किसानों के द्वारा हरी और लाल दोनों तरह की मिर्ची की खेती की जाती है. बाजार में इन दोनों ही मिर्ची की मांग काफी अधिक है. मिर्ची की खेती से अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए किसानों को इसकी उन्नत किस्मों को अपने खेत में लगाना चाहिए. इसी क्रम में आज हम आपके लिए मिर्ची की पांच बेहतरीन किस्मों की जानकारी लेकर आए हैं, जो कम लागत में अच्छा उत्पादन देंगी. जिन किस्मों की हम बात कर रहे हैं. वह अर्का मेघना, अर्का श्वेता, काशी अर्ली, पूसा सदाबहार और काशी सुर्ख आदि हैं. ये किस्में खेत में 60-70 दिनों के अंदर तैयार हो जाती हैं और साथ इनकी पैदावार क्षमता प्रति हेक्टेयर करीब 8-30 टन तक है.
अगर किसान इन किस्मों को अपने खेत में लगते हैं, तो यह उनके लिए मिर्च की खेती घाटे का सौदा नहीं, बल्कि मुनाफे का सौदा साबित होगा. दरअसल, मिर्ची की ये पांचों किस्में सूखी लाल और हरी मिर्च का अच्छा उत्पादन देती हैं. आइए इन किस्मों के बारे में विस्तार से जानते हैं-
मिर्ची की पांच उन्नत किस्में/ improved chilli varieties
मिर्ची की अर्का मेघना किस्म- मिर्ची की यह अगेती किस्म है. इसकी मिर्ची हरी और वहीं परिपक्व होने पर यह गहरे लाल रंग की हो जाती है. इस किस्म के पौधे लंबे और गहरे हरे रंग के होते हैं. इसकी फसल 150-160 दिन में पककर तैयार हो जाती है. मेघना किस्म की मिर्ची प्रति हेक्टेयर 5-6 टन सूखी लाल मिर्च और 30-35 टन हरी मिर्च का उत्पादन देती है.
अर्का श्र्वेता- इस किस्म की मिर्ची की लंबाई 13 से.मी और मोटाई 1.2 से 1.5 से.मी तक होती है. यह किस्म विषाणु रोग के प्रतिरोधी होती है. अर्का श्वेता किस्म की मिर्ची से किसान को प्रति हेक्टेयर 4-5 टन लाल मिर्च और 28-30 टन हरी मिर्ची का उत्पादन प्राप्त होती है.
काशी सुर्ख किस्म- मिर्च की काशी सुर्ख किस्म के पौधे 70-100 से.मी मोटे और एक दम सीधे होते हैं. यह किस्म लगभग 50-55 दिन में तैयार हो जाती है. इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 3-4 टन लाल मिर्च और 20-25 टन हरी मिर्च का उत्पादन प्राप्त होता है.
काशी अर्ली किस्म- मिर्ची की इस किस्म के पौधे छोटी गांठो वाले होते हैं, जो 45 दिन में ही फल देना शुरू कर देते हैं. किसान काशी अर्ली किस्म से प्रति हेक्टेयर 300-350 क्विंटल तक मिर्च का उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.
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पूसा सदाबहार किस्म- मिर्ची की पूसा सदाबहार किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के द्वारा विकसित किया गया है. यह किस्म सालभर किसानों को मुनाफा देती है. पूसा सदाबहार किस्म 60-70 दिन के अंदर पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 8-10 टन तक उपज प्राप्त होती है.