अगर आप मशरूम खाने के शौकीन है तो कही भी आपको भटकने की जरूरत नहीं है, क्योंकि छत्तीसगढ़ में कई जिलों में इनकी काफी ज्यादा मात्रा में पैदावार हो रही है. बरसात में प्राकृतिक रूप से सरई के पेड़ से निकलने वाले बोड़ा की कीमत सर्वाधिक 500 रूपये से लेकर 3000 रूपये किलो तक मांग के अनुरूप होती है. यहां के मशरूम की कीमत भी 200 से 300 रूपये किलो तक होती है. यहां रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्विद्यालय में शैक्षणिक व मशरूम में एक्सपर्ट डॉ एम.पी ठाकुर के अनुसार विभिन्न जिलों में तैयार हो रहे मशरूम काफी दूर तक पहुंच रहा है. हाल ही के कुछ वर्षों में भिगोंरा फुटु, पैरा फुटु, मंजूर मुंडा की मांग काफी बढ़ी है. इस तरह से ग्रामीण क्षेत्र की महिला और किसानों की आर्थिक स्थिति में काफी ज्यादा सुधार हो रहा है.
प्रशिक्षण के बाद खुद का प्रोडक्ट
अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना मशरूम के अलावा इंदिरा गांधी कृषि विव के माध्यम से सभी कृषि केंद्रों में मशरूम उत्पादन हेतु किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है.यहां पर मशरूम की कई तरह की प्रजातियां जैसे कि बटन मशरूम, ऑयस्टर, पैडी स्ट्रॉ, मिल्की मशरूम को उगाने की तकनीक बताई जा रही है. यहां से पूरी तरह से प्रशिक्षण लेने के बाद महासमुंद जिले के किसान राजेंद्र जैस स्वयं का प्रोडक्ट रोजाना 50 से 80 किलो तक बेच रहे है. यहां चीन से मशरूम की आवक पर लगी रोक पर एक्सपर्ट का कहना है कि प्रशिक्षण और तकनीक से तैयार हुए मशरूम को प्रमुखता देना चाहिए. क्योंकि यहां जंगलों में मिलने वाले मशरूम के बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है.
महिलाएं बेच रही मशरूम
यहां के दंतेवाड़ा इलाके में गांव की महिलाएं मशरूम को बेचकर अपने और परिवार की समृद्धि के मार्ग को प्रशस्त कर रही है. महिलाओं ने पहले कृषि विज्ञान केंद्र से मशरूम की खेती का प्रशिक्षण लिया और फिर खुद खेती करने के कार्य को शुरू कर दिया है. आज यहां की महिलाएं मशरूम बेचकर काफी अच्छी आय को प्राप्त कर रही है. यहां पर मशरूम के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नाबार्ड ने कई जिलों में जिला पंचायत को भी शेड बनवाने और सोलर ड्रायर यूनिट को लगाने के लिए तैयार कर लिया गया है.
मशरूम सभी के लिए फायदेमंद
मशरूम के अंदर एमीनो एसिड के अलावा प्रोटीन,कार्बोहाइट्रेड, रेशेदार, तत्व, खनिज लवाण, कैल्शियम, फास्फेरस, लोहा, पोटेशियम की प्रचुर मात्रा होती है. मशरूम बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों के इम्युन सिस्टम को मजबूत बनाने का कार्य करता है. इसके आचार, बिस्किट, पकौड़े, खीर, पुलाव, चटनी, सूप बना सकते है.