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Updated on: 6 November, 2020 2:45 PM IST

अदरक की खेती करके किसान अपने आपको आर्थिक रूप से सुदृढ़ बना सकते हैं. देश में अदरक का उपयोग मसाले के तौर पर किया जाता है. यह उष्ण क्षेत्र की मुख्य फसल है. ऐसा माना जाता है कि अदरक की उत्पत्ति पूर्व और दक्षिणी एशियाई देश भारत या चीन में हुई है. इसे भारत के अलग -अलग प्रांतों में विभिन्न नामों से जाना जाता है. जैसे हिंदी में अदरक, गुजराती में आदु, मराठी में अले, बंगाली में आदा, तमिल में इल्लाम, तेलगु में आल्लायु, कन्नड़ में अल्ला और पंजाबी में अदरक के नाम से जाना जाता है. पुराने समय से ही अदरक का उपयोग मसाला, सब्जियों और औषधि के रूप में किया जाता है. यह विभिन्न रंगों में होती है जैसे अफ्रीका की अदरक हल्की हरी तो जमाइका की अदरक हल्की गुलाबी होती है. वहीं अदरक का वानस्पतिक नाम जिनजिबेर ओफिसिनेल (Zingiber officinale) है. तो आइए जानते हैं अदरक की उन्नत खेती कैसे करें-

अदरक की खेती के लिए जलवायु (Climate for Ginger Farming):

अदरक की अच्छी पैदावार के गर्म और आर्द्रता वाले क्षेत्र उत्तम माने जाते हैं. बुवाई का सही मध्यम वर्षा के समय करना चाहिए. इससे गांठों का जमाव अच्छा होता है और बीज जल्दी अंकुरित होता है. ज्यादा और गुणवत्तापूर्ण पैदावार के लिए अगेती बुवाई करना चाहिए. जिन क्षेत्रों में साल में 1500 से 1800 मि.मी. वर्षा होती है वहां अदरक की अच्छी पैदावार ली जा सकती है. इसके औसत तापमान 25 डिग्री सेंटीग्रेड और गर्मी में 35 डिग्री सेंटीग्रेड उपयुक्त है. 

अदरक की खेती लिए भूमि (Land for Ginger Farming):

इसकी खेती ऐसी बलुई दोमट मिट्टी (Soil) उचित मानी जाती है जिसमें जीवांश और कार्बनिक अधिक मात्रा में हो. वहीं मिट्टी का पीएच मान 5 से 6 तक होना चाहिए ताकि जल निकासी आसानी से हो सकें. अदरक की खेती करने वाले किसानों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि एक ही भूमि में लगातार अदरक की खेती करने से भूमि जनित रोगों की अधिकता बढ़ जाती है. वही अदरक के कंदों के विकास के लिए उचित जल निकासी भी नहीं हो पाती है. ऐसे में फसल चक्र का अनुसरण करके इसकी खेती करना चाहिए.

अदरक की खेती के लिए खेत की तैयारी (Preparation of land for Ginger Farming):

अदरक की खेती के लिए सबसे पहले मार्च महीने में एक गहरी जुताई करना चाहिए. जिसके बाद खेत को कुछ दिन खुला छोड़ दें ताकि अच्छी धूप लग जाए. इसके बाद मई माह में रोटीवेटर या हैरो की सहायता से जुताई करें और मिट्टी को भूरभूरी बना लेना चाहिए. अब खेत में गोबर की सड़ी खाद या फिर कम्पोस्ट खाद डालें और फिर खेत की दोबारा कल्टीवेटर से दो-तीन जुताई कर लेवें. इसके बाद खेत छोटी-छोटी क्यारियां बना लेना चाहिए. किसानों को इस बात का विशेष ध्यान देना चाहिए कि अंतिम जुताई के समय ही खाद और उर्वरक की अनुशंसित मात्रा का प्रयोग कर लेना चाहिए. वहीं बाकी बचे उर्वरकों का इस्तेमाल बाद में खड़ी फसल में करें. 

अदरक की खेती के लिए बीज की मात्रा (Seed Quantity for Ginger Farming) :

अच्छी उपज के लिए बीजों का सही चुनाव बेहद जरुरी होता है. अदरक के बीजों का चुनाव उस समय ही कर लेना चाहिए जब 6 महीने की फसल हो. उस समय 2.5 से 5 सेंटीमीटर लंबे कंदों को जिनका वजन 20 से 25 ग्राम हो और जिनमें तीन गांठें निकल आई हो. इसी बीज का उपयोग अगले साल बीज के रूप में करना चाहिए.

