गेहूं की बुवाई अधिकतर धान के बाद की जाती है. अतः गेहूं की बुवाई में ज्यादातर देर हो जाती है. हमे पहले से यह निश्चित कर लेना होगा कि खरीफ में धान की कौन सी प्रजाति का चयन करें और रबी में उसके बाद गेहूं की कौन सी प्रजाति बोये. गेहूं की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए धान की समय से बुवाई जरूरी है जिससे गेहूं के लिए अक्टूबर माह में खेत खाली हो जायें.
सिंचित क्षेत्र (देर से बुवाई) - पी बी डब्ल्यू 373, पी बी डब्ल्यू 590, जी.डब्लू. 273, जी. डब्लू. 173, डब्ल्यू एच 1021, पी बी डब्ल्यू 16, एच यू डब्ल्यू 510, के 9423, के 9423, (उन्नत हालना), के 424 (गोल्डन हालना), लोक 1, राज 3765, जी डब्ल्यू 173, जी डब्ल्यू 273, एच डी 2236, राज 3077, राज 3777, एच.डी. 2932 आदि गेहूं की प्रमुख किस्में है.
गेहूं की उन्नत किस्मों का विवरण
डी.एल. 803 - गेहूं की इस किस्म के दाने का आकार मध्यम होता है और बुवाई के लिए उचित समय 15 से 25 नवम्बर है. इसकी औसत पैदावार 50 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
जी. डब्लू. 173 - इसकी बुवाई के लिए सही समय 15 से 20 दिसम्बर है. इसकी औसतन पैदावार 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.
एच.आई.1077 - बुवाई के लिए सही समय 10 से 15 नवम्बर है तथा इसकी आउस्तान उपज प्रति हेक्टेयर 50 से 60 क्विंटल है.
एच आई 8381 - काली एवं भूरी रोली प्रतिरोधक, काठिया गेहूँ की यह किस्म सिंचित स्थितियों में उच्च खाद की मात्रा के साथ समय पर बुवाई के लिए सही है, इसकी औसतन 50 से 55 क्विंटल प्रति हैक्टेयर उपज होती है.
दूसरी बात ध्यान देने योग्य यह है कि धान में पडलिंग लेवा के कारण भूमि कठोर हो जाती है. भारी भूमि से पहले मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई के बाद डिस्क हैरो से दो बार जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी बनाकर ही गेहूं की बुवाई करना सही होता है. डिस्क हैरो के प्रयोग से धान के ठूंठ छोटे -छोटे टुकड़ों मे कट जाते है. इन्हे शीघ्र सड़ने हेतु 15-20 किग्रा० नत्रजन (यूरिया के रूप में) प्रति हेक्टर खेत को तैयार करते समय पहली जुताई पर अवश्य दे देना चाहिए. ट्रैक्टर चालित रोटावेटर द्वारा एक ही जुताई में खेत पूर्ण रूप से तैयार हो जाता है.
इसके अलावा गेहूं की बुवाई पर्याप्त नमी पर करना चाहिए. देर से पकने वाली प्रजातियों की बुवाई समय से अवश्य कर देना चाहिए अन्यथा उपज में कमी हो जाती है. जैसे-जैसे बुवाई में विलम्ब होता जाता है, गेहूं की पैदावार में गिरावट की दर बढ़ती चली जाती है. दिसंबर में बुवाई करने पर गेहूं की पैदावार 3 से 4 कु0/ हे0 एवं जनवरी में बुवाई करने पर 4 से 5 कु0/ हे0 प्रति सप्ताह की दर से घटती है. गेहूं की बुवाई सीडड्रिल से करने पर उर्वरक एवं बीज की बचत की जा सकती है. हालांकि, इससे इतर गेहूं की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए गेहूं की उचित क़िस्मों का होना बेहद जरूरी होता है -
एच डी 2236 - गेहूं की यह किस्म 110 से 115 दिन में तैयार होती है. यह किस्म देरी से बुवाई के लिए सही है. इसकी औसत उपज 30 से 35 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती है.
जी डब्ल्यू 190 - यह किस्म समय पर व अगेती बुवाई हेतु उपयुक्त है. इस किस्म की औसतन उपज 50 से 55 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती है.
सुजाता- गेहूं की यह किस्म बारानी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है. इस किस्म की औसत उपज 10 से15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
राज 3777- गेहूं की यह किस्म जनवरी के पहले सप्ताह तक बुवाई के लिए सही है. इसकी 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज होती है.
एच. डब्ल्यू- असिंचित क्षेत्रों हेतु उपयुक्त इस किस्म की पैदावार सुजाता के बराबर है, लेकिन रोली रोधिता अधिक होती है, 1000 दानों का वजन 40-45 ग्राम होता है.
जी.डब्ल्यू. 322- सींचित और समय से बुवाई के लिए यह उपयुक्त है, इसकी बुवाई का समय नवम्बर 15 तक है. इसकी उत्पादन क्षमता औसतन 47 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
एच.डी. 2932- गेहूं की यह किस्म सिंचित क्षेत्रों में देरी से बुवाई के लिए उपयुक्त है. इसकी औसत उपज 40 से 45 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है.
एच.आई.8713- काठिया गेहूं की किस्म सिंचित क्षेत्रों हेतु देरी से बुवाई के लिए उपयुक्त पायी गई है. गेहूं की इस किस्म की उपज 50 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है