Green Manure: किसान अपनी फसल से अच्छी पैदावार पाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. इसके लिए किसान अपने खेत में रासायनिक खाद/ Chemical Fertilizer से लेकर कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन इन चीजों से फसल की पैदावार तो अच्छी होती है, लेकिन खेत की मिट्टी की उर्वरता शक्ति खत्म हो जाती है. इस परेशानी से बचने के लिए किसानों को अपने खेत में हरी खाद/Hari Khad को डालना चाहिए.
बता दें कि हरी खाद खेत में डालने से एक नहीं बल्कि कई फायदे होते हैं. एक तो फसल की पैदावार अच्छी होती है और दूसरा खेत की मिट्टी की उर्वरता/Farm Soil Fertility क्षमता बढ़ती है.
हरी खाद के फायदे/ Benefits of Green Manure
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हरी खाद खेत में डालने से मिट्टी की कई तरह के पोषक तत्वों की पूर्ति होती है.
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हरी खाद से मिट्टी में जैविक तत्व और साथ ही पानी सोखने की क्षमता बढ़ जाती है.
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हरी खाद से मिट्टी भुरभुरी होती है.
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इसके अलावा हरी खाद मिट्टी में डालने से वायु का संचार यानी की हवा का आना-जाना अच्छा होता है.
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हरी खाद डालने से मिट्टी के सूक्ष्म जीवों में वृद्धि होती है.
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हरी खाद डालने से मिट्टी व फसल में रोग लगने से संभावना काफी कम हो जाती है.
हरी खाद के लिए प्रमुख फसलें/ Major Crops for Green Manure
वैसे तो हरी खाद/Hari Khad के लिए कई तरह की फसलों का उपयोग किया जाता है. लेकिन किसानों के द्वारा प्रमुख रूप से दलहनी फ़सलों का उपयोग किया जाता है. जैसे कि सनई, ढैंचा, उर्द, मूंग, अरहर, चना, मसूर, मटर, लोबिया, मोठ, खेसारी, और कुल्थी आदि. इसके अलावा हरी खाद के लिए झाड़ियों और पेड़ों की पत्तियों, टहनियों को भी उपयोग में ला सकते हैं, लेकिन इसके लिए विशेष रूप से ढैंचा फसलों का उपयोग किया जाता है.
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हरी खाद बनाने की पूरी विधि
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हरी खाद बनाने के लिए किसान को खेत में गेहूं की कटाई/Wheat Harvesting के बाद अप्रैल से मई के बीच खेत की सिंचाई कर पानी में ढैंचा का बीज छितरा कर लेना चाहिए.
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इसके बाद 10 से 15 दिनों में ढेंचा फसल की हल्की सिंचाई/ light Irrigation of Crops जरूर करें.
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खेत में करीब 20 दिनों में 25 कि. प्रति हेक्टेयर की दर से यूरिया का छिड़काव करें. ऐसा करने से नोड्यूल बनने में सहायता मिलती है.
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फिर किसानों को खेत में करीब 55 से 60 दिनों में हल चला देना है.