थ्रिप्स एक छोटे आकार का कीट होता है, जो प्याज की फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुँचाता है. इसके शिशु और वयस्क दोनों रूप पत्तियों के कपोलों में छिपकर रस चूसते हैं जिससे पत्तियों पर पीले सफेद धब्बे बनते हैं, और बाद की अवस्था में पत्तियां सिकुड़ जाती है. यह कीट शुरू की अवस्था में पीले रंग का होता है जो आगे चलकर काले भूरे रंग का हो जाता है. इसका जीवन काल 8-10 दिन होता है. व्यस्क प्याज के खेत में ज़मीन में, घास पर और अन्य पौघो पर सुसुप्ता अवस्था में रहते हैं. सर्दियों में थ्रिप्स (तैला) कंद में चले जाते हैं और अगले वर्ष संक्रमण के स्त्रोत का कार्य करते हैं. यह कीट मार्च-अप्रैल के दौरान बीज उत्पादन और प्याज कंद पर बड़ी संख्या में वृद्धि करते हैं. जिससे ग्रसित पौधों की वृद्धि रुक जाती है, पत्तियाँ घूमी हुई जलेबी जैसी नजर आती हैं और कंद निर्माण पुरी तरह बंद हो जाता है. भंडारण के दौरान भी इसका प्रकोप कंदों पर बना रहता है.
रोकथाम के उपाय
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प्याज में रोग एवं नियंत्रण हेतु गर्मी में खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए.
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अधिक नाइट्रोजन उर्वरक का प्रयोग ना करें क्योकि इससे थ्रिप्स कीट आक्रशित होते है.
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प्रोफेनोफोस 50 ई.सी. @ 45 मिली या लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 4.9% सी.एस. @ 20 मिली या स्पिनोसेड @ 10 मिली या फिप्रोनिल 5 एस.सी. SC या ऐसीफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% SP @ 10 ग्राम प्रति 15 लीटर की दर से छिड़काव करें.
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जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना@ 500 ग्राम/एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
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आवश्यकता अनुसार छिड़काव को दोहराएं और दवा को भी बदलते रहें.