Success Story: चायवाला से उद्यमी बने अजय स्वामी, मासिक आमदनी 1.5 लाख रुपये तक, पढ़ें सफलता की कहानी ट्रैक्टर खरीदने से पहले किसान इन बातों का रखें ध्यान, नहीं उठाना पड़ेगा नुकसान! ICAR ने विकसित की पूसा गोल्डन चेरी टमाटर-2 की किस्म, 100 क्विंटल तक मिलेगी पैदावार IFFCO नैनो जिंक और नैनो कॉपर को भी केंद्र की मंजूरी, तीन साल के लिए किया अधिसूचित एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! सबसे अधिक दूध देने वाली गाय की नस्ल, जानें पहचान और खासियत
Updated on: 21 January, 2021 6:51 PM IST
Gloriosa Superba

औषधीय बेल कलिहारी की खेती करके अच्छी कमाई की जा सकती है. यह जोड़ों के दर्द समेत कई बीमारियों के उपचार में मददगार है. इसके अलावा कलिहारी का उपयोग कई तरह के टॉनिक और पीने वाली दवाईयां के निर्माण में किया जाता है. इसकी बेल 3.5 से 6 मीटर तक लंबी होती है. वहीं इसके पत्ते 6 से 8 इंच तक बढ़ते हैं. तो आइए जानते हैं कलिहारी की खेती कैसे करें.

कलिहारी की खेती के लिए मिट्टी

भारत में कलिहारी की खेती कर्नाटक और तमिलनाडु राज्य में प्रमुखता से की जाती है. इसकी खेती के लिए लाल दोमट और रेतीली मिट्टी उत्तम मानी जाती है. वहीं इसकी खेती सख्त मिट्टी में नहीं करना चाहिए. जबकि मिट्टी का क्षारीय और अम्लीय पीएचमान 5.5 से 7 तक होना चाहिए.

कलिहारी की खेती के लिए खेत की तैयारी

सबसे पहले खेत की दो तीन अच्छी जुताई कर लें. इसके बाद मिट्टी को भुरभुरी बनाने के लिए रोटावेटर से जुताई करें. इसके बाद पाटा लगाकर खेत को समतल बना लें. इसके बाद ही कलिहारी की गांठों की रोपाई करें. ध्यान रहे खेत में जल निकासी के उचित प्रबंध कर लेना चाहिए.

कलिहारी की प्रमुख किस्में

1. Gloriosa Superba- इस किस्म की खेती अफ्रीका और भारत उष्णीय क्षेत्रों में प्रमुखता से की जाती है. इसके पौधे की ऊंचाई डेढ़ मीटर तक होती है. इसके पत्ते अंडाकार और फूल सीधे, लंबे और लाल पीले रंग के होते हैं.

2. Gloriosa Rathschildiana- इस किस्म की बेल काफी लंबी होती है. यह अफ्रीका के उष्णीय क्षेत्रों में पाई जाती है. इसकी पत्तियां चौड़ी और तीखी होती है. वहीं इसके फूल लंबे और पीले सफेद रंग के होते हैं.

कलिहारी की खेती कैसे करें?

इसकी खेती जुलाई और अगस्त महीने में उत्तम होती है. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 45 सेंटीमीटर रखना चाहिए. पौधे को 6 से 8 सेंटीमीटर की गहराई पर लगाए. बता दें कि कलिहारी खेती के लिए पिछली फसल की गांठों को या फिर तैयार बीजों से पनीरी तैयार करके रोपाई की जाती है.

 

कलिहारी की खेती के लिए बीज मात्रा

यदि आप एक एकड़ में कलिहारी की खेती करना चाहते हैं तो इसके लिए 10 से 12 क्विंटल गांठों की जरूरत पड़ती है. रोपाई से पहले गांठों को अच्छी तरह से उपचारित कर लेना चाहिए.

कलिहारी की खेती के लिए खाद एवं उर्वरक

अच्छी पैदावार के लिए प्रति एकड़ नाइट्रोजन 48 किलो ग्राम, फास्फोरस 20 किलो ग्राम और पोटाश 28 किलो डालना चाहिए. शुरूआत में नाइट्रोजन की आधी मात्रा और फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा डालना चाहिए. इसके बाद यूरिया की दो खुराक 30 और 60 दिन के अंतराल पर डालें.

कलिहारी की खेती के लिए सिंचाई

इसकी खेती में ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है. लेकिन फल पकने के समय दो बार सिंचाई जरूर करना चाहिए. वहीं कटाई से पहले सिंचाई बंद कर देनी चाहिए.

 

कलिहारी की खेती के लिए कटाई

इसकी खेती 170 से 180 दिनों की होती है. जब इसके फल हल्के हरे और गहरे रंग के हो जाए तब तुड़ाई करना चाहिए. यदि आप बीज प्राप्त करना चाहते हैं तो फल को अच्छी तरह से पकने के बाद तोड़ना चाहिए.

English Summary: How to cultivate medicinal Bel Kalihari
Published on: 21 January 2021, 06:54 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now