Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 30 June, 2021 6:19 PM IST

ईसबगोल एक छोटी तने वाली औषधीय वार्षिक जड़ी बूटी है जो 35 से 40 सेमी की ऊंचाई तक बढ़ती है. ईसबगोल को मुख्य रूप से इसके बीजों के लिए उगाया जाता है. भारत इन बीजों और ईसबगोल की भूसी का शीर्ष उत्पादक है. यह 10-15 सेंटीमीटर लंबी छोटी तने वाली वार्षिक जड़ी बूटी है.  ईसबगोल भारत में उगाई जाने वाली रबी सीजन की औषधीय फसल है.

इसके भूसी के औषधीय गुणों के अलावा, इसका उपयोग खाद्य उद्योग में भी किया जा रहा है, विशेष रूप से आइसक्रीम, बिस्कुट और कैंडीज में. यह फसल मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश के इन राज्यों में व्यावसायिक रूप से उगाई जाती है. ईसबगोल का उपयोग इसकी की भूसी, बीज, पके बीज और पाउडर के रूप में किया जा सकता है. ईसबगोल भारत, पश्चिम एशिया, बंगाल देश, फारस, मेक्सिको और भूमध्यसागरीय क्षेत्रों में निर्यात किया जाता है

जलवायु-

मूल रूप से ईसबगोल रबी के ठंडे मौसम की फसल है और इसके पकने के मौसम में शुष्क धूप वाले मौसम की आवश्यकता होती है.  यहां तक ​​कि हल्की बौछारें और बादल वाला मौसम भी बीज के झड़ने का कारण बन सकता है और इसके परिणामस्वरूप उपज में कमी हो सकती है.

मिट्टी-

ईसबगोल  की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी बलुई दोमट या दोमट मिट्टी होती है. इन मिट्टी में जल निकासी अच्छी होनी चाहिए और पीएच 7.3 से 8.4 के बीच होना चाहिए.

भूमि की तैयारी-

फसल की बुवाई से पूर्व खेत कि जुताई करनी चाहिए. मिट्टी को अच्छी तरह से सूखा बनाने के लिए इसकी तैयारी करना बहुत महत्वपूर्ण होता है. इसमें क्यारी तैयार करना सुनिश्चित करें, ताकि सिंचाई गतिविधियों को आसानी से किया जा सके.

बुवाई और दूरी-

ईसबगोल एक मौसमी फसल है, जिसे भारत में रबी सीजन में उगाया जाता है जब ईसबगोल की बीज दर की बात आती है, तो 1 एकड़ जमीन को कवर करने के लिए 3-4 किलो की आवश्यकता होती है.  बता दें कि बीजों को अक्टूबर से नवंबर के महीने में पंक्तियों में 15 सेंटीमीटर की दूरी पर बोना चाहिए.

सिंचाई-

बुवाई के तुरंत बाद सिंचाई करनी चाहिए. आमतौर पर ईसबगोल के बीजों का अंकुरण एक सप्ताह के बाद शुरू हो जाता है. दूसरी सिंचाई 3-4 सप्ताह के बाद और तीसरी सिंचाई स्पाइक बनने के समय करनी चाहिए. आमतौर पर, ईसबगोल  को अपनी पूरी विकास अवधि के दौरान कुल 8-10 सिंचाई की आवश्यकता होती है.

ईसबगोल की उन्नत किस्में-

1. जी-1

2. जी-2

3. टी-एस-1-10

4. ईसी-124345

5. निहारिका

6. हरियाणा ईसबगोल-1-5

7. जवाहर ईसबगोल-4

ईसबगोल के फायदे-

1. ईसबगोल कब्ज में राहत देता है

2. दस्त को नियंत्रित कर सकता है

3. ईसबगोल पाचन में सुधार करता है

4. ईसबगोल वजन घटाने के प्रबंधन में मदद करता है

5. ईसबगोल एसिडिटी से राहत दिलाने में मदद करता है

English Summary: i sabgol cultivation method and improved varieties
Published on: 30 June 2021, 06:27 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now