Success Story: एवोकाडो की खेती से भोपाल का यह युवा किसान कमा रहा शानदार मुनाफा, सालाना आमदनी 1 करोड़ रुपये से अधिक! NSC की बड़ी पहल, किसान अब घर बैठे ऑनलाइन आर्डर कर किफायती कीमत पर खरीद सकते हैं बासमती धान के बीज बिना रसायनों के आम को पकाने का घरेलू उपाय, यहां जानें पूरा तरीका भीषण गर्मी और लू से पशुओं में हीट स्ट्रोक की समस्या, पशुपालन विभाग ने जारी की एडवाइजरी भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! आम की फसल पर फल मक्खी कीट के प्रकोप का बढ़ा खतरा, जानें बचाव करने का सबसे सही तरीका
Updated on: 20 July, 2021 5:40 PM IST
Paddy Varieties

धान की विष्णुभोग सुगंधित किस्म विलुप्तप्राय किस्म मानी जाती है. दरअसल, इस किस्म के पौधों की ऊंचाई तक़रीबन 175 सेंटीमीटर तक होती है. यही वजह है कि तेज हवा चलने के कारण खड़ी फसल जल्दी गिर जाती है. जिसका असर पैदावार पर पड़ता है और किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता था. इसी वजह से किसानों ने इस किस्म को उगाना बंद कर दिया था. किसानों की इन्हीं समस्याओं को दूर करने के लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने इसकी उन्नत किस्में ईजाद की है. विकसित की गई इस उन्नत किस्म को 'ट्राम्बे छत्तीसगढ़ विष्णुभोग म्यूटेंट' नाम दिया गया है. तो आइए जानते हैं धान की इस उन्नत किस्में के बारे में पूरी जानकारी-

विकसित हुई धान की नई किस्में  

छतीसगढ़ के रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विवि के वैज्ञानिकों ने इसकी नई किस्म विकसित की है, जिसकी ऊंचाई मूल किस्म की एक तिहाई ही है. इस वजह से किसानों की दिलचस्पी इस किस्म को उगाने के प्रति बढ़ी है. जहां पहले इस किस्म की सामान्य ऊंचाई 175 सेंटीमीटर होती थी, वहीं अब नई विकसित किस्म की ऊंचाई 110 से 115 सेंटीमीटर तक है. जिसके हवा में भी गिरने की संभावना बहुत कम हो जाती है. इंदिरा गांधी कृषि विवि के कुलपति डा. एसके पाटिल का कहना है कि धान के उत्पादन को बढ़ाने के लिए पुरानी किस्मों के जीन में बदलाव करके नई किस्में ईजाद की गई हैं. इससे धान की खेती करने वाले किसानों की आमदानी बढ़ाने में मदद मिलेगी.

उत्पादन दोगुना

धान की इस नई किस्म का उत्पादन दो गुना तक बढ़ जाएगा. जहां पहले इस किस्म से प्रति हेक्टेयर बमुश्किल 20 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त होता था, वहीं अब इससे से 40 से 45 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. इधर, विश्वविद्यालय ने राज्य के रायपुर और धमतरी क्षेत्रों के किसानों को इस किस्म का बीज उपलब्ध कराया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि अन्य राज्यों के किसानों को भी इसका बीज जल्दी मुहैया कराया जाएगा. 

विकसित करने में 5 साल लगे 

सामान्यतौर पर धान की नई किस्मों को विकसित करने में 10 से 12 साल का समय लगता है. वहीं इस किस्म को ईजाद करने में महज 5 साल का समय लगा है. दरअसल, इस किस्म को विकसित करने में यूनिवर्सिटी के धान अनुसंधान केंद्र ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र की मदद ली है.

धान की अन्य किस्म

वहीं इसके अलावा धान की तीन अन्य किस्मों को भी ईजाद किया गया है, जो अधिक उत्पादन देगी. जो इस प्रकार है-  ट्राम्बे छत्तीसगढ़ सोनागाठी म्यूटेंट, छत्तीसगढ़ धान 1919 तथा सीजी तेजस्वी धान. वहीं मक्का की एक अगेती किस्म भी विकसित की गई है, जिसे सीजी अगेती संकर मक्का-1 नाम दिया गया है.

English Summary: igau scientists developed new variety of vishnubhog paddy, production of 45 quintals per hectare
Published on: 20 July 2021, 05:39 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now