Titar Farming: किसानों के लिए है बेहद फायदेमंद तीतर पालन, कम लागत में होगी मोटी कमाई ग्रीष्मकालीन फसलों का रकबा बढ़ा, 7.5% अधिक हुई बुवाई, बंपर उत्पादन होने का अनुमान Rural Business Idea: गांव में रहकर शुरू करें कम बजट के व्यवसाय, होगी हर महीने लाखों की कमाई आम को लग गई है लू, तो अपनाएं ये उपाय, मिलेंगे बढ़िया ताजा आम एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! Guar Varieties: किसानों की पहली पसंद बनीं ग्वार की ये 3 किस्में, उपज जानकर आप हो जाएंगे हैरान!
Updated on: 26 April, 2024 1:42 PM IST
DSR विधि से बासमती धान की खेती, सांकेतिक तस्वीर

भारत के बासमती चावल की दुनिया भर में हमेशा से धाक रही है. यह बासमती चावल सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है. इसकी खेती करने वाले किसानों को भी अच्छा लाभ मिलता है. वही बासमती चावल की खेती भारत के जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश राज्यों में खरीफ सीजन में प्रमुखता से की जाती है. हालांकि, बासमती धान की खेती के दौरान किसानों को कई तरह की चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है जिनमें फसल में शाक यानी अनावश्यक खरपतवारों का उग जाना और रोग लगना प्रमुख है. वही अनावश्यक खरपतवारों एवं रोगों से निपटने के लिए कई बार किसान रासायनिक कीटनाशकों का भी इस्तेमाल करते हैं. कई बार ऐसा होता है कि बासमती चावल में कीटनाशक अवशेष की मात्रा तय मानक से अधिक हो जाती है जिससे किसानों को वाजिब दाम भी नहीं मिलता है. नतीजतन, किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ जाता है. 

किसानों की इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखकर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा (ICAR) ने बासमती धान की दो नई किस्में विकसित की हैं जो पुरानी किस्मों को सुधार कर विकसित की गई हैं. बासमती धान की ये दोनों किस्में शाकनाशी-सहिष्णु (हर्बीसाइड-टोलेरेंट) हैं यानी जब शाकनाशी का छिड़काव किया जाएगा तो पौधे प्रभावित नहीं होंगे. ऐसे में आइए इन किस्मों के बारे में विस्तार से जानते हैं-

बासमती चावल की शाकनाशी-सहिष्णु (हर्बीसाइड-टोलेरेंट) किस्में/ Herbicide Tolerant Rice Varieties

पूसा ने पुरानी किस्मों को सुधार कर बासमती चावल की दो शाकनाशी-सहिष्णु (हर्बीसाइड-टोलेरेंट) किस्में विकसित की है जिनमें पूसा बासमती 1121 का सुधार कर पूसा बासमती 1979 किस्म विकसित की है. इसी तरह पूसा बासमती 1509 का सुधार कर पूसा बासमती 1985 विकसित की है. किसान बासमती धान की इन दोनों किस्मों की खेती डीएसआर तकनीक यानी धान की सीधी बिजाई विधि से कर सकते हैं. इन किस्मों की खेती करने पर पानी की बचत होती है. साथ ही आमदनी में भी वृद्धि होती है. ऐसे में जो किसान इस खरीफ सीजन में डीएसआर/DSR तकनीक यानी धान की सीधी बिजाई विधि से धान की खेती करने की सोच रहे हैं वह किसान इन दोनों किस्मों की खेती कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें: बासमती धान की ये हैं टॉप 3 किस्में, जानें- उत्पादन क्षमता और अन्य खासियत

बासमती चावल की अन्य उन्नत किस्में/ Basmati Rice Varieties

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के मुताबिक बीज अधिनियम, 1966 के अधीन अब तक बासमती चावल की 45 किस्में अधिसूचित की गई हैं बासमती चावल की प्रमुख किस्में हैंः बासमती 217, पंजाब बासमती 1 (बौनी बासमती), बासमती 386, पंजाब बासमती 2, पंजाब बासमती 3, बासमती 370, हरियाणा बासमती 1, तरावड़ी बासमती (एचबीसी 19), टाइप 3 (देहरादूनी बासमती), पंत बासमती 1 (आईईटी 21665), पंत बासमती 2 (आईईटी 21953), कस्तूरी, माही सुगंधा, बासमती सीएसआर 30 (संशोधन पश्चात्), मालवीय बासमती धान 10-9 (आईईटी 21669), रणबीर बासमती, बासमती 564, पूसा बासमती 1, पूसा बासमती 1121 (संशोधन पश्चात्), पूसा बासमती 1509 (आईईटी 21960), पूसा बासमती 6 (पूसा 1401), पूसा बासमती 1609, पूसा बासमती 1637, पूसा बासमती 1728, वल्लभ बासमती 22, वल्लभ बासमती 21 (आईईटी 19493), वल्लभ बासमती 23, वल्लभ बासमती 24, पूसा बासमती 1718, पंजाब बासमती 4, पंजाब बासमती 5, हरियाणा बासमती 2, पूसा बासमती 1692, जम्मू बासमती 118, जम्मू बासमती 138, जम्मू बासमती 129, जम्मू बासमती 123, पूसा बासमती 1847, पूसा बासमती 1885, पूसा बासमती 1886, पूसा बासमती 1985, पूसा बासमती 1979, पूसा बासमती 1882 और पंजाब बासमती 7 आदि.

English Summary: herbicide tolerant rice varieties top ICAR basmati rice varieties information in Hindi
Published on: 26 April 2024, 01:48 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now