सर्दियों के सीजन में अगर आप खेत में कुछ और उगाना चाहते हैं तो मटर एक अच्छा विकल्प है. मटर की खेती 2 से 3 महीनों में आपको लाखों की कमाई करवा सकती है. मटर की खेती कम लागत व कम मेहनत में अच्छा मुनाफा देती है. आज के लेख में हम आपको मटर की उन्नत खेती के बारे में जानकारी दे रहे हैं.
उपयुक्त जलवायु-मिट्टी
मटर की खेती के लिए नम और ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है. मटर के लिए मटियार दोमट या दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है, मिट्टी का पीएच मान 6-7.5 तक होना चाहिए. ध्यान रखें कि ज्यादा अम्लीय मिट्टी मटर के लिए बिल्कुल अच्छी नहीं होती.
बुवाई का सही समय
मटर की खेती में बीज अंकुरण के लिए औसत 22 डिग्री सेल्सियस की जरूरत होती है, वहीं विकास के लिए 10 से 18 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरुरत होती है. मटर की बुवाई के लिए सबसे अच्छा समय है अक्टूबर मध्य से लेकर नवंबर पहले सप्ताह तक. लेकिन यदि आप मटर नहीं बो पाएं हैं, तो दिसंबर के पहले सप्ताह तक मध्यम या पछेती किस्मों की बुवाई कर सकते हैं.
उन्नत किस्में
मटर की पछेती किस्मों में आजाद p1, बोनविले, जवाहर मटर आदि हैं. अगेती किस्मों में अगेता 6, आर्किल, पंत सब्जी मटर3, आजाद P3 शामिल हैं. इसके अलावा jm6, प्रकाश, केपी mr400, ipfd 99-13 भी उत्पादन के लिहाज से अच्छी किस्में हैं.
खेत की तैयारी
मटर की खेती से पहले खेत की अच्छे से जुताई करना जरुरी है. इसके बाद पलेवा चला दें. मटर अंकुरण के लिए मिट्टी में नमी आवश्यक है. मिट्टी तैयार करते समय गोबर की खाद मिला दें. अच्छे उत्पादन के लिए 30 किलो नाइट्रोजन, 60 किग्रा. फास्फोरस, 40 किलो पोटाश दिया जा सकता है. इसके साथ ही 100-125 किग्रा. डाईअमोनियम फास्फेट (डी, ए,पी) प्रति हेक्टेयर देने से भी पौधों का अच्छा विकास होता है. जिन क्षेत्रों में गंधक की कमी हो वहां बुआई के समय गंधक भी देना चाहिए.
बीज शोधन
मटर के बीज बोने से पहले थीरम 2 ग्राम या मैकोंजेब 3 ग्राम को प्रति किलो बीज से शोधन करना चाहिए. बीजों को बुवाई से पहले पानी में भिगोकर रखें और छांव में सुखाएं. बीजों को 5 से 7 सेमी गहराई और 20 से 25 सेमी की दूरी पर बोएं.
अगेती किस्मों की बिजाई के लिए प्रति हेक्टेयर 150 किलो तक बीज लगता है, इनसे 50 से 60 क्विंटल उत्पादन होता है. वहीं पिछेती किस्मों के लिए 100 से 120 किलो प्रति हेक्टेयर बीज दर रखें, इनमें 60 से 125 क्विंटल उत्पादन मिलता है.
सिंचाई
मटर की उन्नत खेती में मिट्टी में नमी होना जरुरी है. नमी और सर्दी के अनुसार 1-2 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है. पहली सिंचाई फूल आने के समय और दूसरी सिंचाई फलियां बनने के समय करनी चाहिए.
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खरपतवार नियंत्रण
बढ़ती फसल अवस्था में हल्की निराई-गुड़ाई जरुरी है. खरपतवार फसल की उत्पादन क्षमता को प्रभावित करते हैं. चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार, जैसे-बथुआ, सेंजी, कृष्णनील, सतपती अधिक हों तो 4-5 लीटर स्टाम्प-30 (पैंडीमिथेलिन) 600-800 लीटर पानी में प्रति हेक्टेयर की दर से घोलकर बुआई के तुरंत बाद छिड़काव करें.
लागत व मुनाफा
मटर की खेती में प्रति हेक्टेयर 20 हजार रुपए की लागत आती है और प्रति हेक्टेयर 25 से 30 क्विंटल तक उत्पादन होता है. मटर का बाजारी भाव 30 से 40 रुपए प्रति किलो तक रहता है. वहीं मटर को सुखा कर भी बाजार में बेच सकते हैं.