किसी भी फसल की खेती से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए उसकी अच्छी किस्मों की जानकारी होना चाहिए. ताकि उत्पादन के साथ–साथ अधिक मुनाफा भी मिल सके. इसी क्रम में आज हम आपको तोरई की कुछ उन्नत किस्मों की जानकारी देने जा रहे हैं. तोरई की उन्नत किस्मों में घिया तोरई, पूसा नसदार, सरपुतिया, को.-1 (Co.-1), पी के एम 1 (PKM 1) आदि प्रमुख हैं. इनकी बुवाई कर किसानों को अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है. इसके साथ अधिक मुनाफा भी मिलेगा.
किसान इन रतोरई की किस्मों से बहुत ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं इसका कारण यह है कि इनकी पैदावार के अनुसार लागत अन्य बीजों की अपेक्षा कम आती है. इसके साथ ही यह कम समय में तैयार हो जाती हैं.
घिया तोरई (Ghiya Luffa)
तोरई की इस किस्म के फल का रंग हरा होता है. भारत में इस किस्म की खेती आमतौर पर ज्यादा की जाती है. इस किस्म के यदि फलों की बात करें, तो इसके फल का छिलका पतला होता है. तोरई की इस किस्म में विटामिन की मात्रा अधिक पायी जाती है.
पूसा नसदार (Pusa Nasdar)
तोरई की इस किस्म का फल हल्का हरा होता है. इसकी ऊपरी सतह पर उभरी नसें की आकृति होती है. इस किस्म का गूदा सफ़ेद और हरा होता है. इसके साथ ही फल की लम्बाई 12-20 सेमी. होती है. इस किस्म की खासियत यह है कि इसकी उपज क्षमता 150-160 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.
सरपुतिया (Sarputia)
तोरई की इस किस्म के फल पौधों पर गुच्छों में लगते हैं. इनका आकार छोटा दिखाई देता है. वहीं, इस किस्म के फलों पर भी उभरी हुई धारियां बनी होती है. इसके फलों का बाहरी छिलका मोटा और मजबूत होता है. इस किस्म के तोरई मैदानी भागों में अधिक उगाये जाते हैं.
को.-1 (Co.-1)
इस किस्म को तमिलनाडु के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया है. इस किस्म का फल आकार में 60 – 75 से.मी. लम्बा होता है. इसके अलावा लम्बे, मोटे, हल्के, हरे रंग का होता है. इस किस्म की उत्पादन क्षमता 140-150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. पहली तुड़ाई बुवाई के 55 दिनों बाद की जा सकती है.
पी के एम 1 (PKM 1)
इस किस्म के फल देखने में गहरे हरे रंग का होते हैं. इसके साथ ही फल देखने में पतला, लम्बा, धारीदार एवं हल्का से मुड़ा हुआ होता है. इससे 280-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिल सकती है.
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कोयम्बूर 2 (Coimbatore 2)
तोरई की इस किस्म के फल आकार में पतले और कम बीज वाले होते हैं. इस किस्म से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज प्राप्त हो सकती है. इस किस्म के फल 110 दिन में पककर तैयार हो जाते हैं.