देश के किसानों का रूझान धीरे-धीरे आर्गेनिक खेती की तरफ बढ़ रहा है. लेकिन आर्गेनिक खेती करने वाले किसानों को सबसे बड़ी समस्या इसकी खेती में छिड़कने वाली जैविक कीटनाशकों की आती है. कई बार जानकारी के अभाव में किसान सही कीटनाशक नहीं बना पाते हैं. जिससे फसल में विभिन्न कीट, बीमारियों और व्याधियों का प्रकोप बढ़ जाता है. तो आइये है जानते हैं आर्गेनिक खेती के डॉक्टर कहे जाने वाले हरियाणा के डॉ. अजय कुमार बोहरा से प्रमुख जैविक कीटनाशकों को बनाने की विधियां.
तमाखू जैविक कीटनाशक
इसके निर्माण के लिए बाजार से वेस्ट बचने वाली तमाखू खरीद लें. जिसे एक बड़े ड्रम में पानी भरकर उसमें घोल दिया जाता है. तैयार कीटनाशक को छानकर उसमें कुछ पानी मिलाकर पौधों की जड़ों में डाल देते हैं. इसके छिड़काव से पौधों की जड़ के रोग या दीमक नष्ट हो जाते हैं. जिससे उत्पादन में भी इजाफा होता है.
नीम जैविक कीटनाशक
इसके लिए नीम की निंबोलियां, पत्तियां और पतली टहनियों की जरूरत पड़ती है. इसको अच्छी तरह सड़ाने के बाद छानकर फसलों पर स्प्रे किया जाता है. इससे फंगस और विभिन्न प्रकार कीट पौधों पर नहीं लगते हैं.
निंबोली जैविक कीटनाशक
नीम की निंबोलियों से यह स्प्रे तैयार किया जाता है. इसके लिए 30 किलो निंबोलियों को लेकर उन्हें बारीक पीस लेते हैं. जिसके बाद एक ड्रम में 150 लीटर पानी लेकर उसमें डाल देते हैं. इसके अलावा इसमें 10 किलो बेसन और 10 किलो गुड़ डाल दिया जाता है. तीन महीने बाद यह साल्युशन तैयार हो जाता है. इसके स्प्रे से विभिन्न प्रकार के कीटाणुओं से पौधों को बचाया जा सकता हैं.
माइक्रोन्यूट्रिएंट्स
इसे विभिन्न प्रकार डी-कम्पोजर अन्य जैविक उत्पादों की मदद से इसे तैयार किया जाता है. यह पौधों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ती करता है.
पैदावार में होगा इजाफा
डॉ. अजय बोहरा का कहना हैं कि शुरू-शुरू में जैविक खेती करने वाले किसानों के सामने यह समस्या आती है कि विभिन्न जमीनी बीमारियों, कीटों और व्याधियों से कैसे अपनी फसल को बचाया जा सकें. ऐसे में किसानों के लिए यह सभी जैविक कीटनाशक बेहद उपयोगी है जिससे न सिर्फ उत्पादन में वृद्धि होगी बल्कि गुणवत्ता में भी इजाफा होगा.