पौधों की बढ़वार के लिए 17 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, इनमें से किसी भी तत्व की मिट्टी में कमी होने से पौधे की बढ़वार पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. इनमें से 6 मुख्य पोषक तत्व कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटाश की अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है.
द्वितीय पोषक तत्व कैल्शियम, मैग्नीशियम और गंधक की पौधों को मध्यम मात्रा में जरूरत होती है. प्रथम तीन पोषक तत्व कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन वातारण और पानी से प्राप्त होते हैं और शेष तत्व मिट्टी से पौधे ग्रहण करते हैं. इसके अलावा 8 सूक्ष्म पोषक तत्व जस्ता, तांबा, लोहा, मैग्नीज, मोडीब्लेडनम, क्लोरीन और निकल की सूक्ष्म मात्रा में पौधे को आवश्यकता होती है, लेकिन इनकी कमी से पौधों की वृद्धि पर विपरीत असर पड़ता है, ये पोषक तत्व जीवांश खाद, कार्बनिक खादों और फर्टिलाइजर के द्वारा प्राप्त होते हैं.
ज़्यादातर नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटेशियम के अलावा बाकी तत्वों की मिट्टी में कमी कम ही होती है, लेकिन लगातार फसल लेते रहने से इनकी भी कमी होने लगती है. जिसे जैव उर्वरकों द्वारा पूरा किया जा सकता हैं. अतः गेहूं की फसल में आवश्यक पोषक तत्व की कमी होने से पौधों पर विभिन्न लक्षण प्रकट होते हैं जो इस प्रकार है-
गेहूं में नाइट्रोजन की कमी के लक्षण (Symptom of nitrogen deficiency in wheat)
पुरानी या नीचे की पत्तियां पीली रंग की हो जाती है. यह पीलापन पत्तियों पर नोक से शुरू होकर आकार में आगे बढ़ता है. प्रभावित पत्तियां मध्य भाग में पीली व आगे के भाग में भूरी दिखाई देती है. गेहूं तथा अन्य फसलें जिनमें टिलर फार्मेशन होती है, इसकी कमी से टिलर कम बनते हैं.
कमी को कैसे पूरा करें: नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए यूरिया, अमोनियम सल्फेट, कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट (CAN), एनपीके उर्वरक, एजोस्पिरिलम, एजोटोबेक्टर जैव उर्वरक और कार्बनिक खाद आदि के इस्तेमाल किया जा सकता है.
गेहूं में फास्फोरस की कमी के लक्षण (Symptom of Phosphorus deficiency in wheat)
इसके लक्षण पुरानी पत्तियों पर गहरे रंग के रूप में नजर आते हैं लेकिन गहरा रंग पत्तियों के आगे के भाग से शुरू होकर आकार में नीचे की ओर बढ़ता है. कमी की अवस्था बनी रहने पर बैंगनी पीले रंग का मिश्रण पत्तियों पर दिखाई देता है. तने पर भी लाल- बैगनी पट्टी दिखाई देती है. फास्फोरस की कमी से दानों का नहीं बनना, फसल में भुट्टों का खाली रहना तथा बीजों में हल्कापन रहना मुख्य है.
कमी को कैसे पूरा करें: सिंगल सुपर फास्फेट (SSP), डीएपी, रॉक फास्फेट, एनपीके उर्वरक, पीएसबी कल्चर, वैम, जैव उर्वरक और कार्बनिक खाद से फास्फोरस की कमी को पूरा किया जा सकता है.
गेहूं में पोटेशियम की कमी के लक्षण (Symptom of Potassium deficiency in wheat)
इसकी कमी के लक्षण भी पुरानी पत्तियों या परिपक्क्व पत्तियों पर दिखाई देते हैं. पुरानी पत्तियों के आगे के भाग से पीलापन शुरू होकर किनारों के साथ-साथ पत्तियों के निचले भाग की तरफ बढ़ता है. पतियों का मध्य भाग हरा ही बना रहता है. कमी अधिक होने पर पत्तियों के अग्रभाग में किनारे चमकीले पीले या पीले भूरे रंग के दिखाई देते हैं. कल्लो पर बालियाँ नहीं आती तथा दानों का विकास नहीं हो पाना है.
कमी को कैसे पूरा करें: पोटेशियम पूर्ति के लिए म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP), सल्फेट ऑफ पोटाश, सल्फ़ोमैग, एनपीके उर्वरक और कार्बनिक खादों से पूरा किया जाता है.
गेहूं में आयरन की कमी के लक्षण (Symptom of Iron deficiency in wheat)
नई पत्तियों की शिराओं के बीच से हरे रंग का गायब होना, आयरन तत्व की कमी का प्रमुख लक्षण है. लेकिन शिराएं हरी एवं स्पष्ट दिखाई देती है. अधिक कमी होने पर शिराओं के बीच वाला भाग गहरा पीले रंग का हो जाती है.
कमी को कैसे पूरा करें: फेरस सल्फेट, आयरन कीलेट्स और कार्बनिक खाद से आयरन (लोहा) तत्व की कमी को दूर किया जा सकता है.
गेहूं में तांबे की कमी के लक्षण (Symptom of Copper deficiency in wheat)
इसके लक्षण नई पत्तियों पर दिखाई देते हैं. नई पत्तियों के अग्रभाग मुरझाकर नीचे की ओर झूल जाते हैं. अंत में अग्रभाग सूख कर मर जाते हैं और मुड़कर ट्यूब जैसा आकार बनाते हैं. गांठों से अधिक कल्ले फूटते हैं.
कमी को कैसे पूरा करें: कमी को पूरा करने के लिए कॉपर सल्फेट, कॉपर कीलेट्स, कार्बनिक खाद का प्रयोग किया जाता है.