नारियल पानी किसको नहीं पसंद होता, गर्मियों में लोग नारियल पानी खूब पीते है और नारियल के खोल को फेंक देते है. क्या आप जानते है, जिसे आप बेकार खोल समझते है वह कितने उपयोगी है. जी हां... गुजरात के एक छोटे से जिले में वन विभाग ने प्लास्टिक के प्रयोग को जड़ से मुक्त करने के लिए एक बड़ी पहल शुरू की है. वन विभाग के इस पहल से प्लास्टिक के साथ -साथ हमें गंदगी से भी मुक्ति मिलेगी. दरअसल, पहले वन विभाग पौधे के बीजों को कम माइक्रोन वाली प्लास्टिक बैग में उगाया जाता था. प्लास्टिक बैग के हानिकारक प्रभावों से बचने के लिए वन विभाग ने एक नया रास्ता खोज, एक नई पहल की शुरुआत की है. उन्होंने इसके लिए नारियल के खोल (शेल) का प्रयोग कर उसमें पौधे उगाने शुरू किए है. जिसमें उन्हें सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहें है.
गौरतलब है कि इसका सुझाव उन्हें छोटा उदेपुर के जिला अधिकारी सुजल मयात्रा ने दिया था, जो कि काफी फायदेमंद रहा. सुजल मयात्रा ने कहा था कि “नर्सरी चलाना भले ही हमारा काम नहीं है, लेकिन हमारे स्वच्छता अभियान के दौरान हमारे पास बहुत से नारियल के खोल इकट्ठे हुए थें. जिससे मैंने सोचा कि इनको क्यों न पौधे उगाने में इस्तेमाल में लाया जाए. इसलिए मैंने ये सुझाव वन विभाग के अधिकारियों को दिया. जिससे पौधा लगाने के साथ-साथ कचरा प्रबंधन में भी आसानी हो सके. इसके साथ ही हमारा छोटा उदेपुर जिला प्लास्टिक-फ्री बन सके.
बता दे कि सबसे पहले वन-विभाग द्वारा 1500 पौधे नारियल के खोल में उगाए. जैसे -नीलगिरि, तुलसी आदि. वन विभाग के डिप्टी कंज़र्वेटर, एस. के. पवार के मुताबिक, 'हम इस खोल को नीचे से काट देते है. जिससे पौधे को नारियल-खोल के साथ ही जमीन में लगा सके. जिससे इसकी जड़ों के बढ़ने में पर्याप्त जगह मिलती है. इसके साथ ही इसकी खोल बायोडीग्रेडेबले होते हैं. जिससे पौधे को कोई नुकसान नहीं होता और वह अच्छे से बढ़ता है.
तो पढ़ा आपने अब से नारियल के खोल को फेंकने की बजाय घर पर लाकर उसका प्रयोग पौधे उगाने में करे, न कि देश को गंदा करने में. आपके द्वारा उठाया एक अच्छा कदम दूसरों के लिए जीवन बन सकता है.