Aaj Ka Mausam: देश के इन 3 राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट, जानें अगले 4 दिन कैसा रहेगा मौसम? PM Kusum Yojana से मिलेगी सस्ती बिजली, राज्य सरकार करेंगे प्रति मेगावाट 45 लाख रुपए तक की मदद! जानें पात्रता और आवेदन प्रक्रिया खुशखबरी: अब मधुमक्खी पालकों को मिलेगी डिजिटल सुविधा, लॉन्च हुआ ‘मधुक्रांति पोर्टल’, जानें इसके फायदे और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया! Rooftop Farming Scheme: छत पर करें बागवानी, मिलेगा 75% तक अनुदान, जानें आवेदन प्रक्रिया भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ महिलाओं के लिए तंदुरुस्ती और ऊर्जा का खजाना, सर्दियों में करें इन 5 सब्जियों का सेवन ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक Wheat Farming: किसानों के लिए वरदान हैं गेहूं की ये दो किस्में, कम लागत में मिलेगी अधिक पैदावार
Updated on: 24 October, 2020 1:08 PM IST

मिर्च की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट और उनसे उत्पन्न लक्षणों की सम्पूर्ण जानकारी  इस प्रकार है-

मिर्च की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट: 

सफेद लट्ट (व्हाइट ग्रब): मिट्टी में रहने वाला सफेद-क्रीम रंग की लट्ट है, जो  फसल में नुकसान पहुँचाता हैं. जमीन के नीचे यह सर्दियों के दौरान सुसुप्ता अवस्था में प्यूपा के रूप में पड़ा रहता है तथा जून- जुलाई के महीने में पहली बारिश के समय दिखाई देते हैं.इसके ग्रब जमीन के अंदर से मुख्य जड़ तंत्र को खाते हैं जिसके कारण पौधा पीला पड़ जाता है और पौधा सुख कर मर जाता है.   

बचाव व रोकथाम: गर्मी में खेतों की गहरी जुताई एवं सफाई कर कीट को नष्ट किया जा सकता है. जैव-नियंत्रण के माध्यम से 1 किलो मेटारीजियम एनीसोपली को 50 किलो गोबर खाद या कम्पोस्ट खाद में मिलाकर खेत में मिला दें. या रसायनिक विधि द्वारा फेनप्रोपेथ्रिन 10% EC @ 500 मिली या क्लोथियानिडीन 50% WDG 100 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर ड्रेंचिंग कर दें.

तम्बाकू इल्ली: इस कीट की तीन शारीरिक अवस्थाएं होती है- पहली अवस्था अंडे के रूप में, दूसरी अवस्था लार्वा या इल्ली के रूप में होती है जो पौधे को नुकसान पहुँचाती है. ये इल्लीयां समूह में पाई जाती है. इनका शरीर हल्के हरे रंग का होता है जिसमें ब्लैक स्पॉट पाये जाते हैं तथा काले रंग का सर होता है.इसकी अन्तिम या तीसरी अवस्था वयस्क के रूप में होती है. इस कीट का शरीर भूरे रंग का होता है जिसके आगे के पंख लहरदार सफेद चिह्नों के साथ भूरे रंग के रंग होते हैं, और पीछे सफेद रंग के पंख पर भूरे निशान होते हैं.इसकी छोटी इल्लिया पहले पत्तियों को खुरच कर खाती है, जिससे प्रभावित पत्तियां सफेद हो जाती है. बाद में इस कीट की इल्ली फलों में छेद करके नुकसान पहुँचाती है. यह कीट फलों में गोल छेद बनाकर उसके अंदर के भाग को खाती है. जिसके कारण फल सड़ जाते है और नीचे गिर जाते हैं.

बचाव व रोकथाम: प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC @ 400 मिलीग्राम/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @100 ग्राम/एकड़ या फ्लूबेण्डामाइड 20% WG @ 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC @ 60 मिली/एकड़ या नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC @ 600 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें.
जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव किया जा सकता है.   

फल छेद इल्ली: इस कीट की चार शारीरिक अवस्थाएं होती है- पहली अवस्था गोलाकार सफेद अंडे के रूप में होती है. दूसरी अवस्था लार्वा या इल्ली के रूप में होती है जो पौधों  के लिए नुक़सानदेह है. इनका शरीर हरे रंग का या भूरे रंग का होता है. तीसरी अवस्था प्यूपा है जो भूरे रंग का सुसुप्ता अवस्था में मिट्टी, फसल अवशेष, फल या पत्तियों में ढका रहता है.अंतिम वयस्क अवस्था में मादा भूरे पीले रंग का मोटा पतंगा होती है तथा नर "वी" आकार के चिह्नों के साथ हल्के हरे रंग का होता है.शुरूआती अवस्था में इसकी इल्ली पत्तियों को खाती है तथा बड़ी होने पर फलों में गोल छेद बनाकर उसके अंदर के भाग को खाती है. जिसके कारण फल सड़ जाते हैं और नीचे गिर जाते हैं.

बचाव व रोकथाम: इसके प्रबधन के लिए प्रोफेनोफोस 40% + साइपरमेथ्रिन 4% EC @ 400 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @100 ग्राम/एकड़ या फ्लूबेण्डामाइड 20% WG @100 ग्राम/एकड़ या लैम्डा साइहेलोथ्रिन 4.6% + क्लोरानिट्रानिलीप्रोल 9.3% ZC @ 80 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें.इसके जैविक प्रबंधन के लिए बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें.

मिलीबग: इस कीट के शिशु और वयस्क मादा दोनों ही फसल को नुकसान पहुँचाते हैं. फूल, फल और मुलायम टहनियों के रस को चूसकर पौधें को कमजोर करते हैं.यह कीट मधुरस स्त्रावित करता है जिसके ऊपर हानिकारक फफूंद विकसित होती है और प्रकाश संश्लेषण क्रिया बाधित करता है.ये सभी कीट मिर्च की फसल में हानि पहुँचाते है जिससे उपज में भारी कमी देखने को मिलती है.

बचाव व रोकथाम: थियामेथोक्सोम 12.6% + लेम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 9.5% ZC 80 ग्राम या 35 मिली क्लोरोपायरीफॉस के साथ 75 ग्राम वर्टिसिलियम या ब्यूवेरिया बेसियाना कीटनाशक को 15 लीटर पानी की दर से फसल पर छिड़काव करें. 

English Summary: How to protect the Chilli crop from Mealy bug and Caterpillars
Published on: 24 October 2020, 01:11 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now