भारत में धान की खेती को पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु जैसे राज्यों में मुख्य रूप से किया जाता है. वहीं झारखंड ही एक ऐसा राज्य है, जहां धान की खेती को 71 प्रतिशत भूमि भाग पर उगाया जाता है. मई महीने से ही देशभर के किसान धान की खेती शुरू करने लगते हैं. खरीफ सीज़न की फसलों में से एक धान की खेती के लिए रोपाई से ही खास ध्यान दिया जाए तो किसानों को अच्छी पैदावार मिल सकती है. ऐसे में अच्छी फसल उत्पादन के लिए किसानों को बुवाई शुरू करने से पहले ही कई जरूरी बातों को जानना होता है.
उपयुक्त मिटटी
धान की खेती के लिए अधिक जलधारण क्षमता वाली मिटटी जैसे- चिकनी, मटियार या मटियार-दोमट मिटटी प्रायः उपयुक्त होती हैं. भूमि का पी एच मान 5.5 से 6.5 उपयुक्त होता है. धान की खेती 4 से 8 या इससे भी अधिक पी एच मान वाली भूमि में की जा सकती है, परंतु सबसे अधिक उपयुक्त मिटटी पी एच 6.5 वाली मानी गई है.
धान के खेत तैयार करे
उपचारित बीज को गीले बोरे में लपेटकर ठंडे कमरे में रखें. समय-समय पर इस बोरे पर पानी सींचते रहें. लगभग 48 घंटे बाद बोरे को खोलें, बीज अंकुरित होकर नर्सरी डालने के लिए तैयार होते हैं. सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई कर लेनी चाहिए. इसके बाद खेत में पानी को लगा देना चाहिए, उसे कुछ दिन के लिए ऐसे छोड़ दे. इसके बाद खेत फिर से जुताई कर मेड बंदी बना दे, धान के खेत में बुवाई के समय हरी खाद के रूप में ढैंचा/सनई ली जा रही है, तो फास्फोरस का भी इस्तेमाल करें. धान के खेत में रोपाई से एक हफ्ते पहले खेत को सिंचाई कर तैयार कर लेना चाहिए. अगर धान की सीधी बुवाई की जाती है तो अनुमानत: एक हेक्टेयर में 40 से 50 किलो बीज लगेगा. जबकि, धान की रोपाई में के लिए यह करीब 30 से 35 किलो होना चाहिए.
चावल की उन्नत किस्में-
- असिंचित दशा: नरेन्द्र-118, नरेन्द्र-97, साकेत-4, बरानी दीप, शुष्क सम्राट, नरेन्द्र लालमनी
- सिंचित दशा: सिंचित क्षेत्रों के लिए जल्दी पकने वाली किस्मों में पूसा-169, नरेन्द्र-80, पंत धान-12, मालवीय धान-3022, नरेन्द्र धान-2065 और मध्यम पकने वाली किस्मों में पंत धान-10, पंत धान-4, सरजू-52, नरेन्द्र-359, नरेन्द्र-2064, नरेन्द्र धान-2064, पूसा-44, पीएनआर-381 प्रमुख किस्में हैं.
- ऊसरीली भूमि के लिए धान की किस्में: नरेन्द्र ऊसर धान-3, नरेन्द्र धान-5050, नरेन्द्र ऊसर धान-2008, नरेन्द्र ऊसर धान-2009.
पौधों की रोपाई
बीज को खेत तैयार करके लेही विधि से बो सकते हैं. रोपाई विधि से बुवाई के लिए पहले से तैयार जमीन से 6 इंच ऊंची नर्सरी में इसे बोएं और 20 से 25 दिन की नर्सरी तैयार करें और मुख्य खेत में रोपाई करें.
धान की सिंचाई
धान के पौधे को पानी की ज्यादा जरूरत होती है. पौधे की उचित समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए. धान के पौधे को लगभग 15 से 20 सिंचाई की जरूरत होती है, जब भी खेत में पानी दिखाई देना बंद हो जाए और ऊपरी जमीन सूखने लगे तभी पौधों को पानी दे देना चाहिए.
बीज शोधन जरूरी:
बीज शोधन में हर 25 किलो बीज में 4 ग्राम स्ट्रेपटोसाइक्लीन और 75 ग्राम थीरम मिलाते हैं. साथ ही ध्यान रखें कि अपने क्षेत्र के हिसाब से ही धान की प्रजाति चुनें. एक अनुमान के तहत प्रति हेक्टेयर धान की रोपाई में बीज शोधन पर तकरीबन 25 से 30 रुपये लगते हैं.
धान की कटाई
धान का पौधा 100 से 150 दिन में पककर तैयार हो जाता है, पौधे पर बाली निकलने के एक महीने बाद पौधा कटाई के लिए तैयार हो जाता है, इस दौरान पौधा पीला दिखाई देने लगता है जब धान के बीज में 20 प्रतिशत नमी रहा जाएं तब उन्हें काट लेना चाहिए.
धान की पैदावार और लाभ-
धान की अलग अलग किस्मों की प्रति हेक्टेयर औसत पैदावार 50 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पाई जाती है. धान का बाज़ार भाव चार हज़ार प्रति क्विंटल के आसपास पाया जाता है, जिससे एक बार में दो से तीन लाख तक की कमाई कर सकते हैं.