हर घर में भिंडी सब्जी का उपयोग किया जाता है वहीं बड़े-बड़े होटलों में सब्जी की अच्छी खासी डिमांड रहती है. ऐसे में कहा जा सकता है कि भिंडी की मांग बाजार में साल भर बनी रहती है. वहीं भिंडी स्वास्थ्य के लिहाज से भी काफी उपयोगी होती है. इसमें विटामिन ए, बी और सी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. इसकी वैज्ञानिक खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकता है. हालांकि इसकी वैज्ञानिक खेती में थोड़ी ज्यादा मेहनत होती है लेकिन यह अच्छा मुनाफा भी देती है. तो आइए जानते हैं भिंडी की वैज्ञानिक खेती करने का तरीका-
कब लगाई जाती है
भिंडी की हमारे देश में दो फसलें ली जाती है. पहली अगेती फसल बसंत महीने में और दूसरी बरसात के दिनों में. भारत में इसकी खेती बड़े पैमाने पर होती है. सालभर इसकी मांग बाजार में बनी रहती है.
जलवायु
भिंडी के अच्छे उत्पादन के लिए गर्म मौसम चाहिए. दरअसल, भिंडी गर्म मौसम की सब्जी मानी जाती है.
खेत की तैयारी
इसकी खेती के लिए दोमट और बलुई दोमट मिट्टी उत्तम मानी जाती है. अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी का पीएचमान 6 से 6.8 होना चाहिए. बुवाई से पहले खेत की 3 से 4 बार अच्छी जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए.
खाद एवं उर्वरक
अच्छी उपज लेने के लिए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 200 से 250 गोबर की खाद डालना चाहिए. वहीं प्रति हेक्टेयर 100 किलो नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस और 50 किलोग्राम पोटाश डालना चाहिए. नाइट्रोजन का उपयोग दो बार एक बुवाई के समय और पौधे की बढ़वार के दौरान डालना चाहिए.
बुवाई का सही समय
किसान फरवरी से मार्च के महीने में इसकी बुवाई करें. यह इसके लिए उचित समय होता है.
बीज दर
प्रति हेक्टेयर के लिए 18 से 20 किलोग्राम बीज उपयुक्त होता है. बारिश के दिनों में बीजदर 10 से 12 किलो प्रति हेक्टेयर रखना चाहिए.
कैसे लगाएं
भिंडी को वसंत के मौसम में कतार से कतार की दूरी 30 सें.मी. और पौधे से पौधे की दूरी 15 सेंटीमीटर पर लगाए. भिंडी की बुवाई के लिए कम नमी होने पर हल्की सिंचाई कर देना चाहिए.
निराई-गुड़ाई और सिंचाई
अच्छी पैदावार लेने के लिए भिंडी की फसल की समय समय पर निराई गुड़ाई करना चाहिए. बसंत के दिनों में भिंडी में 3 से 4 निराई गुड़ाई बेहद जरूरी है. वहीं सही समय पर सिंचाई करना चाहिए.
तुड़ाई
50 से 60 दिनों के बाद भिंडी के पौधे फूल और फल आने लगते हैं. भिंडी की तुड़ाई एक सप्ताह के अंदर कर लेना चाहिए. समय पर तुड़ाई न करने पर भिंडी कड़क हो जाती है जिसे बाजार नहीं बेचा जा सकता है.