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Updated on: 30 September, 2021 12:48 AM IST
Carrot

गाजर सर्दियों के मौसम की प्रमुख सब्जियों में से एक है. इसका मुख्य रूप से सलाद, सब्जी, हलवा, आचार आदि में उपयोग किया जाता है. गाजर में पाए जाने वाले एंटीओक्सिडेंट गुण एवं  विटामिन्स, बीटा कैरोटीन जैसे पोषक तत्व हमारी सेहत के लिए बहुत लाभदायी होते हैं

गाजर की खेती मुख्य रूप से हरियाणा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब और उत्तर प्रदेश में की जाती है.

गाजर एक ऐसी फसल है, जिसकी खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. आज हम अपने इस लेख में आपको गाजर की उन्नत किस्मों (Improved Varities Of Carrot) के बारे में बताने जा रहे है, जिसकी खेती कर किसान भाई काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

नैन्टिस किस्म (Nantis Variety)

गाजर के इस किस्म की खेती भारत के सम्पूर्ण क्षेत्र में की जाती है. इस किस्म की औसतन उपज 120 कुंटल प्रति हेक्टेयर होती है. इस किस्म की जड़ आकार में बेलनाकार होती है. यह किस्म नारंगी रंग की होती है. इस किस्म का गूदा स्वाद में मीठा होता है. गाजर की यह किस्म 110 से 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है

पूसा मेघाली (Pusa Meghalaya)

गाजर की इसी किस्म की खेती भारत के मध्य प्रदेश और महारष्ट्र राज्य में की जाती है. इस किस्म की औसतन उपज 250 कुंटल प्रति हेक्टेयर होती है. गाजर की यह किस्म 100 से 120 दिन में तैयार हो जाती है.

पूसा रुधिर (Pusa Blood)

गाजर की इस किस्म की खेती भारत के दिल्ली राज्य में की जाती है. इस किस्म की औसतन उपज  300 कुंटल प्रति हेक्टेयर होती है.

पूसा अन्सिता (Pusa Ansita)

गाजर की इस किस्म की खेती भारत के भारत के दिल्ली राज्य में की जाती है. इस किस्म की औसतन उपज 250 कुंटल प्रति हेक्टेयर होती है. गाजर की यह किस्म 90 से 110 दिन में पककर तैयार हो जाती है. गाजर की इस किस्म की बुवाई का उचित समय सितम्बर से अक्टूबर के बीच का महीना माना जाता है. 

गाजर की इन उन्नत किस्मों से किसानों को अच्छी पैदावार मिलेगी  एवं अच्छी फसल की उपज भी प्राप्त होगी. इसलिए सभी किसान भाई अपनी फसल की अच्छी उपज के लिए उन्नत किस्मों का ही चयन करें. 

ऐसे ही फसलों की उन्नत किस्मों की जानकरी जानने के लिए जुड़े रहिये कृषि जागरण हिंदी पोर्टल से.

English Summary: improved varieties of carrots which give high yield
Published on: 30 September 2021, 01:27 PM IST

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