हमारे दैनिक उपयोग में आने वाली मसाला जातीय जो फसलें आती हैं उसमें अदरक महत्वपूर्ण है. वैसे तो देश के प्रायः सभी भागों में अदरक पाया जाता है लेकिन कुछ खास किस्म के अदरक हैं जिसका उत्पादन देश के कुछ विशेष प्रदेशों में व्यापक मात्रा में होता है. पुरे विश्व में अदरक उत्पादन में भारती की करीब 45 प्रतिशत हिस्सेदारी है. अदर का उपयोग मसाला तैयार करने, दवाइयां बनने, मिष्ठान बनाने और घरेलू चिकित्सा में होता है. भारत में इसका अधिकतर उत्पादन केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र राज्यों में होता है.
भारत में अदरक की कुछ अच्छी किस्मे हैं. हमारे देश में उच्च गुणवत्ता वाले अदरक की जो किस्में पाई जाते हैं उसमें नदिया, मरान, जोरहट, सुप्रभा, सुरूचि, सुरभि, वारदा, महिमा, अथिरा, अस्वाथी और हिमगिरी आदि शामिल है. अधिक उत्पादन करने के लिए स्थानीय किसानों को अपने क्षेत्र विशेष के आधार पर अदरक की किस्में तय कर खेती करनी चाहिए. भूमि, जलवायु और किस्मों के आधार पर अदरक की उन्नत खेती करने के बारे में हम यहां कुछ खास जानकारी दे रहे हैं जिससे किसानों को फायदा हो सकता है.
खेती की विधिः अदरक की जैविक खेती बहुस आसान है. इसलिए इसकी खेती हर तरह से सुरक्षित और किसानों के लिए फायदेमंद है. कम लागत में अदरक की अच्छी खेती कर किसान लाभ कर सकते हैं. अदरक की अच्छी उपज के लिए थोड़ी गर्म तथा नम जलवायु उत्तम माना जाता है. अच्छी पैदावार के लिए 20 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान इसके लिए अच्छा होता है. इससे ज्यादा तापमान होने पर फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. 10 डिग्री सेंटीग्रेट से कम तापमान पर पत्तों और प्रकन्दों को नुकसान पहुंचता है. बुआई से लेकर अंकुर फूटने तक हल्की नमी और फसल बढ़ते समय मध्यम वर्षा अच्छा माना जाता है. अदरक की खेती मानसून पूर्व वर्षा के समय करना अच्छा है. फसल के उखाड़ने के एक माह पहले मौसम शुष्क होना चाहिए. वर्तमान मानसून में अदरक की खेती शुरू की जा सकती है.
भूमिः जलवायु के अतिरिक्त अदरक की खेती के लिए भूमि का चयन भी मायने रखता है. जैविक खेती से अधिक उपज के लिए एक प्रतिशत जैविक कार्बन पदार्थ की मात्रा के साथ हल्की दोमट या बलूई दोमट मिट्टी अदरक की खेती के लिए उयुक्त होती है. अदरक की खेती के लिए ऊंची जमीन एवं जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए. भारी तथा क्षारीय भूमि अदरक की खेती के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है. इसलिए अदरक की खेती के लिए ऊंची और दोमट बलुई मिट्टी का चय करना चाहिए.
अदरक की खेती के लिए एक बार मिट्टी पलटने वाली हल से जुताई करने के बाद भी तीन- चार बार देशी हल या कल्टीवेटर से जुताई करनी पड़ती है. प्रत्येक जुताई के बाद पाटा अवश्य लगाना चाहिए ताकि मिट्टी भूरभूरी और समतल हो जाए. अंतिम जुताई से 3 - 4 सप्ताह पूर्व खेत में 30 -35 टन सड़ी- गली गोबर की खाद डाल देना चाहिए. गोबर का खाद देने के बाद एक या दो बार खेत की जुताई कर देने से अदरक का उत्पादन पर्याप्त मात्रा में होता है.
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