केले की खेती (Banana Cultivation) किसानों के लिए अच्छी आमदानी का जरिया हो सकता है. ऐसा कहा जाता है कि केले की खेती करीब 4 हजार साल पहले मलेशिया में शुरू हुई थी. भारत के कई प्रांतों में केले की खेती की जाती है. महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, बिहार और असम में खेले की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. वहीं उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्र में केले की खेती जा रही है. तो आइये जानते हैं केले की खेती कैसे की जाए.
यूपी में राजीव पहली बार कर रहे हैं केले की खेती :
उत्तर प्रदेश के आगरा के समीप बाह तहसील के नावली गांव के किसान राजीव सिंह पहली बार केले की खेती कर रहे हैं. उन्होंने करीब दो एकड़ में इस बार केले की फसल लगाई है. उनके खेत में करीब 1500 पौधे है, जो पूरी तरह सुरक्षित है. जिनसे उन्हें अच्छी पैदावार मिलने की उम्मीद है. उनका कहना है कि उन्हें प्रति पौधे से 80 से 100 किलो तक फल निकलने की उम्मीद है. उन्होंने अपने खेत में केले की 'जी-9' लगाई है. जो कि केले की उन्नत किस्म मानी जाती है. राजीव ने अपने खेत में वर्मीकम्पोस्ट, पोटाश और ट्राइकोडर्मा का उपयोग किया है. फसल के लिए वर्मीकम्पोस्ट उन्होंने खुद तैयार की है. वे बताते हैं कि केले के पौधों में नमी बनी रहे इसलिए हर 15 दिन में सिंचाई करते हैं.
केले की खेती के लिए मिट्टी (Soil for Banana Cultivation):
केले की खेती के लिए गहरी गाद वाली चिकनी, दोमट और उच्च दोमट मिट्टी सर्वोत्तम है. वहीं इसकी खेती विभिन्न किस्मों उच्च पोषक तत्वों वाली मिट्टी में की जा सकती है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि केले की अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी का पीएच मान 6 से 7.5 होना चाहिए. जिस मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश जैसे पोषक तत्वों की अच्छी मात्रा हो उसमें केले की खेती अच्छी होती है. केले की खेती करने वाले किसानों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि इसकी खेती कैल्शियम युक्त रेतीली मिट्टी में नहीं करना चाहिए.
केले की खेती के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for Banana Cultivation):
सबसे पहले गर्मी में एक गहरी जुताई करें. खेत को कुछ दिनों के लिए अच्छी धूप लगने दे उसके बाद उसके बाद खेत की 3 से 4 जुताई कल्टीवेटर से करना चाहिए. खेत की अंतिम जुताई के समय गोबर खाद या वर्मी कम्पोट डालना चाहिए. इसके बाद खेत को ब्लेड हैरो या लेजर लेवलर की मदद से समतल कर लेना चाहिए.
केले के पौधों की रोपाई (Transplanting of Banana Plants):
केले की पौधों की रोपाई का सही मध्य फरवरी से मार्च महीने का पहला सप्ताह उचित होता है. पौधों की रोपाई के लिए 45 से 60 सेंटीमीटर गहरा गड्ढा करें. इसके बाद कुछ समय के लिए गड्डों को धूप में खुला छोड़ दें. जिससे भूमि में पाए जाने वाले कीट मर जाएंगे. अब गड्डे में पौधों के साथ गोबर खाद, नीम केक और कार्बोफ्युरॉन का मसाला डालें. गड्डों में मिट्टी अच्छी तरह से दबा दें. इस दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखें की पौधें की रोपाई अधिक गहराई में न करें.
केले की खेती के लिए बीज की मात्रा (Quantity of seed for Banana Cultivation):
यदि पौधों के बीच 1.8x1.5 मीटर दूरी रखी जाए तो एक एकड़ में करीब 1452 पौधे लगते हैं. वहीं यदि पौधों के बीच 2 मीटर x 2.5 मीटर की दूरी रखी जाए तो एक एकड़ में करीब 800 पौधे लगेंगे.
केले की खेती के लिए बीज उपचार (Seed treatment for Banana Cultivation):
खेत में रोपाई से पहले केले के पौधों की जड़ों को धोकर क्लोरपाइरीफॉस 20 ई. सी. 2.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर उसमें डुबोएं. वहीं गांठों को निमोटोड से बचाने के लिए कार्बोफ्युरॉन 3 प्रतिशत सी जी 50 ग्राम से प्रति पौधों की जड़ को उपचारित करना चाहिए.
केले की खेती के लिए उर्वरक (Fertilizer for Banana Farming):
अच्छी उपज के लिए यूरिया 450 ग्राम, म्यूरेट ऑफ पोटाश 350 ग्राम लेकर इसे 5 भागों में बांटकर लें जिसे प्रति पौधे में पांच बार डाले. पहली डोज फरवरी, दूसरा मार्च, तीसरा जून, चौथा जुलाई और पांचवा अगस्त में डालना चाहिए.
केले की खेती के लिए खरपतवार नियंत्रण (Weed control for Banana Cultivation):
खरपतवारों को पहली गहरी जुताई के दौरान खेत से निकाल देना चाहिए. वहीं पौधों के अंकुरण के बाद ड्यूरॉन 80 प्रतिशत डब्लयुपी 800 ग्राम को 150 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ में छिड़काव करना चाहिए.
केले की खेती के लिए सिंचाई (Irrigation for Banana Farming):
केले की ज्यादा पैदावार के लिए 70-75 सिंचाइयों की जरुरत पड़ती है. ठंड के दिनों में 7-8 दिनों और गर्मियों में 4-5 दिनों के अंतर पर सिंचाई करना चाहिए. बता दें कि केले की फसल से अच्छी पैदावार के लिए नियमित सिंचाई बेहद आवश्यक होती है.
केले की खेती के लिए कटाई (Harvesting for Banana Cultivation):
पौधे रोपने के 11 से 12 महीनों बाद ही केले की तुड़ाई शुरू हो जाती है. इस दौरान इस बात का विशेष ध्यान दें कि लोकल मार्केट के लिए केले के पूरी तरह पकने के बाद ही तुड़ाई करना चाहिए.वहीं कहीं दूर मंडी ले जाने के लिए केले की तुड़ाई उस समय करें जब केला 75-80 प्रतिशत पका हो.
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राजीव सिंह सिंह
नावली, आगरा, उत्तर प्रदेश.
मोबाइल नंबर : 95482-46624