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Updated on: 2 August, 2021 4:47 PM IST
Vegetable Farming

बढ़ती हुई जनसंख्या और जलवायु परिवर्तन को देखते हुए सब्जिओं का उत्पादन भारत जैसे बड़े देश को बढ़ने की बहुत आवश्यकता है. सब्जियों का उत्पादन पादप वृद्धि नियामकों का प्रयोग करके बढ़ाया जा सकता है.

वृद्धि नियामकों की भूमिका (Role of growth regulators)

1) टमाटर

  • टमाटर का बीज उपचार 2,4-डी औक्सिंस वृद्धि नियामक की 3 – 5 mg की मात्रा का प्रयोग से करने से टमाटर में जल्दी फल लगने लगते हैं, फलों की संख्या बढ़ जाती है और फल बिना बीज वाले या कम बीज के विकसित होते हैं.

  • इथाइलीन की अगर 1000 mg मात्रा का प्रयोग टमाटर में किया जाता है, तो फल जल्दी पकने लगते हैं.

  • अगर टमाटर के उत्पादन के समय टमाटर के लिए उपयुक्त दशा (उचित तामपान और मौसम) नहीं है, जिससे सही से उत्पादन लिया जा सके, तो ऐसी दशा में PCPA 50 mg का छिड़काव से टमाटर से उत्पादन विपरीत परिस्थितियों में लिया जा सकता है.

2) बैगन

  • नेफ्थैलिक एसिटिक एसिड 60 mg का सिंगल मात्रा या BA 30 mg की मात्रा के साथ पुष्पन के समय प्रयोग करने से फलो की संख्या बढ़ती है.

  • पुष्पन के समय 2,4- डी 2 mg की मात्रा का प्रयोग करने से बैगन में फल की संख्या बढ़ती है और पार्थेनोकार्पिक फल उत्पन्न होते हैं.

3) मिर्च

  • मिर्च में नेफ्थेनिक अम्ल 10 – 100 mg मात्रा का छिड़काब करने से फलो की संख्या में वृद्धि होती है और फल फूल झड़ते नहीं.

  • मिर्च में ट्राईकंट्रोल 1 mg का छिड़काव करने से पौधे की वृद्धि अच्छी होती है.

  • पादप वृद्धि नियामक वे जैविक पदार्थ होते हैं जो पौधों के अलग-अलग भाग में संश्लेषित होते हैं व जिनका एक भाग से दूसरे भाग में परिवहन जाइलम व फ्लोएम के द्वारा होता रहता है. वृद्धि नियामक प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं जो अपनी सूक्ष्म मात्रा के द्वारा ही पौधों की फिजियोलॉजिकल, बायोकैमिकल क्रियो को रेगुलेट करते हैं.

आजकल वृद्धि नियामक सिंथेटिक रूप से व्यवसायक स्तर पर तैयार किये जा रहे हैं. प्राकृतिक रूप से प्राप्त व सिंथेटिक बनाये जाने बाले वृद्धि नियामक निम्न हैं:-

1.औक्सिंस 2. जिब्रेलिक अम्ल 3. साइटोकाइनिन  4. इथाइलीन 5. अब्स्सिसिक एसिड

4) भिण्डी

  • भिण्डी के बीजों को GA3 के 400 mg, IAA 200 mg और NAA के 20 mg के घोल में 24 घण्टे डूबोकर रखने के बाद बीजो का अंकुरण अच्छा होता है

  • भिण्डी के फलो की हार्वेस्टिंग से पहले सायकोसॉल 100 mg घोल का छिड़काव करने से फलों को लंबे समय तक स्टोर कर रख सकते हैं. ये फसलों की सेल्फ लाइफ बढ़ाता है.

5) प्याज

  • जिब्रेलिक अम्ल के 40 mg के घोल से प्याज की पौध का उपचार किया जाता है, तो बल्ब के आकार एवं उपज में वृद्धि होती है.

  • प्याज के बीज का उपचार NAA 100 – 200 mg की मात्रा से करने से प्याज के बल्ब के साइज में वृद्धि होती है.

  • मैलिक हाइड्रैज़िड (MH) 2500 mg का छिड़काव प्याज में हार्वेस्टिंग से पहले करने से स्टोरेज के समय होने बाली स्प्रोउटिंग नही होती.

6) तरबूज

तरबूज में TIBA 25 – 250 mg का पहला छिड़काव 2 पत्तियों की अवस्था तथा दूसरा छिड़काव 4 पत्तियों की अवस्था पर करने से फलों की संख्या में वृद्धि होती है, जिससे उत्पादन प्रति हेक्टयर भी बढ़ता है.

7) खीरा

खीरा में फूलों की संख्या को बढ़ाने से फलो की का उत्पादन में वृद्धि होती है. इस के लिए खीरा में एथरेल 150 – 200 mg का पहला  छिड़काव 2 पत्तियों की अवस्था पर था दूसरा छिड़काब 4 पत्तियों की अवस्था पर करना चाहिए.

8) करेला

  • जिब्रेलिक अम्ल के 25 – 50 mg के घोल से करेला के बीज का उपचार करने से बीजों का अंकुरण अच्छा होता है.

  • एथरेल 20 mg और जिब्रेलिक अम्ल MH, सिल्वर नाइट्रेट की 3 – 4 mg मात्रा का छिड़काव करने से करेला में मादा पुष्पों की संख्या बढ़ती है.

9) कद्दू

कददू की उपज बढ़ाने के लिए आवश्यक है  कि कद्दू में मादा पुष्पो की संख्या बढ़ाई जाये जिसके लिए कद्दू के बीजों को 250 mg एथरेल, 10 ली. पानी में घोल कर पहला छिड़काव 2 पत्तियो की अवस्था पर (बीज की बुवाई के 15 दिन बाद)  छिड़काव करना चाहिए तथा दूसरा छिड़काब 4 पत्तियों की अवस्था पर करना चाहिए.

10) तोराई

तोराई में मादा पुष्पो की संख्या बढ़ाने के लिए नेफ्थैलिक एसिटिक की 200 mg मात्रा का छिड़काव करना चाहिए.

11) टिंडा

टिंडे की बेल की वृद्धि के लिए और मादा पुष्पो की संख्या बढ़ाने के लिए मैलिक हाइड्रैज़िड (MH) 50 mg का छिड़काव करना चाहिए.

लेखक: राजवीर सिंह कटोरिया – पीएचडी  रिसर्च स्कालर (सब्ज़ी विज्ञान)
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर (M.P.)
E-mail rkatoria1@gmail.com

English Summary: How to increase the production of vegetables?
Published on: 02 August 2021, 04:59 PM IST

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