ज़ीरो टिलेज गेहूं की बुवाई की एक बहुपयोगी और लाभकारी तकनीक है. धान की फसल कटाई के उपरांत उसी खेत में बिना जुताई किये ज़ीरो टिलेज कम फरर्ट्री ड्रिल मशीन द्वारा गेहूं की बुवाई करने को ज़ीरो टिल तकनीक कहते है.
धान की कटाई के तुरन्त बाद मिट्टी व समुचित नमी रहने पर इस विधि से गेहूं की बुवाई कर देने से फसल अवधी में 15-20 दिन का आतिरिक्त समय मिल जाता है. जिसका असर उत्पादन पर पड़ता है. इस तकनीक की सहायता से खेत की तैयारी में होने वाले खर्च में 2500-3000 रूपये प्रति हेक्टेयर बचत होती है. इस विधि से गेहूं की बुवाई करने से खेत में जमने वाले फ्लेरिस माइनर हानिकारक खरपतवार का प्रयोग 25-35% कम होता है ज़ीरो सीडड्रिल आमतौर पर प्रयोग में लाई जाने वाली सीडड्रिल जैसी है अन्तर सिर्फ इतना है कि समान्य सीडड्रिल में लागने वाले चौड़े फालो की जगह इस में पतले फाल लगे होते है.
जोकि बिना जूते हुए खेत में कूड बनाते है. जिसमें गेहूं का बीज एवं उर्वरक साथ-साथ गिरता एवं ढकता जाता है समय पर बुवाई करने पर बीज दर 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तथा अधिक विलंब 15 दिसंबर के बाद की दशा में बीज दर 125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखनी चाहिए देर से धान की कटाई के समय नमी कम होने की दशा में कटाई के एक सप्ताह पूर्व धान की खेती में एक हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए जिसमें कटाई के उपरान्त तुरन्त बुवाई की जा सके ज़ीरो टिलेज मसीन में दो पाईप लगा है. मशीन में दूसरे पाइप से खाद आता है खाद वाली पाइप पहली पाइप से एक से॰ मी॰ बड़ा होता है बीज वाले पाइप से मकसद होता है डी॰ए॰पी॰ उर्वरक जमीन पर पड़ा रहता है.
गतिशील रहता है जो जिसमें जड़ो के नीचे जाती है पौधे उगेगा जिससे बीज पूरा उपयोग करता है. गेहूं और खाद खेत में एक साथ गिरते है मिट्टी जुताई न होने के कारण मिट्टी नमी संरक्षित होती है जीरो टिलेज विधि से बुवाई करने से पहले आप अपने खेत की पड़ताल कर ले यदि जमीन ऊबड़-खाबड़ हो या इस मशीन का प्रयोग न करे यदि खेत में खरपतवार अधिक दिखाई दे रहे हो तो बुवाई के 2-5 दिन पहले ग्लाइफोसेट दावा का इस्तेमाल एक ली. प्रति एकड़ की दर से 100 ली. जल में मिलाकर छिड़काव करे जीरो सीडड्रिल को 35-45 अश्व शक्ति वाले ट्रैक्टर से आसानी से चलाया जा सकता है. जीरो टिलेज मशीन से बुवाई करते समय मशीन को कल्टीवेटर की तरह नही चलाना चाहिए आमतौर पर इस मशीन से दो विधियाँ प्रचलित है दरअसल किनारे-किनारे से विधि किसी खेत में किनारे-किनारे 3 मी. जमीन छोड़ दिया जाता है इस प्रक्रिया में ऐसा इसलिए किया जाता है कि ट्रैक्टर को 3 मी. में आसानी से मोड़ सके चिन्ह दाहिने या बाई ओर सटाकर चिन्ह फाड़ सके .
उन्नत प्रभेद
सिंचित अवस्था में समय पर बुवाई के लिए 15 नवम्बर से 30 नवम्बर एच. डी. 2733, पी. वी. डब्लू 343, एच. पी. 171, के 9107, एच. पी. 1761, पी. वी. डब्लू 343, पी. वी. डब्लू 443, आरडब्लू 3413 इसमें से कोई बुवाई कर सकते है. विलम्ब से बुवाई के लिए 1 दिसबर से 30 दिसम्बर तक के लिए एच डब्लू 334, पी डब्लू 373, एच पी 1744, एच डी 2285, एवं राज 3765, में किसी किस्म की बुवाई करे.
नव जारी गेहूं की किस्में : डी बी डब्ल्यू – 187 (करण वंदना), एच डी -8777, एच आई -1612, एच डी -2967, के-0307, एच डी -2733, के -1006, डी बी डब्ल्यू – 39 इन गेहूं की किस्मों की उत्पादकता 50 से 64.70 कुंतल प्रति हेक्टेयर है .
