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Updated on: 17 November, 2021 4:02 PM IST
HI-8663 Variety Of Wheat

अभी तक सोयाबीन उत्पादन के लिए प्रसिद्ध रहा मध्य प्रदेश सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है. मध्य प्रदेश अब उच्च कोटि के गेहूं के अधिकतम उत्पादन के लिए भी जाना जाने लगा है. मध्य प्रदेश के किसान अब वैज्ञानिक खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं. इसमें कृषि विज्ञान केन्द्र (केवीके) किसानों की पूरी मदद भी कर रहा है. यहां के किसानों ने देश में सबसे उच्च कोटि के गेहूं का उत्पादन किया है. 

राज्य के सैकड़ों किसानों के बीच मालवा क्षेत्र के उज्जैन जिले का एक किसान तो गेहूं उत्पादन के मामले में मिसाल बन गया.  स्वाद और गुणवत्ता के कारण मध्य प्रदेश के शर्बती गेहूं की महानगरों में सबसे ज्यादा मांग है. इस किस्म के गेहूं की कीमत भी सबसे ज्यादा है. इसे मुम्बई, पुणे, अहमदाबाद और हैदराबाद जैसे महानगरों की थोक और खुदरा बाजारों में गोल्डेन या प्रीमियम गेहूं के नाम से जाना जाता है. वहीं, उत्तर भारत के शहरों और दिल्ली की बाजार में इसे एमपी का गेहूं नाम से भी जाना जाता है.

पहल की और पूरा हुआ सपना

मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के गांव अजदावड़ा के रहने वाले योगेन्द्र कौशिक (61) ने वर्ष 1971 में अपनी उच्च शिक्षा पूरी की. नौकरी तलाशने के बजाय योगेन्द्र अपनी 9.5 एकड़ भूमि पर खेती करने लगे, लेकिन वह पारंपरिक खेती से छुटकारा पाना चाहते थे, जिसमें वह ज्यादातर सोयाबीन, चना और गेहूं ही उगाते थे. वह खेती में ही कुछ नया करना चाहते थे. इसके लिए वह काफी परिश्रम भी कर रहे थे. हालांकि, उनके खेतों में इन फसलों का उत्पादन भी जिले के औसत उत्पादन से कुछ अधिक ही था.

खरीफ में सोयाबीन का 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और गेहूं का उत्पादन 52 क्विंटल प्रति हेक्टर था, लेकिन वर्ष 2005 में योगेन्द्र केवीके के सम्पर्क में आए. तभी से वैज्ञानिक खेती के बारे में उनके विचार, नजरिया और दृष्टिकोण में परिवर्तन आया. योगेन्द्र ने केवीके के कई शिविरों में भाग लेकर वैज्ञानिक खेती का प्रशिक्षण लिया और अपना सपना साकार कर लिया, जो वह करीब चार दशक से देख रहे थे.

95.32 क्विंटल प्रति हेक्टर पहुंच गया उत्पादन

अनुबंध किसान होने के कारण योगेन्द्र केवीके उज्जैन के सम्पर्क में थे. बीज आधारित कई तकनीकी मूल्यांकन के बाद पाया गया कि HI-8663 (पोषण्) गेहूं की सबसे अच्छी और ज्यादा उपज देने वाली किस्म थी. केवीके उज्जैन से HI-8663 (पोषण) का 50 किलोग्राम ब्रीडर बीज लेकर इसे नवंबर में 0.4 हेक्टेयर खेत में बोया गया. राजस्व अधिकारी, पटवारी, एसडीओ, आरएडीओ और ग्रामीणों की मौजूदगी में की गई फसल की कटाई में 95.32 क्विंटल प्रति हेक्टर गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड किया गया.

बढ़ता तापमान गिरा देगा गेहूं का उत्पादन

हाल ही में जारी इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाईमेट चेंज (आईपीसीसी) की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2080-2100 तक भारत और दक्षिण एशिया में तापमान बढ़ने और सिंचाई योग्य पानी की कमी होने के कारण फसलों का उत्पादन 10-14 प्रतिशत तक कम हो जाएगा. पूरी फसल अवधि के दौरान तापमान में प्रति एक डिग्री सेल्सियस बढ़ोत्तरी होने पर भारत में गेहूं का उत्पादन 40-50 लाख टन कम हो जाएगा. यहां तक कि कार्बन देने का भी इसमें कोई लाभ नहीं मिल पाएगा.

किसानों के लिए फायदेमंद है HI-8663 (पोषण)

HI-8663 (पोषण) एक जीनोटाइप विशेषज्ञता वाला उच्च गुणवत्ता और अधिक उत्पादकता वाला गेहूं है. प्राकृतिक रूप से दोहरे गुण वाले इसे गेहूं से पौश्टिक चपाती के साथ ही सूजी भी बनाई जाती है, जो कि फास्ट फूड बनाने में काम आती है.

इसमें मौजूद उच्च गुणवत्ता के प्रोटीन और उच्च स्तर के पोषक तत्व के कारण यह पास्ता के लिए भी उपयुक्त है. प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में बुवाई के लिए यह किस्म मई 2008 में अधिसूचित की गई थी. यह व्यापक रूप से अनुकूलित और उच्च उत्पादकता वाली किस्म है.

MACS 2846, NIDW 295, GW1189 किस्मों से तुलना करने पर पाया गया कि HI-8663 किस्म 1.4 से 28.4 प्रतिशत तक की ज्यादा उपज देता है. यह कटाई के लिए अपेक्षाकृत जल्दी तैयार हो जाता है और गर्मी को भी आसानी से सह सकता है. यह गेहूं उत्पादन में स्थिरता और कम सिंचाई उपलब्धता वाले क्षेत्रों में भी बेहतर उत्पादन सुनिष्चित करता है.

स्रोत: कृषि विज्ञान केन्द्र, उज्जैन, मध्य प्रदेश

English Summary: HI-8663 variety of wheat will yield 95.32 quintals per hectare
Published on: 17 November 2021, 04:08 PM IST

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