किसानों को रबी के मौसम (Rabi Season) में खरपतवार (Weed) से काफी अधिक हानी होती है जिससे उपज में तो कमी आती ही है साथ ही साथ रोग और कीटों (Disease & pest) के लगने की संभावना बढ़ जाती है. खरपतवार के प्रभावी नियंत्रण के लिए खरपतवार की प्रकृति और प्रकार का जाना जरूरी हो जाता है.
खरपतवार नियंत्रण का सही समय (Right stage for weed control)
फसलों की किसी भी अवधि में खरपतवार का होना सही नहीं होता है, इसीलिए फसल को जब खरपतवार सबसे ज्यादा हानि पहुंचाते है, उसी अवस्था में खरपतवार प्रबंधन किया जाना चाहिए. फसलों में यह अवस्था (stage) विभिन्न फसलों में अलग-अलग होती है. इसी को क्रांतिक अवस्था (Critical stage) कहा जाता है.
गेहूं में क्रांतिक अवस्था फसल बुवाई के 30-35 दिन में, सरसों में यह अवस्था बुवाई के 25-30 दिन में, चने की फसल में बुवाई के 30-40 दिन (Day after sowing) में खरपतवार प्रबंधन करना जरूरी हो जाता है, अन्यथा फसल की बढ़वार और उपज पर विपरीत असर (Opposite effect) पड़ता है.
किसान रबी की फसलों में खरपतवार नियंत्रण के लिए यांत्रिक विधि (Mechanical method), जैविक विधि (Biological Method) और रसायनिक विधि (Chemical method) का उपयोग कर सकता है. फसल को क्रांतिक अवस्था तक खेत को खरपतवार मुक्त रखना चाहिए. इसके लिए संभव हो सके तो 1-2 बार निराई- गुड़ाई करनी चाहिए ताकि खरपतवार को नियंत्रण तो हो ही जाये साथ ही साथ मिट्टी में हवा का संचार (Air circulation) और नमी संरक्षण (Moisture conservation) भी अच्छा रहे, जिससे फसल की बढ़वार अच्छी और तेजी से हो सके.
रसायनों द्वारा खरपतवार प्रबंधन करना (Weed management by Chemicals)
रबी की फसलों में रासायनिक विधि से खरपतवार प्रबंधन करना सस्ती और समय बचाने वाली विधि है. इस इसका उपयोग लगभग सभी खरपतवार के प्रभावी नियंत्रण के लिए किया जा सकता है.
गेहूं (Wheat): बथुआ (Chenopodium album), गेहूँ का मामा (Phalaris minor), जंगली जई (एवेना फटुआ), प्याज़ी (एस्फोडेल टेन्यूफोलियस) आदि गेहूँ के खेतों में गंभीर समस्या पैदा करते हैं. इनके अतिरिक्त दुब (सिनोडोन डाइक्टाइलोन) एक प्रमुख बारहमासी खरपतवार (Perennial weed) है. गेहूं में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार (Broad leaf weed) के लिए 2,4-D अमाइन साल्ट 58% की 400 मिली मात्रा प्रति एकड़ का छिड़काव बुआई के 25-30 दिनों में करें या मेटसल्फयूरॉन मिथाइल 20% WP @ 8 ग्राम प्रति एकड़ की दर से बुआई के 30 दिनों के अंदर छिड़काव करें. इसके उपयोग के बाद सिंचाई (Irrigation) करना जरूरी है. गेहूं की फसल में क्लोडिनाफॉप प्रोपार्गिल 15% + मेटसल्फयूरॉन मिथाइल 1% WP की 160 ग्राम मात्रा को एक एकड़ में छिड़काव करें या 30-35 दिनों में क्लोडिनाफॉप प्रोपार्गिल 15% WP @ 160 ग्राम/एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है.
चना (Gram): चने की फसल में वार्षिक घास, चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार और सकरी पत्ती वाले खरपतवार अधिक मात्रा में उगते हैं. इन खरपतवारों का नियंत्रण समय पर नहीं करने पर उत्पादन पर उल्टा असर पड़ता हैं. बुआई के 1-3 दिनों में खरपतवार प्रबंधन हेतु पेन्डीमेथलीन 38.7% EC @ 700 मिली/एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
आलू (Potato): आलू की फसल रबी की मुख्य फसल है और बारिश के मौसम के बाद मिट्टी में बहुत अधिक नमी होने के कारण आलू की फसल की बुआई के बाद खरपतवार बहुत अधिक उगते हैं. अतः बुआई के 1-3 दिनों बाद खरपतवारों के रासायनिक नियंत्रण के लिए पेंडामेथलिन 38.7% CS @ 700 मिली/एकड़ का छिडकाव करें. इस प्रकार छिड़काव करने से बुआई के बाद शुरूआती अवस्था में उगने वाले खरपतवारों का नियंत्रण किया जा सकता है. बुआई के बाद दूसरा छिड़काव, मेट्रीब्युजीन 70% WP @ 100 ग्राम प्रति एकड़ बुआई के 3-4 दिन बाद या आलू का पौधा 5 सेमी. का होने से पहले 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. खरपतवारनाशक के छिड़काव के समय पर्याप्त नमी का होना बहुत आवश्यक है.
प्याज और लहसुन (Onion & Garlic): मिट्टी में प्राकृतिक रूप से बहुत प्रकार के मुख्य एवं सूक्ष्म पोषक (Micro nutrient) तत्व पाए जाते हैं पर अत्यधिक खरपतवारों के प्रकोप के कारण प्याज़ एवं लहसुन की फसल को ये पोषक तत्व पूरी तरह नहीं मिल पाते. इसके कारण फ़सल में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और उपज पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. प्याज़ एवं लहसुन की अच्छी फसल उत्पादन के लिए समय-समय पर खरपतवार नियंत्रण (Weed control) करना बहुत आवश्यक होता है. इसलिए पेंडिमेथालीन 38.7% CS @ 700 मिली/एकड़ की दर से बुआई के 3 दिनों के अंदर इसका 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. प्रोपेक़्युज़ाफॉप 5% + ऑक्सीफ़्लोर्फिन 12% EC @ 250-350 मिली/एकड़ फसल में लगाने के 25-30 दिनों के बाद और 40-45 दिन बाद उपयोग करें. ऑक्सीफ़्लोर्फिन 23.5% EC @ 100 मिली/एकड़ + प्रोपेक़्युज़ाफॉप 10% EC @ 300 मिली/एकड़ या क्युजालोफॉप इथाइल 5% EC @ 300 मिली/एकड़ की दर से बुआई के 20 से 25 दिनों में छिड़काव करके फसल को खरपतवार मुक्त रखा जा सकता है.