किसानों के लिए खुशखबरी! 8 कृषि यंत्रों पर मिलेगा भारी अनुदान, आवेदन की अंतिम तिथि 8 अप्रैल तक बढ़ी Mukhyamantri Pashudhan Yojana: गाय, भैंस और बकरी पालन पर 90% अनुदान दे रही है राज्य सरकार, जानें पात्रता और आवेदन प्रक्रिया सौर ऊर्जा से होगी खेतों की सिंचाई! PM Kusum Yojana में किसानों को मिलेगी 2.66 लाख तक की सब्सिडी, जानें आवेदन प्रक्रिया Rooftop Farming Scheme: छत पर करें बागवानी, मिलेगा 75% तक अनुदान, जानें आवेदन प्रक्रिया भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ महिलाओं के लिए तंदुरुस्ती और ऊर्जा का खजाना, सर्दियों में करें इन 5 सब्जियों का सेवन ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक Wheat Farming: किसानों के लिए वरदान हैं गेहूं की ये दो किस्में, कम लागत में मिलेगी अधिक पैदावार
Updated on: 28 December, 2019 2:21 PM IST

ग्वार फसल में विभिन्न प्रकार के रोगों का प्रकोप होता है. जिससे फसल की गुणवत्ता और पैदावार पर असर पड़ता है. इन रोगों पर रोकथाम करना बहुत जरूरी होता है, ताकि फसल को नुकसान न हो. इसके लिए कुछ उपाय अपनाना जरुरी है. इस लेख में ग्वार फसल में रोग के प्रकोप से कैसे बचाना है इस बारे में जानकारी देंगे, इसलिए इस लेख को अंत तक जरुर पढ़े-

एन्थक्नोज रोग – जब ग्वार की फसल में यह रोग लगता है, तो तने, पत्तियां और फलियां प्रभावित होती है. जो भाग प्राभावित होता है. वह भूरे रंग का हो जाता है और किनारे लाल या पीले रंग के हो जाते है, साथ ही प्रभावित तने फटकर सड़ जाते हैं. इसके अलावा फलियों पर छोटे-छोटे काले रंग के धब्बे दिखाई देते है. इस रोग से पूरी फसल खराब हो सकती है. यह रोग ग्रसित बीज से फैलता है.

रोकथाम
फसल को इस रोग से बचाने के लिए बुवाई से पहले बीजों को सेरेसान, कैप्टान या फिर थीरम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें. तो वहीं डाईथेन एम- 45 या बाविस्टिन 0.1 प्रतिशत का घोल बनाए और रोग ग्रसित पत्तियों और फलियों पर छिड़क दें. इस प्रक्रिया को करीब कर 7 से 10 दिन के अंतराल पर करें.

जड़ गलन – जब फसल में पौधों की प्राथमिक जड़ों पर भूरे रंग के धब्बे पड़ने लगे, तो समझ लें कि फसल को जड़ गलन रोग लग लगाया है. इससे पौधों की जलापूर्ति में बाधा पड़ती है और पौधे मुरझा जाते है.

रोकथाम
इस रोग से फसल को बचाने के लिए बीजों को बुवाई से पहले वीटावैक्स 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिए. तो वहीं फसल की मई से जून में सिंचाई व जुताई करें. इसके बाद खेत को खुला छोड़ दें, साथ ही फसल को खरपतवारों से मुक्त रखना चाहिए.

मोजेक - ग्वार की फसल में मोजेक एक विषाणु जनित बीमारी होती है. इसमें पौधे की पत्तियों पर गहरे हरे रंग के धब्बे होने लगते है. तो वहीं पत्तियाँ अंदर की तरफ सिकुड़ जाती हैं और पूरा पौधा पीला भी पड़ जाता है.

रोकथाम
मोजेक रोग से फसल को बचाने के लिए रोगग्रस्त पौधों को उखाड़ देना चाहिए. इसके अलावा न्यूवाक्रान या फिर मैटासिस्टाक्स एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़क दें.

चूर्णी फफूंद – इस रोग का असर पौधे के सभी भागों पर पड़ता है. इसमें पौधों की पत्तियोँ पर सबसे पहले सफेद धब्बे पड़ते है. जो तने और हरी फलियों पर भी फैल जाते है. इसमें पौधों की पत्तियाँ और हरे भागों पर सफेद चूर्णी युक्त धब्बे दिखाई देते है. इस रोग के प्रकोप से पत्तियाँ सड़कर गिरने लगती है.

रोकथाम
इस रोग से फसल को बचाने के पौधों की अच्छी तरह देखभाल करनी चाहिए. इसके लिए आप घुलनशील गंधक को 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़क दें. इसके अलावा कैराथेन दवा की 2 ग्राम मात्रा का प्रति लीटर पानी में घोल बना लें और पौधों पर भी छिड़क दें. इससे फसल में चूर्णी फफूंद नहीं लगेगी.

English Summary: How to protect guar crop from disease
Published on: 28 December 2019, 02:30 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now