परवल की सब्जी से आप सभी वाकिफ हैं. इसमें विटामिन-ए के अलावा विटामिन-बी 1, विटामिन-बी 2 और विटामिन-सी जैसे तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. यदि आप इसकी उन्नत खेती करना चाहते हैं तो इसकी तकनीकी पहलुओं को जानना बेहद जरुरी होता है. इसकी वैज्ञानिक खेती किसानों के लिए बेहद फायदेमंद हो सकती है. यदि आप भी परवल की उन्नत खेती करना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए काफी मददगार हो सकता है.
परवल की खेती के लिए मिट्टी (Soil for Pointed Gourd Cultivation)
भारी भूमि को छोड़कर परवल की खेती हर तरह की मिट्टी में की जा सकती है. इसके लिए जीवांशयुक्त बलुई दोमट मिट्टी भी उत्तम होती है. परवल की खेती के लिए यह जीवांशयुक्त रेतीली मिट्टी भी अच्छी होती है. इसकी खेती के लिए खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए, क्योंकि इसकी अच्छी पैदावार के लिए इसकी बेलों को स्वस्थ्य रखना बेहद जरुरी होता है.
परवल की खेती के लिए प्रमुख किस्में (Major varieties for Parval cultivation)
यह एक बहुवर्षीय फसल है जिसे एक बार लगाने के बाद तीन सालों तक उत्पादन ले सकते हैं. यदि इसकी वैज्ञानिक खेती की जाए तो इससे अधिक लाभ मिल सकता है. इसकी उन्नत किस्में इस प्रकार है: राजेंद्र परवल-1, राजेंद्र परवल-2, नीमिया,स्वर्ण आलौकिक और स्वर्ण रेखा.
परवल की खेती के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for Pointed Gourd Cultivation)
खेत की दो तीन जुताई करने के बाद कुछ दिन के लिए खुला छोड़ दें. इसके बाद फिर से जुताई करके पाटा चलाकर मिट्टी को भुरभुरी बना लें. अधिक उत्पादन के लिए बांस विधि से परवल के पौधों की रोपाई करना चाहिए. इसके डेढ़ मीटर ऊंचाई की बेड बनाएं और दो बेड के बीच 15 सेंटीमीटर गहरी और 1 मीटर चौड़ी नालियां बनाते हैं. पौधे से पौधे की दूरी सवा मीटर की रखी जाती है. प्रति हेक्टेयर 6 हजार से 7 हजार पौधे लगाएं. हर पौधे के पास 3 मीटर लंबा बांस गाड़ दें. परवल की बेल को इस बांस पर चढ़ायएं.
परवल की खेती के लिए रोपाई (Transplanting for Pointed Gourd Cultivation)
जुलाई से अगस्त माह में परवल की लताओं को पॉलीथिन के बैग में लगाते हैं. इसके लिए 15 से 20 सेंटीमीटर लंबी लता को लेकर 8 की आकृति बना लें जिसे पॉलीथिन में लगा दें. ध्यान रहे लता में तीन से चार गठानें हो. मिट्टी दबाते समय लता का एक भाग ऊपर की ओर रखना चाहिए. कुछ समय बाद इन लताओं में अंकुरण हो जाता है जिन्हें अक्टूबर से नवंबर महीने में खेत में लगाया जाता है. परवल के अच्छे उत्त्पादन के लिए नर और मादा परवल का संतुलन बेहद आवश्यक है. गौरतलब है कि मादा परवल से फल मिलता है. ऐसे में इस बात का ध्यान रखें कि 10 मादा पौधों के साथ 1 नर पौधा अवश्य लगाएं. इससे परागण और निषेचन की क्रिया अच्छी तरह होती है.
परवल की खेती के लिए खाद और उर्वरक (Fertilizers for Pointed Gourd Cultivation)
परवल की खेती के लिए गोबर खाद और उर्वरक को सही मात्रा में देना बेहद लाभदायक होता है. जनवरी महीने में नए पौधों के पास 16 से 20 सेंटीमीटर की गोलाई में पिंडी छोड़कर बाहर 30 से 35 सेंटीमीटर की चौड़ाई और 40 से 45 सेंटीमीटर गहराई करके 10 से 12 किलो गोबर की सड़ी खाद डालें. 5 से 7 किलोग्राम बालू , 250 ग्राम डीएपी, 100 ग्राम पोटाश, 50 ग्राम यूरिया, 200 ग्राम नीम की खली, 100 ग्राम बुझा हुआ चुना और खेत की उपजाऊ मिट्टी डालें. उर्वरक डालने के बाद पौधों के नमी होने पर सिंचाई कर दें. फरवरी मार्च में महीने में 25-25 ग्राम यूरिया दो बार डालें.
परवल के फसल की सिंचाई (Irrigation of Parval Crop)
पौधों में कल्ले फूटने तक हल्की सिंचाई करना चाहिए, जिसके बाद आवश्यकतानुसार सिंचाई करें.
परवल की खेती से उत्पादन( Production for Pointed Gourd Cultivation)
परवल की हार्वेस्टिंग के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि फल अधिक बड़ा न हो. दरअसल, बड़ा फल जल्द ही पक जाते हैं इस कारण आर्थिक रूप से घाटा उठाना पड़ता है. एक महीने में 5 से 6 बार फलों की तुड़ाई कर सकते हैं. परवल की फसल से पहले साल प्रति हेक्टेयर 100 से 120 क्विंटल और इसके बाद 170 क्विंटल तक उत्पादन होता है.