अदरक की खेती के लिए बुवाई का समय (Time of sowing for Ginger Farming):

दक्षिण भारत में अदरक की बुवाई का उचित समय अप्रैल-मई माह है. इस समय बोई गई फसल दिसंबर महीने में तैयार हो जाती है. वहीं मध्य और उत्तर भारत में इसकी बुवाई का सही समय अप्रैल और जून माह है. 15 मई से 15 जून तक इसकी बुवाई कर देना चाहिए. जबकि देश के पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी बुवाई मार्च महीने में करना चाहिए. 

अदरक की खेती के लिए बुवाई का तरीका (Method of sowing for Ginger Farming):

बुवाई के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंटीमीटर रखना चाहिए. वहीं अदरक के कंदों को 5 सेंटीमीटर की गहराई बोना चाहिए. कंदों की बुवाई के दो महीने बाद पौधों पर मिट्टी चढ़ाकर मेड़ नाली विधि का प्रयोग करना चाहिए. बता दें कि हल या फावड़े की सहायता से मेड़ नाली बनाई जाती है. 

अदरक की खेती के लिए उर्वरको का विवरण (Description of fertilizers for Ginger Farming):

अदरक की अच्छी पैदावार के लिए प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन 75 किलो, फास्फोरस 50 किलो और पोटाश 149 किलो और गोबर खाद 250 क्विंटल डालना चाहिए. नाइट्रोजन की पहली आधी मात्रा 40 दिन के बाद और दूसरी 90 दिनों के बाद देना चाहिए.

अदरक की खेती के लिए निराई -गुड़ाई (Hoeing & Weeding for Ginger Farming):

अच्छी पैदावार के लिए अदरक की फसल की कम से कम दो बार निराई-गुड़ाई करना चाहिए. पहली निराई-गुड़ाई बुवाई के 4 से 5 महीने बाद करना चाहिए. इस दौरान पौधों पर अच्छे से मिट्टी चढ़ा देना चाहिए. इससे कंद का आकार बढ़ जाता है और अच्छी पैदावार होती है. वहीं निराई-गुड़ाई से मिट्टी भुरभुरी हो जाती है इससे भूमि में हवा का आगमन अच्छा होता है. साथ ही जड़ों के पास निकलने वाले कल्लों को काट देना चाहिए. 

अदरक की खुदाई (Ginger Digging):

बुवाई के 8 से 9 महीने बाद अदरक की खुदाई उस समय पर करना चाहिए जब पौधे की पत्तियां धीरे-धीरे पीली पड़कर सूखने लगे. ध्यान रहे अदरक के कंदों की खुदाई में देरी नहीं करना चाहिए इससे भंडारण में दिक्कत आती है और कंदों में अंकुरण होने लगता है. अदरक की खुदाई फावड़े या कुदाली की मदद से करें. खुदाई के बाद अदरक को पानी से साफ करके दो दिन के लिए सूखा लें. इससे भंडारण में परेशानी नहीं होती है. 

अदरक का भंडारण (Ginger Storage):

अदरक को अधिक समय तक स्टोरेज करने के लिए परिपक्व अवस्था में खोद लेना चाहिए. इस अदरक का उपयोग ताजा उत्पादों में किया जाता है. तेल और सौंठ बनाने के लिए अदरक को परिपक्व होने के बाद भी कुछ समय में पड़े रहने देना चाहिए. इससे अदरक में तीखापन कम हो जाता है जबकि रेशे की अधिकता हो जाती है. बीज के लिए अदरक को खेत से निकालकर कवकनाशियों  एवं कीटनाशियों से उपचारित करके छाया में सूखा लेना चाहिए. इसके बाद एक गड्डे में स्टोर कर बालू रेती से ढक देना चाहिए.

मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में सबसे ज्यादा उत्पादन :

टीकमगढ़ के हॉर्टिकल्चर विभाग के एसएस कुशवाह ने बताया कि मध्य प्रदेश में अदरक की खेती में टीकमगढ़ और निवारी जिला अव्वल है. यहां पिछले साल 6322 हेक्टेयर रकबे में अदरक की खेती की गई, जिससे 3 लाख 52 हजार 506 मैट्रिक टन उत्पादन हुआ. यहां के निवारी, पलेरा, पृथ्वीपुर और टीकमगढ़ के आसपास के क्षेत्र में इसकी खूब पैदावार होती है. इसकी बुवाई 25 जून तक की जाती है वहीं हार्वेस्टिंग जनवरी-मार्च तक होती है.

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें-
एसएस कुशवाह, टीकमगढ़
मोबाइल नंबर : 9981021895

English Summary: How to cultivate ginger in hindi
Published on: 06 November 2020, 02:49 PM IST

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