Groundnut Farming Tips: भारत में मूंगफली खरीफ मौसम की एक प्रमुख तिलहनी फसलों में से एक है. इसे राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है. यह फसल किसानों के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत है. अगर किसान कुछ जरूरी फसल प्रबंधन उपायों को अपनाएं, तो मूंगफली की उपज में काफी बढ़ोतरी की जा सकती है. थोड़ी सी सावधानी और वैज्ञानिक तरीकों से मूंगफली की फसल को कीट-रोग से सुरक्षित रखने के साथ-साथ किसान उपज को काफी हद तक बढ़ा सकते हैं.
जून के पहले-दूसरे हफ्ते में करें बुवाई
राजस्थान कृषि विभाग के अनुसार, मूंगफली की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय जून का पहला और दूसरा सप्ताह होता है. इस समय मौसम में नमी की मात्रा सही होती है जिससे बीज अच्छे से अंकुरित होते हैं. सही समय पर बुवाई करना फसल की अच्छी पैदावार के लिए सबसे जरूरी कदम है.
पैदावार बढ़ाने के उपाय
मूंगफली की अच्छी उपज के लिए सिफारिश की गई उर्वरकों की मात्रा और बीजों का उचित उपचार आवश्यक होता है. बुवाई से पहले प्रति हेक्टेयर 60 किलो फॉस्फोरस और 15 किलो नत्रजन देना चाहिए. यदि खेत में पोटाश की कमी हो तो 30 किलो पोटाश भी डालें. इसके अलावा खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के तुरन्त बाद पेन्डीमिथालीन (30%) और ईगिजाथापर (2%) मिश्रित शाकनाशी का 800 ग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर या केवल पेन्डीमिथालीन (30%) का एक किलो सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें. साथ ही 30 दिन बाद निराई-गुड़ाई अवश्य करें.
बीजोपचार है बहुत जरूरी
बीजों को बीमारियों से बचाने और अच्छी उपज पाने के लिए बीजोपचार करना अत्यंत जरूरी होता है. बुवाई से पहले बीजों को फफूंदनाशी जैसे कार्बाक्सिन 37.5% + थाइरम 37.5% के 3 ग्राम प्रति किलो बीज या मैन्कोजेब 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें.
यदि किसान रसायनों का कम उपयोग करना चाहते हैं तो 1.5 ग्राम थाइरम व 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचार करें. इसके बाद बीजों को छांव में सुखाकर बुवाई करें.
राइजोबियम कल्चर से बढ़ती है उपज
बीजों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करने से न केवल नत्रजन की मात्रा बढ़ती है, बल्कि पैदावार भी बढ़ती है. इसके लिए 2.5 लीटर पानी में 300 ग्राम गुड़ मिलाकर उबालें और ठंडा होने पर उसमें 600 ग्राम राइजोबियम कल्चर मिलाएं. इस घोल को मूंगफली के बीजों पर एक समान परत की तरह लगाएं और छांव में सुखाकर बोएं.
कॉलर रॉट से ऐसे करें बचाव
मूंगफली की फसल में कॉलर रॉट एक गंभीर रोग है. इससे बचाव के लिए बुवाई से पहले प्रति हेक्टेयर 2.5 किलो ट्राइकोडर्मा को 100 किलो सड़े हुए गोबर में मिलाकर मिट्टी में मिला दें. इसके साथ ही बीजों को ऊपर बताए गए फफूंदनाशकों से उपचारित करना जरूरी है. यह रोग विशेष रूप से नम और भारी मृदा में अधिक होता है, इसलिए जल निकासी का उचित प्रबंध भी करें.
भूमिगत कीटों का करें समुचित प्रबंधन
मूंगफली की फसल को दीमक और सफेद लट जैसे भूमिगत कीट काफी नुकसान पहुंचाते हैं. इनसे बचाव के लिए बुवाई से पहले खेत में प्रति हेक्टेयर 250 किलो नीम की खली डालें. सफेद लट से बचने के लिए इमिडाक्लोप्रिड 600 एफएस की 6.5 मिली प्रति किलो बीज या क्लोथायोनिडिन 50 डब्ल्यूडीजी की 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें.
कृषि रसायनों का उपयोग करते समय बरतें सावधानी
किसानों को कृषि रसायनों का इस्तेमाल करते समय सुरक्षा का पूरा ध्यान रखना चाहिए. दवा छिड़कते वक्त हाथों में दस्ताने, मुंह पर मास्क और पूरे कपड़े पहनना जरूरी है. बीजोपचार में भी पहले फफूंदनाशी या कीटनाशी से बीजों को उपचारित करें और उसके बाद ही राइजोबियम कल्चर लगाएं.