मटर की खेती पूरे भारत में व्यावसायिक रूप से की जाती है. वहीं, मटर की सालभर खेती की जाती है, लेकिन सर्दियों के दिनों में मटर की खेती हमारे देश में प्रमुख रूप से होती है
मटर की खेती हरी फली और दाल प्राप्त करने के लिए किया जाता है. इसके अलावा मटर उपयोग कई पकवानों को बनाने में भी किया जाता है. मटर सब्जियों के स्वाद को दोगुना कर देती है.
मटर में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस, रेशा, पोटाशियम और विटामिन जैसे मुख्य पोषक तत्व पाए जाते हैं. बता दें कि मटर में पाए जाने वाले पोषक तत्त्व हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायी होते हैं. आज हम इस लेख में आपको मटर की कुछ उन्नत किस्मों के बारे में बताएंगें, जो अधिक उपज देती है.
मटर की उन्नत किस्में (Improved Varieties Of Peas)
आजाद मटर -1 (Azad Matar-1)
मटर की यह किस्म 50 – 55 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इसकी औसतन उपज 8 टन प्रति हेक्टेयर होती है. इस किस्म की मटर की फलियों की लम्बाई 10 सें.मी. के लगभग होती है. जिसमें 6 – 8 दाने पाए जाते हैं.
अर्केला (Arkela)
मटर की इस किस्म की फली चमकीली एवं आकर्षक सतह की होती है. इस किस्म की औसतन उपज 10- 13 टन प्रति हेक्टेयर होती है. इस किस्म की प्रति फली में औसतन 6 से 7 दाने पायें जाते हैं. इस किस्म के पौधे की लम्बाई एक से डेढ़ फिट के बीच होती है.
काशी उदय (Kashi Uday)
मटर की इस किस्म को साल 2005 में विकसित किया गया था. इसकी विशेषता यह है कि इसकी फली की लंबाई 9 से 10 सेंटीमीटर होती है. मटर की खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जिलों में की जाती है. इससे प्रति हेक्टेयर 105 क्विंटल तक का उत्पादन मिल सकता है.
काशी मुक्ति (Kashi Mukti)
मटर की यह किस्म उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार और झारखंड के लिए उपयुक्त मानी जाती है. इससे प्रति हेक्टेयर 115 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त हो सकता है. इसकी फलियां और दाने काफी बड़े होते हैं. खास बात यह है कि इसकी विदेशों में भी मांग रहती है.
काशी शक्ति (Kashi Shakti)
मटर की इस किस्म की फसल की लम्बाई तीन फीट के करीब होती है. इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 13 – 15 टन तक उत्पादन प्राप्त होता है. इस किस्म की प्रति फली में 5-6 दाने पाए जाते हैं.
पन्त मटर (Pant Peas)
मटर की यह किस्म 130 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म की औसतन उपज 15 टन प्रति हेक्टेयर होती है.
अर्ली बैजर (Early Badger)
मटर की यह किस्म के पौधे के लम्बाई एक से डेढ़ फिट होती है.
इस किस्म की प्रति फली में औसतन 6-8 दाने मटर के होते हैं. इस किस्म की औसतन उपज 10 टन प्रति हेक्टेयर होती है. इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है की इस किस्म की विदेशों में भी मांग रहती है.
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