देश में बढ़ती आबादी के बीच इंसानों के साथ-साथ पशुओं के लिए खान-पान की आपूर्ति करना भी एक चिंता का विषय बन गया है सालभर पशु चारे की आपूर्ति करने के बाद दिसंबर तक देश में हरे चारे की कमी हो जाती है ऐसे में पशुपालन करने वाले पशुपालकों को पशुओं की सेहत के साथ-साथ दूध उत्पादन पर भी बुरा असर पड़ता है हालांकि वैसे तो हरे चारे की कमी होने पर पशुओं को गेहूं, चना और मसूर का सूखा भूसा खिलाते हैं लेकिन इससे दूध की क्वालिटी गिरती है इस समस्या को दूर करने के लिए आपको 5 हरे चारे की किस्मों की जानकारी दे रहे हैं. जिससे समय पर पशुओं के लिए हरे चारे की व्यवस्था होने से दूध उत्पादन में कमी न हो.
1. नेपियर घास- गन्ने की तरह दिखने वाली नेपियर घास को आम भाषा में हाथी घास भी कहा जाता है. कम समय में उगने और पशुओं में दूध देने की क्षमता बढ़ाने के कारण इस घास को सबसे बेहतरीन पशु आहार का दर्जा दिया गया है, मात्र 2 महीने में तैयार होने वाली नेपियर घास से पशु की तंदुरुस्ती बढ़ती है साथ ही उनमें फुर्ती भी आती है.
2. बरसीम घास- कैल्शियम और फास्फोरस जैसे पोषक तत्वों से भरपूर बरसीम घास को उगाना बेहद आसान माना जाता है. इससे पशुओं का पाचन बेहतर रहता है और पशुओं के दूध देने की क्षमता भी बढ़ती है जिसकी वजह से पशु इस हरे चारे को बड़े चाव से खाकर पेट भरते हैं और फिर दूध उत्पादन भी अच्छा देते हैं.
3. जिरका घास- कम पानी वाले क्षेत्रों में जिरका घास ही पशुओं के लिए सबसे अच्छा विकल्प होती है खासकर गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कम पानी वाले क्षेत्रों में इसे उगाना आसान होता है जिसे अक्टूबर से नवंबर के बीच बोते हैं इससे पशुओं की दूध उत्पादन क्षमता बढ़ती है और हाजमा भी बढिया रहता है.
4. पैरा घास- दलदली और अधिक नमी वाली जमीनों के सही इस्तेमाल के लिए पैरा घास की खेती करते हैं धान की तरह 2-3 फीट पानी होने पर पैरा घास तेजी से बढ़ती है और बंपर उत्पादन भी देती है पैरा घास की रोपाई के 70-80 दिनों के बाद कटाई कर सकते हैं इसके बाद यह हर 35-40 दिन में हरे चारे की उपज ले सकते हैं.
5. गिनी घास - छायादार क्षेत्रों में गिनी खास किसी वरदान से कम नहीं मानी जाती, फलों के बागों में इसकी खेती करना आसान होता है. इसके लिए सिंचित दोमट मिट्टी अच्छी रहती है. खेत में गिरी घास की जड़ों की रोपाई की जाती है, जिसके लिए नर्सरी तैयार की जाती है इसकी खेती जुलाई- अगस्त में करने पर दिसंबर तक हरे चारे की आपूर्ति सुनिश्चित होती रहती है.