नेमाटोड या सूत्रकृमि बैगन की फसल में एक प्रमुख समस्या है. लगातार नमी वाली जगहों में ये सूत्रकृमि पनप कर फसल की जड़ों को संक्रमित कर देते हैं. ये सूत्रकृमी (नेमाटोड) सूक्ष्म आकार के होते हैं और यह फसल की जड़ के आंतरिक भागों में रहकर जड़ों को नुकसान पहुंचाते रहते हैं.
प्रभावित जड़ों पर गांठों का गुच्छा बन जाता है. पौधें की जड़ें पोषक तत्व अवशोषित नहीं कर पाती है. इस कारण फूल और फलों की संख्या में बड़ी कमी आती है और पौधों की पत्तियां पीली हो जाती है जिससे पौधा अपना भोजन भी उचित मात्रा में नहीं बना पाता है. इसके अलावा, नेमाटोड के संक्रमण के कारण अन्य फफूंद भी जड़ों में प्रवेश कर पौधे में रोग फैलाने की अधिक संभावना बढ़ आती है. नेमाटोड या सूत्रकृमि से प्रभावित पौधे सूख जाते हैं और उकटा रोग के लक्षण दिखाई देते हैं. पत्तियां पीली पड़कर सुकड़ने लगती है और पूरा पौधा बौना रह जाता है. अधिक संक्रमण होने पर पौधा सुखकर मर जाता है.
नेमाटोड नियंत्रण के उपाय (Nematode Control Measures)
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ग्रीष्मकाल में मिट्टी की गहरी जुताई करे तथा अच्छी तरह से धूप लगने दें, जिससे मिट्टी में उपस्थित सूत्रकृमि के साथ साथ कीट एवं रोगो के रोगाणु भी नष्ट हो जाते हैं.
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बैगन की फसल में टमाटर, मिर्च, भिंडी, खीरा आदि फसल अंतर-फसल के रूप में ना लें. अतः जिस खेत में यह समस्या है वहाँ 2-3 साल तक बैंगन, मिर्च और टमाटर की फसल न लगाएं.
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पौध रोपाई के बाद फसल के चारों ओर या फसल के बीच-बीच में एक या दो पंक्ति में गेंदा को लगाना चाहिए.
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कार्बोफ्यूरान 3% दानों को रोपाई पूर्व 10 किलो प्रति एकड़ की दर से मिला दें.
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- निमाटोड के जैविक नियंत्रण के लिए 200 किलो नीम खली या 2 किलो वर्टिसिलियम क्लैमाइडोस्पोरियम या 2 किलो पैसिलोमयीसिस लिलसिनस या 2 किलो ट्राइकोडर्मा हारजिएनम को 100 किलो अच्छी सड़ी गोबर के साथ मिलाकर प्रति एकड़ की दर से भूमि में मिला दें.