जीरा मसाले के रूप में लगभग हर रसोई में उपयोग होता है. जीरे की खेती कर हमारे किसान भाई अच्छी कमाई कर रहे हैं. गुजरात और राजस्थान में जीरे की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. जीरा का इस्तेमाल विभिन्न आयुर्वेदिक दवाओं में भी किया जाता है.
पेट दर्द और अपच में जीरा का सेवन लाभदायक होता है. हमारे कुछ किसान भाइयों को जीरे की खेती के बारे में पता नहीं है. इससे उनको काफी नुकसान उठाना पड़ता है. हालांकि अब उन किसान भाइयों को परेशान होने की जरूरत नहीं है. यह लेख पढ़कर किसान भाई उन्नत खेती कर अच्छी खेती कर सकते हैं. तो आइए जानते हैं जीरे की उन्नत खेती के तरीके.
जीरे की उन्नत किस्में (Improved varieties of cumin)
जीरे की उन्नत किस्मों में आर जेड-19, आर जेड- 209, जीसी-4, आर जेड-223 शामिल हैं. वहीं बात करें फसल पकने की अवधि की, तो आर जेड-19 120 से 125 दिनों में, आर जेड-209 120 से 125 दिनों में जीसी- 4 105 से 110 दिनों में और आर जेड-223 110 से 115 दिनों में तैयार हो जाती है. आर जेड-19 का औसत उपज 9 से 11 कुंतल प्रति हेक्टेयर है, जबकि आर जेड-209 का 7-8 जीसी-4 का 7 से 9 और आर जेड-223 का औसत उपज 6 से 8 कुंतल प्रति हेक्टेयर है.
जीरे की खेती का समय (Cumin cultivation time)
जीरे की खेती दोमट मिट्टी में की जाती है. खेती के लिए सर्दी का मौसम अनुकूल है. जीरे की खेती अधिक तापमान में नहीं होती है. जीरे की बुवाई के समय तापमान 24 से 28 डिग्री सेंटीग्रेड और पौधों की वृद्धि के समय 20 से 22 डिग्री सेंटीग्रेड होना चाहिए.
जीरे की खेती की बुवाई (Cumin cultivation Sowing)
जीरे की बुवाई 1 से 25 नवंबर के बीच कर लेनी चाहिए. जीरे की बुवाई कल्टीवेटर से 30 सेमी के अंतराल पर पंक्तियां बनाकर बुवाई करना चाहिए. एक हेक्टेयर जमीन में 12 किग्रा बीज सही माना जाता है. वहीं यह भी ध्यान देने वाली बात है कि जीरे का बीज 1.5 सेमी से अधिक गहराई पर नहीं बोना चाहिए.
जीरे की खेती के लिए खाद (Fertilizer for cumin cultivation)
जीरे के खेत में प्रति हेक्टेयर 8 से 10 टन गोबर का खाद दें. यह खाद अंतिम जुताई से पहले खेत में मिला दें. इसके बाद 65 किलो डीएपी और 9 किलो यूरिया प्रति एकड़ दें. इसके बाद तीसरी सिंचाई यानी 20 दिन के बाद 35 किलो यूरिया प्रति एकड़ दें.
जीरे की खेती की सिंचाई (Cumin Cultivation Irrigation)
सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करें. लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि सिंचाई हल्की होनी चाहिए और तेज धार में नहीं करें. दूसरी सिंचाई बुवाई के 7 दिन बाद करें और तीसरी सिंचाई 20 दिन बाद करें तभी अच्छा होगा.
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जीरा की फसल की कटाई (cumin harvest)
फसल जब भूरे रंग का हो जाए और फसल पूरी तरह पक जाए तो कटाई कर लेनी चाहिए. इसके बाद फसल को सूखाकर हमारे किसान भाई बाजार या मंडी में ले जाकर बेच दें.