उपुक्त बीज दर
जीरो टिलेज विधि से गेहूं विलम्ब करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखे कि प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा 150 किलोग्राम रखे क्योंकि देर से बुवाई की गई फसल में कल्ले कम निकलते है. और पैदावार कम होती है समय से बुवाई के लिए 125 किलोग्राम बीज प्रति है. के लिए पर्याप्त है.
बीज उपचार
गेहूं की बुवाई हेतु प्रयोग किये जाने वाले बीज का उपचार अवश्य करे इस से गेहूं की फसल को बीमारियों से बचया जा सकता है. बीज को चिड़िया आदि से बचाया जा सकता है क्योकि इस विधि से गेहूं की बुवाई में बीज सतह के नजदीक होता है अत: चिड़ियो द्वारा उस बीज को खा जाने का खतरा बना रहता है बीजोपचार के लिए वीटावेक्स या वेबिस्टीन 1.0 ग्राम दवा प्रति किलो बीज का प्रयोग करे
उर्वरक की मात्रा
आम तौर पर गेहूं की फसल में 120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस तथा 40 किलोग्राम पोटाश की आवश्यकता होती है फास्फोरस 130 किलोग्राम डी. ए. पी. प्रति है. एवं पोटास 65 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटास की पूर्ण मात्रा जीरो सीडड्रिल में सुंलग्न उर्वरक गिराने वाले फर्टी सीडड्रिल द्वारा बुवाई के साथ डालना चाहिए इसके करीब २३ किलोग्राम नत्रजन प्रति है. की दर से आपूर्ति हो जाती है नत्रजन की शेष मात्रा एवं दितीय के समय देना लाभदायक होता है .
जीरो टिलेज मशीन से बुवाई करने के लाभ
जीरो टिलेज मशीन से बुवाई करना पर्यावरण के दितीय कोण से बहुत ही लाभदायक है. इसके द्वारा बुवाई करने पर खेत की तयारी करने की लागत में शत प्रतिशत की बचत है अर्थात् बिना जुताई किये सीधे बुवाई का कार्य सम्पन्न हो जाता है जिसके कारन 18 से 45 लीटर डीजल प्रति है. की बचत होती है जिसकी कीमत 1000-2500 रू. है इसक वातावरण में कार्बनडाईआक्साइड एवं अन्य हानिकारक गैसे जैसे सल्फरडाईआक्साइड आदि कुप्रभाव से बचा जा सकता है . जबकी परम्परा ढंग से बुवाई करने पर 3-5 बार खेत की जुताई कानी पड़ती जिससे वातावरण भी दूषित होता है और श्रम भी अधिक लगता है .
गेहूं की अगेती बुवाई
परम्परागत विधि बीज एवं उर्वरक बिखेर कर बोना की तुलना में जीरो टिलेज मशीम से 5-15 दिन बुवाई का कार्य सम्पन्न किया जा सकता है समय पर नवम्बर माह में की गई बुवाई में 4.3 कुंटल अधिक उपज होती है.
सिंचाई जल एवं समय बचत
जीरो टिलेज द्वारा बोई गई फसल 30-40% पानी की बचत होती है. परम्परागत विधि से बोई गई फसल में पहली सिंचाई के बाद पौधो में पीलापन आना एक समस्या है चूकि अच्छी तरह तैयार किये गये खेत की भुरभुरी मिट्टी की जल धारण क्षमता अधिक होती है इसलिए सिंचाई जल के अतिरिक्त मात्रा 3 उपयोग स्वतः ही हो जाता है जिसमें मृदा में हवा का आवागमन बाधित हो जाता है परिणाम स्वरूप फसल पीली पड़ जाती है. ठीक उसी तरह ज़ीरो टिलेज के अंतर्गत बिना जुताई की नमी भूमि में पानी अवांछित रूप से नही रुकता है जिसस्के कारण गेहूं की फसल में पीलापन आने की समस्या नही होती है.
बीज एवं बिजाई लागत में बचत
ज़ीरो टिलेज से बुवाई करने से 30-40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बचत होती है जिसकी कीमत 600-800 रुपये की बचत हो जाती है.
