GFBN Story: गन्ने और केले की स्मार्ट खेती से हिमांशु नाथ ने रचा सफलता का इतिहास, सालाना टर्नओवर 1 करोड़ से ज्यादा! GFBN Story: लाख की खेती से मिलन सिंह विश्वकर्मा को मिली बड़ी पहचान, सालाना कमा रहे हैं भारी मुनाफा! GFBN Story: रिटायरमेंट के बाद इंजीनियर शाह नवाज खान ने शुरू की नींबू की खेती, अब कमा रहे हैं शानदार मुनाफा! किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 26 October, 2023 4:36 PM IST
Black Cumin of Himachal Pradesh (Photo Source: Google)

देश में मसालों का प्रदेश केरल को कहा जाता है. इसका कारण यह है कि यहां दुनिया के सबसे अच्छे और अधिक मात्रा में मसालों का उत्पादन होता है. लेकिन आज हम आपको केरल के नहीं बल्कि हिमाचल के किन्नौर जिले में उत्पादित होने वाले जीरे के बारे में बताने जा रहे हैं. दरअसल हिमाचल के किन्नौर जिले में जीरे की एक विशेष किस्म उगाई जाती है जिसे “काला जीरा” कहा जाता है. यह जीरा अपनी अनोखी खुशबू के लिए देशभर में प्रसिद्द है.

आपको जानकारी के लिए बता दें कि किन्नौर के इस काले जीरे को वर्ष 2019 में जीआई टैग भी दिया जा चुका है. यह जीरा कई तरह के स्वास्थ्य लाभों के लिए भी बहुत ज्यादा प्रयोग किया जाता है. इसके साथ ही इसका प्रयोग चाय को बनाने में किया जाता है. तो चलिए इस जीरे के बारे में विस्तार से जानते हैं-

ख़ास होती है इसकी खुशबू

हिमाचल में किसान जीरे की कई किस्मों की खेती करते हैं. जिनमें कुछ प्रमुख किस्मों के नाम भूरा जीरा, हल्का सफ़ेद जीरा, मोटा जीरा और माको जीरा हैं. आपको जानकारी के लिए बता दें कि माको जीरा को ही किन्नौर का काला जीरा कहते हैं. यह बहुत ही पतले और बारीक आकार का होता है. लेकिन इसकी पहचान इसके आकार से नहीं बल्कि इसकी सुगंध से है. इस जीरे की खेती करने वाले किसानों के अनुसार इसकी खुशबू 30 मीटर दूर से भी महसूस की जा सकती है. इस जीरे की खेती देश के बहुत ही कम हिस्सों में होती है, जिसमें किन्नौर भी है. पहले यह किन्नौर के कुछ गांवों के जंगलों में पाया जाता था. लेकिन अब किसान इसकी खेती करके मोटा मुनाफा कमा रहे हैं.

स्वास्थ्य के लिए है बेहतरीन दवा

यह जीरा हमारे स्वास्थ्य के लिए भी एक बेहतरीन दवा का काम करता है. कई आयुर्वेदिक वैद्यों के अनुसार यह शरीर में इम्युनिटी बढ़ाने, पेट दर्द, बुखार जैसी समस्याओं से छुटकारा दिलाता है. पेट में कीड़े हो जाने पर चुटकी भर काला जीरा लेकर सुबह हलके गर्म पानी के साथ खाना चाहिए. इससे पेट के कीड़े तो नष्ट होते हैं. साथ ही अन्य बहुत सी बीमारियों को भी दूर करता है.

वर्ष 2019 में मिला जीआई टैग

हिमाचल के इस काले जीरा को वर्ष 2019 में जीआई टैग दिया गया था इसके बाद भी बहुत से अन्य पुरस्कार इस जीरे को दिए जा चुके हैं. दरअसल, हिमाचल प्रदेश में इस जीरे की खेती करने वालों की एक कम्युनिटी नें “जीनोम सेवियर कम्युनिटी पुरस्कार” से नवाजा गया है.

यह भी पढ़ें: मुर्गी पालन पर ये राज्य सरकार दे रही 30 लाख का अनुदान, जानें कौन ले सकता है लाभ

मालूम हो कि केंद्रीय कृषि मंत्रालय के तहत "पौधों की विविधता और किसान अधिकार संरक्षण प्राधिकरण" द्वारा दिए जाने वाले इस पुरस्कार में ₹ 10 लाख नकद इनाम और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है.

English Summary: Himachal Pradesh GI black cumin demand why is famous black cumin health benefits
Published on: 26 October 2023, 04:46 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now