया जाता है. इस टनल के अंदर सब्जियों को बोने के बाद ड्रिप सिस्टम से सिंचाई कर ली जाती है. टनलस की मदद से सब्जी की फसल को ज्यादा गर्मी और सर्दी से बचाया जा सकता है. मौसम फसल के अनुकूल होने के बाद टनल को हटा दिया जाता है. इस तरह से किसान पॉली टनल में अगेती फसल पैदा कर रहे है. इस तरह से किसान पॉली टनल में अगेती फसल को आसानी से पैदा कर सकते है.

मिर्च में फ्लेबर की बाधा

इन सभी मसालों में फंगस लगने, जीवाणु लगने, और उनसे निकलने वाले जहर की वजह से फसलों को नुकसान होता है. विश्व प्रसिदध जोधपुर की मिर्च में एसपर्जीलस फ्लेवर फंगस की मात्रा के अधिक होने के कारण पिछले कुछ दिनों से निर्यात में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इसी प्रकार जीरा, मैथी, धनिया, सौंफ मसलों में अलग-अलग तरह के फंगस लगते है जो कि फसलों को सबसे ज्यादा नुकासन पहुंचाते है.

English Summary: Increase in the cultivation of red pepper using tunnel technology
Published on: 25 April 2019, 12:25 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now