पश्चिम बंगाल में दक्षिण 24 परगना का बारूईपुर अमरूद की खेती के लिए प्रसिद्ध है. बारूईपुर के उच्च गुणवत्ता वाले अमरूद का निर्यात पड़ोसी देश नेपाल, भूटान, ईरान, पाक्सितान और सऊदी अरब के देशों में भी होता है. लेकिन आज बारूईपुर में अमरूद की खेती चौतरफा मार झेल रही है. मक्खियों के आक्रमण से फल नष्ट होने लगे हैं और इस तरह अमरूद की खेती एक तरह संकट में पड़ गई है. पहले तो लॉकडाउन से बागान में तैयार अमरूद सही समय पर स्थानीय बाजारों में भी नहीं पहुंच सका. दूसरे चक्रवाती तूफान अंफान से फल समेत कुछ पेड़ क्षतिग्स्त हुए. बचे फलों को लेकर किसानों में थोड़ी बहुत उम्मीद जगी थी कि मक्खियों का आक्रमण शुरू हो गया.
बारूईपुर में अमरूद की बागवानी करने वाले किसानों का कहना है कि मक्खियां जिन फलों पर बैठ रहीं हैं उस पर अंडे भी देती हैं. जिन अमरूदों पर मक्खियां अंडा दे रही हैं वह सप्ताह भर में ही सड़ जा रहा है. किसानों के लिए परेशानी की बात यह है कि मक्खियों का झूंड रात के समय अमरूदों पर हमला बोल रहा है. दिन में तो किसान बागान की देखभाल करते हैं. लेकिन रात को अमरूद के पेड़ों पर मक्खियों के आक्रमण को रोकना उनके लिए संभव नहीं है. किसानों की ओर से जिला के कृषि विभाग को इस बात की जानकारी दी गई है.
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कृषि विभाग ने मक्खियों के आक्रमण से अमरूद को बचाने के लिए किसानों को कुछ कारगर उपाय करने के सुझाव दिए है. कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को 20 माइक्रोन पॉलिथिन से अमरूद के पेड़ में फल को लेपट कर बांध देने का सुझाव दिया है. एसीफेट 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी प्रति लीटर पानी में मिलाकर पेड़ों पर छिड़काव करने की सलाह भी किसानों की दी गई है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसी कारण पेड़ की जड़ों और आस-पास में गंदगी फैलने के कारण मक्खियों का आक्रमण शुरू हुआ. गंदगी वाले क्षेत्र में मक्खियों का प्रजनन ज्यादा होता है. कृषि विषेज्ञ मक्खियों से संक्रमित होने वाले सभी अमरूदों को जमीन में गाड़ देने का सुझाव दे रहे हैं ताकि रोग को फैलने से रोका जा सके और जो बाकी फल है उसे बचाया जा सके.
उल्लेखनीय है कि केला और आम के बाद अमरूद पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा पैदा होने वाला तीसरा फल है. वैसे तो पश्चिम बंगाल के प्रायः सभी जिलों में अमरूद के पेड़ लगाए जाते हैं. राज्य में करीब 14 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में अमरूद की बागवानी होती है. इसमें अकेले बारूईपुर में ही 1600 हेक्टेयर भूमि में अमरूद के व्यावसायिक खेती होती है. यहां के उच्च गुणवत्ता वाले अमरूद की मांग विदेशों में भी है. फऱवरी तक बारूईपुर के विभन्न इलाकों से रोजाना करीब 60 टन अमरूद की आपूर्ति होती थी. लेकिन लॉकटाउन के बाद अमरूद की आपूर्ति ठप हो गई. स्थानीय बाजारों में किसानों को औने-पौने दाम में फल बिक्री करने के लिए बाध्य होना पड़ा. बारूईपूर से सालाना 20 करोड़ रुपए का अमरूद विदेशों में निर्यात किया जाता था. लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण निर्यात पर भी पानी फिर गया. रही सही कसर चक्रवाती तूफान अंफान और अब मक्खियों के आक्रमण ने पूरी कर दी. खैर कृषि विभाग की ओर से अमरूद की बागवानी करने वाले किसानों को संकट से उबारने का प्रयास किया जा रहा है. नए सिरे से अमरूद के पेड़ लगाने की तकनीकी जानकारी भी किसानों को दी जा रही है ताकि आने वाले दिनों में अमरूद का उत्पादन बढ़ाकर नुकसान की भरपाई की जा सके.