खरपतवार नियंत्रण
गेहूं के मामा (फ्लेरिस माइनर) खरपतवार मुसीबत बनता जा रहा है इस खरपतवार से गेहूं की फसल काफी प्रभावित हो रही है ज़ीरो टिलेज मसीन से बुवाई करने पर इसकी समस्या कम पाई गई क्योकी खरपतवार से ज्यातर बीज जुताई न करने के कारण गहराई में पड़े रहते और कई भूमि में उनका जमाव कम होता है जिससे फसल पर कुप्रभाव का असर कम हुआ जीरो टिलेज से बुवाई करने से इससे खरपतवार की समस्या परम्परागत विधि से बोये गये खेत की तुलना में आधी पाई गई है खरपतवारों द्वारा अवशोषित किये जाने वाले पोषक तत्वो की बचत हुई.
उपज में बढ़ोत्तरी
ज़ीरो टिलेज तकनीक का प्रयोग कर गेहूं की पैदावार में तकरीबन 6-8% की बढ़ोत्तरी की जा सकती है.
बिजाई के समय में बचत
इस तकनीक से एक घण्टे में 0.3-0.4 हेक्टेयर खेत की बुवाई हो जाती है जबकी परम्परागत ढग से एक हेक्टेयर की बोवाई करने में 10-12 घण्टे लगते है इस प्रकार इस तकनीक से 3 गुना समय की बचत होती है. इस तकनीक को अपनाने से मिट्टी में फसल के अवशेषो के योगदान के कार्बनिक पदार्थों के साथ-साथ पौधो के लिए आवशयक पोषक तत्वो की वृद्धी होती है तथा भूमि की उर्वरा शक्ती बनी रहती है भूमि के रासायनिक तथा भौतिक गुणो पर भी इस तकनीक का लाभदायक पराभाव पाया जाता है. जीरो टिलेज मशीन का प्रयोग करते समय कुछ ब्यवहारिक कठिनाइयाँ आती है जिसका समाधान इस प्रकार है-
धान की कटाई करते समय केवल 15 से॰ मी॰ से छोटे डंठल छोड़े जाये तो मशीन द्वारा गेहूं की बुवाई करने में कठिनाई का सामना नही करना पड़ता है.
जीरो टिलेज मशीन में लगे चैन वाले पहिये को एक चक्कर घुमाकर देख ले तथा भूमि में चली दूरी में प्रतेक 2 से॰ मी॰ पर कम से कम एक दाना अवश्य गिरना चाहिए. जीरो टिलेज से बुवाई करते समय इस बात का विशेष ध्यान रहना चाहिए कि बीज सतह से 3-5 से॰ मी॰ की गहराई पर डाला जाये अगर गहराई अधिक हो गई तो जमाव एवं कल्लो का फुटाव कम होता है जिससे गेहूं की पैदावार में कमी आ जायेगी
खेत के किनारो पर दोनों तरफ तीन-तीन मी॰ बुवाई करने के बराबर जगह छोड़कर पूरे खेत की बुवाई करना चाहिए ऐसा इसलिए करते है की मशीन और ट्रैक्टर को आसानी से ऊपर उठाकर ही मोड़ अन्यथा सिल्ट ओपनरो में मिट्टी भर जाती है और पाइप बन्द हो जाता है सिससे बीज और उर्वरक गिरना बन्द हो जाता है.
ट्रेक्टर मशीन तीब्र गति से चलाये ट्रैक्टर की रफ्तार 5-3.0 किलोमीटर प्रति घण्टा रहे.
ज़ीरो टिलेज मशीन में दानेदार खाद उपयोग करना चाहिए मशीन जिसमें प्रथवी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण गिरता यूरिया एवं पाउडर वाले उर्वरको का मिश्रण बनाकर प्रयोग नही करना चाहिए अन्यथा वायुमंडलीय नमी सोखकर मशीन की पाइपों में चिपककर उन्हे बन्द कर देगा और इनको साफ करने में काफी समय की बर्बदी होगी.
खरपवारो को नष्ट करने हेतु स्प्रे करने में फ्लैट फैन नोजल का इस्तेमाल लाभदायक होता है.
ज़ीरो टिलेज मशीन से बुवाई करते समय यह ध्यान रखना चाहिए की मशीन की बीज व खाद वाली पाइप न मुड़ने पाये.
धान का पुआल खेत में ढेर के रूप में या इधर-उधर बिखरी हो तो इसको इकट्ठा करके खेत से बाहर निकाल दे एवं कम्पोस्ट खाद बनाने के काम में प्रयोग करे अन्यथा या पुआल बुवाई के समय ज़ीरो टिलेज मशीन उलझपर बुवाई कार्य को बाधित करता है.
मशीन पर पीछे बैठा ब्यक्ति पाइपो एवं स्लट ओपनरो को देखता रहे मिट्टी या घास फूस फसने पर उसे निकाल दे.
बुवाई में विलम्ब होने पर बीज दर बढ़ाकर एवं उर्वरक दे घटाकर प्रयोग करे.