सही समय में कटाई करने पर फलियों से बीजों के बिखरने, हरे बीज की समस्या और कम तेल की मात्रा से बचाया जा सकता है. बहुत जल्दी कटाई करने पर सरसों के बीजों को कृत्रिम रूप से सुखाना चाहिए, क्योंकि बीजों में अधिक नमी होने पर बीज खराब हो जाते हैं तथा कटाई में देरी करने पर बीजों के छितरा जाने के कारण हानि होती है.
फसल को जल्दी और देरी से काटने पर 2 से 4 क्विंटल पैदावार कम हो जाती है. हरी फली की अवस्था में कटाई करने से तेल की मात्रा में 3-4% कम हो जाता है. इसलिए निर्धारित समय पर ही फसल की कटाई (harvesting) करें.
कटाई के लिए उपयुक्त समय (Harvest time)
देश के विभिन्न भागों में तोरिया-सरसों और राई की फसल अलग-अलग समय पर पकती है. प्रमुख राई और सरसों उत्पादक राज्य जैसे राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में फसल फरवरी-मार्च तक काटी जाती है. तोरियों की कटाई सामान्यतः 90 से 95 दिन पर और राई की 130 से 150 दिन तक की जाती है.
फसल कटाई की उचित व्यवस्था (Proper harvesting)
जब 75% फलियां पीली पड़ जाती है या बीजों में नमी लगभग 30 से 35 % होती है, तब राई- सरसों फसल की कटाई के लिए सबसे उचित अवस्था मानी जाती है. अधिकांश किस्मों में इस अवस्था के बाद बीज भार और तेल अंश में कोई वृद्धि नहीं होती है. इस अवस्था पर अंगुलियों से दबाने पर अधिकांश बीज कठोर मालूम होते हैं और 30 से 40% बीज हरे रंग से बदलकर भूरे अथवा पीले में बदल जाते हैं.
कच्ची अवस्था में कटाई करने पर बीज छोटे रह जाते हैं और तेल की मात्रा में कमी हो जाती है. इससे बीज अंकुरण क्षमता में भी काफी कमी हो जाती है. जब 75% फलिया पीली हो जाती है तब तेल की मात्रा सबसे अधिक होती है. सरसों की फसल में बिखराव रोकने के लिए फसल की कटाई सुबह करनी चाहिए क्योंकि रात के समय ऑस से फलिया नम हो जाती है.
कटाई- गहाई का सही तरीका (Correct method of Harvesting - threshing)
तोरिया- सरसों और राई की कटाई सामान्यता दराँती से की जाती है. इन फसलों की कटाई करने के लिए ट्रैक्टर चलित हार्वेस्टर, कम्बाइन हार्वेस्टर अथवा रीपर की सहायता से की जाती है. कटाई की गई फसल को छोटी छोटी पुलिया में बांधने के बाद चट्टा बनाकर कुछ दिनों तक धूप में रखने के लिए सूखे स्थान पर रख दिया जाता है, ताकि फसल अपना प्राकृतिक रंग प्राप्त कर लें और बीजों में नमी 20% से कम पहुँच जाये. कटाई के समय बीच में नमी लगभग 30 से 35% होनी चाहिए.
फसल की गहराई उस समय की जानी चाहिए जब बीज की औसत नमी 12 से 20 % पहुंच जाए. फसल बहुत अधिक सूख जाने पर या 6-12 % नमी पर बीजों को कुचलने और क्षतिग्रस्त होने से बचाना कठिन हो जाता है. फसल की गहाई थ्रेसर से करना सही रहता है क्योंकि इससे बीज और भूसा अलग निकल जाते हैं.
बीज का सुरक्षित भंडारण (Safe storage of seeds)
भंडारण के दौरान बीज का तेल और खली की गुणवत्ता को तापमान, नमी (Humidity) सबसे अधिक प्रभावित करती है. बीजों को भंडार में रखने से पहले भंडारघर को पूरी तरह से साफ कर लेना चाहिए. भंडारण करने से पहले बोरों को 2 से 3 दिन तक धूप में सुखा लेना चाहिए, ताकि बीजों में उपस्थित है कीट और फफूंदी मर जाए और नमी भी कम हो जाए. जहां तक संभव हो सके बीजों को नए बोरों में ही भरना चाहिए.
जिससे बीज में नमी की मात्रा नहीं बढ़े. बीज भंडारण में बोरो को लकड़ी के तख्ते पर चढ़ा कर रखना चाहिए या ईटों के ऊपर रख रखना चाहिए. जिससे देखभाल करने में आसानी रहती है. बोरो को भंडारघर की दीवारों से 8 से 12 इंच दूरी पर रखना चाहिए, जिससे बरसात में बीजों में नमी की मात्रा नहीं बड़े और बीज भी खराब न हो.
भंडारण में सावधानियां रखे (Take precautions in storage)
भंडारण करने के बाद भंडारगृह हवा रोधी कर देना चाहिए. जिससे बाहर की हवा अंदर नहीं आ सके. भंडारण की समय-समय पर देखभाल करते रहना चाहिए. यदि भंडारण के लिए 20 डिग्री सेंटीग्रेड के नीचे का तापमान और 8% आर्द्रता उपलब्ध रहे तो 2 वर्ष तक भंडारण से भी बीज में गुणवत्ता और मात्रा में किसी प्रकार की कमी नहीं होती है. अगर भंडारघर की दीवारों में कोई छेद और दरार हो तो उसको सीमेंट से बंद कर देना चाहिए, इसके साथ ही चूहों के बिल हो तो उसको भी सीमेंट से बंद कर देना चाहिए.